बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं। इससे पहले विपक्ष सीएम नीतीश के राष्ट्रगान के अपमान मामले में जमकर विरोध प्रदर्शन कर रहा है। चुनाव से पहले विपक्ष की लामबंदी से कहीं न कहीं एनडीए भी असहज दिख रहा है। शुक्रवार दिनभर चले विरोध प्रदर्शन के बाद जेडीयू और बीजेपी के नेताओं ने इस पर स्पष्टीकरण दिया। यानी दोनों पार्टियां इस मुद्दे पर बचाव की मुद्रा में रही। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी उनके मानसिक स्वास्थ्य पर सवाल उठाया। यह पहली बार नहीं है जब सीएम नीतीश कुमार पर विपक्ष ने सवाल उठाए। इससे पहले भी सीएम के वायरल वीडियो पर विपक्ष निशाना साधता रहा है।
सीएम नीतीश पर उठ रहे सवाल
आरजेडी नेता और एलओपी तेजस्वी यादव ने शुक्रवार को विधानसभा के बाहर कहा कि अब ये तो डाॅक्टर और स्वयं नीतीश कुमार बता पाएंगे कि उनको मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी क्या दिक्कत है? वहीं पूर्व सीएम राबड़ी देवी ने तो निशांत कुमार को सीएम बनाने की बात कह डाली। पिछले कई दिनों से खासतौर से आरजेडी लगातार यह मांग कर रही है कि निशांत कुमार को राजनीति में आना चाहिए। विपक्ष बार-बार आरोप लगा रहा है कि नीतीश कुमार अचेत अवस्था में हैं। उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं है।
एनडीए की कई पार्टियां भी परिवारवादी
बीजेपी अक्सर क्षेत्रीय और विपक्षी पार्टियों पर परिवारवाद का आरोप लगाती रही है। हालांकि एनडीए में शामिल कई पार्टियां ऐसी है जोकि बीजेपी के परिवारवाद वाले आरोप में फिट बैठती है। बिहार की ही बात करें तो एलजेपी की स्थापना रामविलास पासवान ने की, उनकी मृत्यु के बाद अब पार्टी की कमान उनके बेटे चिराग पासवान के पास है। आंध्रप्रदेश में सत्ताधारी टीडीपी में सीएम नायडू के बेटे सरकार में मंत्री हैं।
बिहार की क्षेत्रीय पार्टियों की क्या स्थिति?
बिहार की राजनीतिक पार्टियों की बात करें तो आरजेडी की स्थापना लालू यादव ने की थी। अब पार्टी की कमान उनके बेटे तेजस्वी संभाल रहे हैं। वहीं एलजेपी की कमान अब चिराग पासवान के पास हैं। पीछे बचती है जेडीयू। जेडीयू का राजनीतिक वारिस कौन होगा? ये बड़ा सवाल है। जेडीयू पर आरजेडी परिवारवाद का आरोप इसलिए नहीं लगा पाती है क्योंकि सीएम के बेटे निशांत कुमार सक्रिय राजनीति से दूर है। हालांकि नीतीश के लिए दुविधा ये भी रही है कि वे पार्टी में किसी दूसरे नेता पर भरोसा भी नहीं कर पाए। समय और परिस्थिति के अनुसार पार्टी में उनके सिपहसालार भी बदलते रहे हैं। वे अपनी पार्टी में दूसरी पंक्ति के नेता भी तैयार नहीं कर पाएं। जोकि उनके बाद पार्टी चलाएंगे। बेटे निशांत कुमार ने अभी पार्टी जाॅइन भी नहीं की है। ऐसे में सवाल है कि नीतीश कुमार के बाद जेडीयू को कौन संभालेगा?
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नीतीश कुमार से गलती तो हुई है
राष्ट्रगान विवाद और जेडीयू के राजनीतिक भविष्य पर वरिष्ठ पत्रकार राजेश बादल ने कहा कि नीतीश कुमार से गलती तो हुई है। उनके खिलाफ मामला भी दर्ज हुआ है। नैतिक आधार पर उनको इस्तीफा दे देना चाहिए। राष्ट्र गौरव को ठेस पहुंचाई है। अगर वे इस्तीफा देते हैं तो कहीं के नहीं रहेंगे। बीजेपी तो यही चाहती है कि उनसे पीछा छुड़ाया जाए। पिछले चुनाव में उन्होंने चिराग पासवान को आगे कर जेडीयू के वोट कटवाए। बीजेपी अति पिछड़ा से किसी ऐसे नेता को आगे करना चाहती है जो नीतीश कुमार का विकल्प बन सके। अगले चुनाव के बाद नीतीश कुमार की पार्टी 20 सीटों पर सिमट जाएगी। उनके बाद अब कोई विकल्प ही नहीं है। अगर नैतिक आधार पर इस्तीफा देंगे तो उनके लिए सम्मानजनक स्थिति बन सकती है।
नीतीश कुमार ही जेडीयू है
नीतीश कुमार के बाद जेडीयू का सियासी भविष्य क्या होगा? इस पर राजेश बादल कहते हैं कि नीतीश कुमार ही जेडीयू है। भारत की किसी भी क्षेत्रीय पार्टी में लोकतंत्र नहीं है। तमिलनाडु में स्टालिन, एनसीपी में अजित पवार, शिवसेना में शिंदे और उद्धव ठाकरे अपने-अपने गुट के मुखिया है। यूपी में मायावती अपने दल की मुखिया है, सपा में अखिलेश यादव हैं। ऐसे में अगर इन पार्टियों ने लोकतांत्रिक तरीके से पार्टियां नहीं चलाई तो इनका राजनीतिक भविष्य समाप्त है।
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