Deendayal Upadhyaya philosophy: भारतीय जनसंघ के संस्थापक और आरएसएस के बड़े प्रचारक रहे पंडित दीनदयाल उपाध्याय के ऐतिहासिक एकात्म मानववाद व्याख्यान को 60 साल पूरे हो चुके हैं। आज से 60 साल पहले मुंबई के रामनारायण रुइया कॉलेज में पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने एकात्म मानव दर्शन पर अपने 4 व्याख्यान दिए। इन व्याख्यानों ने उपाध्याय की छवि को राष्ट्रीय स्तर पर चमकाने का काम किया। पीएम मोदी भी प्रधानमंत्री के तौर पर अपने कार्यकाल के 11 साल पूरे कर चुके हैं। ऐसे में मोदी के शासन में उपाध्याय के एकात्म मानववाद की झलक देखने को मिलती है। पीएम मोदी ने अपने शासन के दौरान लिए गए निर्णयों के जरिए उपाध्याय की आशंकाओं और आशाओं को अभिव्यक्त किया है।
दीनदयाल ने जनसंघ की लौ को पूरे देश में पहुंचाया
पीएम मोदी संघ के पूर्णकालिक प्रचारक थे। चार दशक से ज्यादा समय से सार्वजनिक जीवन में हैं। इस दौरान वे कई दिग्गज नेताओं से मिले। जिनको उपाध्याय ने बनाया होगा। पंडित दीनदयाल उपाध्याय 1951 में संघ से जनसंघ में आए। ताकि श्यामा प्रसाद मुखर्जी का साथ दे सके। इसके बाद उपाध्याय ने अगले 15 सालों में जनसंघ और उसके दीपक की लौ को पूरे भारत में पहुंचाने का काम किया।
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25 साल से संवैधानिक पद पर हैं पीएम मोदी
पीएम मोदी संघ के प्रचारक रहे। इसके बाद उन्हें पार्टी में अलग-अलग पदों पर रहने का मौका मिला। वे पिछले 25 सालों से संवैधानिक पद पर है। जोकि उनकी उपयोगिता और कार्यशैली को दिखाता है। मोदी ने किस तरह पहले गुजरात और फिर पूरे भारत के मतदाताओं में अपनी अमिट छाप छोड़ी। अपने फैसलों के जरिए उन्होंने साबित किया कि क्यों जनता उनको बार-बार चुन रही है।
दीनदयाल के विचारों से मोदी-अटल दोनों प्रभावित
दीनदयाल उपाध्याय के राजनीतिक शिष्य थे पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी। अटल बिहारी पहले गैर कांग्रेसी पीएम थे जिन्होंने पूरे 5 साल शासन किया। अटल बिहारी के बाद नरेंद्र मोदी दूसरे प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने एक नहीं बल्कि दो-दो बार प्रधानमंत्री के तौर पर अपने 5 साल पूरे किए हैं। ऐसे में पीएम मोदी की नीतियों और दृष्टिकोण में दीनदयाल के एकात्म मानववाद की झलक दिखती है। पीएम मोदी से पहले अटल बिहारी वाजपेयी ने भी दीनदयाल के विचारों को अपने शासन में अपनाने का काम किया। जिसमें परमाणु परीक्षण और सर्व शिक्षा अभियान को उन्होंने प्राथमिकता दी।
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