Kerala College Horror Ragging: स्कूल में 12वीं तक की पढ़ाई खत्म होने के बाद कॉलेज में एडमिशन को लेकर छात्रों में बड़ा उत्साह होता है। क्योंकि, कॉलेज में चयन किए गए विषय ही आगे चलकर छात्र के करियर को गति देते हैं। 12वीं की पढ़ाई खत्म होते ही छात्र मेडिकल, इंजीनियरिंग, प्रशासनिक सेवा या अन्य सरकारी नौकरी की तैयारियों में जुट जाते हैं और इसी से संबंधित विषय की पढ़ाई के लिए कॉलेज का चयन करते हैं। लेकिन, इस दौरान इनके मन में एक डर भी होता है, वो डर है कॉलेज में रैगिंग होने का। हालांकि, छात्र चाहें तो इस डर से खुद को बचा सकते हैं। यहां हम बता रहे हैं एंटी रैगिंग नियम और उससे जुड़े हेल्पलाइन नंबर के बारे में।
रैंगिग रोकने के लिए बनाए गए हैं नियम
UGC (यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन) और सरकार ने रैगिंग को रोकने के लिए कुछ नियम बनाए हैं। लेकिन, सरकार की अनेक कोशिशों के बावजूद देश में रैगिंग की घटनाएं सामने आती ही रहती हैं। ऐसे में नए स्टूडेंट्स को रैगिंग को लेकर नियम कानून जानना चाहिए और पुराने स्टूडेंट्स को भी यह पता होना भी जरूरी है कि अगर उन्होंने कॉलेज में दाखिला लेने वाले किसी नए छात्र-छात्रा के साथ रैगिंग की तो सजा भुगतनी होगी।
केरल में रैंगिग की खौफनाक घटना
बता दें कि केरल के एक सरकारी नर्सिंग कॉलेज में जूनियर्स के साथ रैगिंग का मामला सामने आया है। जहां 5 सीनियर छात्रों ने 3 स्टूडेंट्स के पहले कपड़े उतारे। फिर उनके प्राइवेट पार्ट में डंबल (भारी वजन) लटका दिया। सीनियर्स ने बाद में कंपास और नुकीली वस्तुओं से भी छात्रों को घायल किया। इसके बाद जख्म पर लोशन लगाया और जब पीड़ित दर्द से चिल्लाने लगे तो उनके मुंह में भी लोशन डाल दिया। यह घटना कोट्टायम के सरकारी नर्सिंग कॉलेज में हुई। तीनों पीड़ित फर्स्ट ईयर के स्टूडेंट हैं और तिरुवनंतपुरम के रहने वाले हैं।
पुलिस ने की कार्रवाई
रैगिंग का मामला सामने आने के बाद आरोपी छात्रों को कॉलेज से सस्पेंड कर दिया गया। साथ ही रैगिंग करने के आरोप में थर्ड ईयर के 5 छात्रों को एंटी-रैगिंग अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने बुधवार को यह जानकारी दी। पुलिस ने बताया कि संस्थान में करीब तीन महीने से जारी रैगिंग से तंग आकर फर्स्ट ईयर के 3 छात्रों ने शिकायत दर्ज कराई थी जिसके बाद पुलिस ने मामला दर्ज किया। शिकायत के अनुसार, रैगिंग पिछले साल नवंबर में शुरू हुई थी। पीटीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, शिकायत के बाद कॉलेज प्रिंसिपल ने आरोपी छात्रों को निलंबित कर दिया और पुलिस ने उन्हें प्रिवेंशन ऑफ रैगिंग एक्ट 2011 के तहत गिरफ्तार कर लिया।
क्या है भारत में एंटी रैगिंग कानून?
कॉलेजों में रैगिंग की वजह से हुए हादसों से सबक लेते हुए भारत में एंटी रैगिंग कानून (Anti Ragging Law) तैयार किया गया है। इसमें जुर्माना भरने से लेकर जेल जाने तक की सजा का प्रावधान है। अगर आपके या आपके किसी जानने वाले के साथ रैगिंग की जा रही है तो आप इसकी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं। भारत में यह कानून प्रिवेंशन ऑफ रैगिंग एक्ट 1997 और इसमें किए गए अमेंडमेंट्स (संशोधन) के अंतर्गत आता है। साल 1999 में विश्व जागृति मिशन के तहत सुप्रीम कोर्ट ने रैगिंग को परिभाषित किया था। रैगिंग को लेकर अदालतें भी काफी सख्त हैं।
कहां और कैसे करें रैगिंग की शिकायत?
रैगिंग की शिकायत करना बहुत आसान है। पीड़ित स्टूडेंट रैगिंग की शिकायत अपने कॉलेज में दर्ज करवा सकते हैं या चाहें तो नेशनल हेल्पलाइन पर भी शिकायत कर सकते हैं। इसमें पुलिस की मदद भी ले सकते हैं।
- यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (UGC) के एंटी रैगिंग हेल्पलाइन नंबर 1800-180-5522 पर शिकायत कर सकते हैं। इसके अलावा helpline@antiragging.in पर मेल करके कंप्लेन दर्ज करा सकते हैं।
- यूजीसी के वेब पोर्टल पर भी कंप्लेन कर सकते हैं।
- मामला ज्यादा गंभीर होने की स्थिति में पुलिस से शिकायत कर सकते हैं और दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवा सकते हैं।
- आप antiragging.in पर भी अपनी शिकायत कर सकते हैं।
- amanmovemen.org पर भी रैगिंग की शिकायत कर सकते हैं।
- अगर आप शिकायतकर्ता के तौर पर अपनी पहचान जाहिर नहीं करवाना चाहते हैं तो किसी दोस्त, परिजन या रिश्तेदार से भी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं।
दोषी को क्या मिलेगी सजा?
केरल प्रिवेंशन ऑफ रैगिंग एक्ट 1998 के अनुसार, अगर कोई स्टूडेंट कॉलेज में रैगिंग की शिकायत करता है तो 7 दिनों के अंदर उस पर एक्शन लेना होगा। रैगिंग में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर शामिल स्टूडेंट को दोषी माना जाएगा। साथ ही दोषी पाए जाने पर 2 साल के कारावास की सजा और 10 हजार रुपये तक का जुर्माना देना पड़ सकता है।
क्या है रैगिंग?
रैगिंग का मतलब जूनियर छात्रों को उनके सीनियर्स द्वारा मेंटली और फिजिकली तौर पर परेशान करना, उत्पीड़न करना या धमकाना होता है। UGC के अनुसार, ऐसा कोई भी आचरण जिसमें जूनियर्स को चिढ़ाना और दुर्व्यवहार करना शामिल है। साथ ही ऐसी एक्टिविटी जिससे जूनियर्स को मेंटली प्रेशर झेलना पड़े, रैगिंग के अंतर्गत आता है। इसके अलावा छात्रों को ऐसे काम करने के लिए मजबूर करना जो शर्मिंदगी का कारण बन सकते हैं, जिससे उनकी मेंटल या फिजिकल हेल्थ प्रभावित होती है। रैगिंग में जूनियर्स से मामूली काम कराने से लेकर शारीरिक शोषण और सार्वजनिक अपमान जैसे व्यवहार शामिल होते हैं।
रैगिंग पर देश में प्रतिबंध
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने साल 2001 से ही रैगिंग पर प्रतिबंध लगाकर रखा है। इसके अलावा अलग-अलग राज्य सरकारों ने भी रैगिंग को लेकर नियम-कानून बनाए हैं। इनमें कारावास से लेकर अर्थ दंड तक के सख्त प्रावधान शामिल हैं। हालांकि, ये राज्यवार अलग-अलग हो सकते हैं। जिस राज्य में संस्थान स्थापित है, उस पर यूजीसी के साथ ही राज्य सरकार की ओर से बनाए गए कानून लागू होंगे। त्रिपुरा सरकार ने 4 वर्ष, महाराष्ट्र ने 2 वर्ष, उत्तर प्रदेश ने 2 वर्ष, छत्तीसगढ़ ने 5 वर्ष तक के कारावास के साथ ही जुर्माना का भी प्रावधान किया है।