Kerala high court judgement: केरल हाई कोर्ट ने एक पत्नी को पत्नी से मिलने की परमिशन दे दी है। 80 साल की महिला ने 92 साल के डिमेंशिया से पीड़ित पति से दोबारा मिलने की अनुमति मांगी थी। महिला ने याचिका में कहा था कि जब उसका पति परिवार के साथ घर में होता है, तभी वह खुश होता है। उनके बेटे ने उनको घर में रोक रखा है। जो उनको निराश करता है। केरल उच्च न्यायालय में मनोभ्रंश से पीड़ित व्यक्ति को लेकर सुनवाई हुई। महिला ने तर्क दिया था कि वे एक वरिष्ठ नागरिक की पत्नी हैं।
उनकी देखभाल और रखरखाव का उनको पूरा अधिकार है। हाई कोर्ट की एकल पीठ ने 6 अक्टूबर को महिला की याचिका को एडमिट किया था। महिला ने दावा किया था कि बेटे ने उनको घर में कैदी की तरह रखा हुआ है। वे अपने पति से दोबारा मिलना चाहती हैं। जिसके बाद अब न्यायमूर्ति देवन रामचंद्रन की एकल पीठ ने मामले में अनुमति दी है। साथ ही न्यायालय ने भरण-पोषण अपीलीय न्यायाधिकरण के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को भी रद्द कर दिया।
पति को अपनी पत्नी के साथ रहने का पूरा हक
आदेशों में कहा गया था कि 92 वर्षीय व्यक्ति को अपनी पत्नी के पास रहने का हक है, जिसके लिए उनको नेय्याट्टिनकारा में अपने परिवार के घर ले जाया जाए। बेटे ने तर्क दिया था कि पिता मनोभ्रंश या दूसरी बीमारियों से पीड़ित हैं। मां की ऐज ज्यादा है, वे देखभाल नहीं कर सकती हैं। पड़ोसी भी उनको धमकी देते हैं। जिसके कारण वे लोग पिता को घर में नहीं रख सकते। न्यायाधीश ने फैसला सुनाने से पहले डीजीपी और जिला सामाजिक न्याय अधिकारी की रिपोर्ट का भी अवलोकन किया। जिसके बाद में याचिकाकर्ता की मांगों पर गौर किया गया।
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कोर्ट ने कहा कि डिमेंशिया से पीड़ित होने और यादें कमजोर होने के बाद भी सीनियर सिटीजन को पत्नी के साथ रहने से सांत्वना मिलती है। सामाजिक अधिकारी ने भी कहा था कि दोनों लोग अच्छे पल साझा करेंगे, इससे मना नहीं किया जा सकता है। उनकी पत्नी को पति की सहायता और संभाल का अधिकार है। बेटा इससे इन्कार नहीं कर सकता। जिसके बाद कोर्ट ने फैसला सुना दिया।