---विज्ञापन---

देश

Kalka Mail: देश में दौड़ती थी एक ऐसी ट्रेन, जिसमें भारतीय नहीं कर सकते थे सफर

Indian railways oldest train kalka mail: इंडियन रेलवे का इतिहास काफी समृद्ध है। जो अपने लंबे-चौड़े नेटवर्क के लिए दुनिया में नाम रखती है। एक अनुमान के हिसाब से भारतीय रेलवे 4 करोड़ लोगों को रोजाना सफर करवाती है। आपको यहां भारत की 157 करोड़ साल पुरानी ट्रेन के बारे में बताने जा रहे हैं, […]

Author Published By : News24 हिंदी Updated: Sep 30, 2023 12:51
Indian Railways

Indian railways oldest train kalka mail: इंडियन रेलवे का इतिहास काफी समृद्ध है। जो अपने लंबे-चौड़े नेटवर्क के लिए दुनिया में नाम रखती है। एक अनुमान के हिसाब से भारतीय रेलवे 4 करोड़ लोगों को रोजाना सफर करवाती है। आपको यहां भारत की 157 करोड़ साल पुरानी ट्रेन के बारे में बताने जा रहे हैं, जो भारत के गौरव और शानदार इतिहास से रूबरू करवाती है।

यह भी पढ़ें-छात्रों की मौत के बाद मणिपुर में हिंसा जारी, कई इलाकों से 9 घंटे हटाया गया कर्फ्यू

---विज्ञापन---

इस ट्रेन का नाम है कालका मेल। जिसे अंग्रेजों ने एक जनवरी 1866 को शुरू किया था। यह ट्रेन ईस्ट इंडियन रेलवे मेल के नाम से शुरू हुई थी, जो पश्चिम बंगाल को हरियाणा से जोड़ती है। यानी हावड़ा से पंचकूला जिले के कालका के बीच सेतु का काम करती है। रेल मंत्रालय की ओर से इस ट्रेन का नाम अब नेताजी एक्सप्रेस किया जा चुका है। 2021 जनवरी में नाम चेंज कर दिया गया था।

गर्मी के कारण शिमला को बनाया था राजधानी

जिस समय भारत में अंग्रेजों का कब्जा था, तब राजधानी कोलकाता थी। गर्मी अधिक होने के कारण अंग्रेजों ने शिमला को ग्रीष्मकालीन कैपिटल घोषित कर रखा था। जिसके बाद कोलकाता से शिमला आवागमन के लिए इस ट्रेन को शुरू किया गया था। यह ट्रेन दो हिस्सों में चलती थी। पहले हावड़ा से दिल्ली आती थी। लेकिन 1891 में इस लाइन का विस्तार कालका तक कर दिया गया। इस ट्रेन में सिर्फ अंग्रेज अधिकारी कालका आते थे। भारतीयों को सफर करने की अनुमति नहीं थी।

---विज्ञापन---

इस ट्रेन का नाम तीन बार बदला गया था। पहले इस ट्रेन को ईस्ट इंडिया रेलवे मेल के नाम से जाना जाता था। तब इसका संचालन ईस्ट इंडियन रेलवे कंपनी करती थी। जिसमें वायसराय से लेकर सभी अंग्रेज अफसर कोलकाता से राजधानी को शिमला बना लेते थे। वहीं, सर्दी शुरू होते ही अंग्रेज इसी ट्रेन से कोलकाता लौट जाते थे। इस ट्रेन का सीधा नाता नेताजी सुभाष चंद्र बोस से भी रहा है। जो अंग्रेजों की आंखों में धूल झोंककर 18 फरवरी 1941 को फरार हो गए थे। इस ट्रेन का सफर काफी शानदार माना जाता है।

First published on: Sep 30, 2023 12:42 PM
संबंधित खबरें

Leave a Reply

You must be logged in to post a comment.