Kerala Assembly Session: केरल विधानसभा ने सोमवार को राज्य का नाम बदलने का प्रस्ताव पारित किया गया। इस प्रस्ताव को विपक्ष का भी समर्थन मिला। कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ ने इस प्रस्ताव का पूरा समर्थन किया। विधानसभा में सोमवार को मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने राज्य का नाम बदलने का प्रस्ताव पारित किया था। बता दें कि विजयन सरकार यही प्रस्ताव अगस्त 2023 में पारित कर चुकी है लेकिन तकनीकी वजहों से दोबारा पेश किया गया है।
सीएम पिनाराई विजयन ने इसके पीछे विधानसभा में तर्क भी दिया। उन्होंने कहा कि राज्य का नाम मलयालम में केरलम है। सीएम ने आगे कहा कि भाषाई आधार पर राज्यों का गठन 1 नवंबर 1956 को हुआ था। केरल का जन्मदिन भी 1 नवंबर को ही है। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान भी मलयालम भाषा बोलने वालों के लिए अलग राज्य बनाने की मांग उठी थी। लेकिन संविधान की पहली अनुसूची में हमारे राज्य का नाम केरल लिखा हुआ है।
संसद के पास नाम बदलने की शक्ति
प्रस्ताव पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि राज्य की विधानसभा सर्वसम्मति से केंद्र को संविधान के अनुच्छेद 3 के तहत राज्य का नाम संशोधित करने और संविधान की आठवीं अनुसूची में उल्लेखित सभी भाषाओं में भी उसे केरलम करने का अनुरोध करती है। ऐसे में अब गेंद केंद्र सरकार के पाले में है। इसके लिए केंद्र सरकार को संसद सत्र के दौरान संविधान में संशोधन करना पड़ेगा। संविधान के अनुसार राज्यों के नाम बदलने और उनके सीमाओं के निर्धारण करने के अलावा नया राज्य बनाने की शक्ति संसद में निहित है। ऐसे में केंद्र सरकार की इच्छा पर निर्भर करेगा कि क्या वह नाम बदलने की इच्छुक है। हालांकि भाजपा की जड़ें केरल में मजबूत हो रही है। उनका वोट शेयर भी लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में राज्य के नाम के प्रस्ताव पर केंद्र भी मोहर लगा सकता है।
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पहले भी बदले गए कई शहरों के नाम
बता दें कि इससे पहले यूपी के साथ-साथ एमपी में शहरों और मोहल्लो और चैराहों नाम बदले गए हैं। यूपी में योगी सरकार ने इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज कर दिया था। वहीं एमपी में होशंगाबाद का नाम बदलकर नर्मदापुरम किया गया था। वहीं यूपी की राजधानी लखनऊ का नाम बदलने की मांग बार-बार की जाती है। बीजेपी के कई नेता राजधानी का नाम बदलकर लक्ष्मणपुर और लखनपुर करने की बात कहती है।