पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव के बीच केंद्र सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। केंद्र सरकार ने सेना प्रमुख को प्रादेशिक सेना (टेरिटोरियल आर्मी) के सदस्यों को बुलाने के लिए अधिकृत किया है। यह फैसला रक्षा मंत्रालय ने टेरिटोरियल आर्मी रूल्स, 1948 के नियम 33 द्वारा प्रदत्त शक्तियों के तहत लिया है। रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी एक सर्कुलर में कहा गया है कि केंद्र सरकार टेरिटोरियल आर्मी रूल 1948 के नियम 33 के तहत सेना प्रमुख को यह अधिकार देती है कि वे टेरिटोरियल आर्मी के हर अधिकारी और जवान को बुला सकें। टेरिटोरियल आर्मी के जवान जरूरी सुरक्षा प्रदान करेंगे या रेगुलर आर्मी को सपोर्ट करेंगे। इसका सीधा मतलब है कि सेना प्रमुख के पास अब टेरिटोरियल आर्मी को इस्तेमाल करने की ज्यादा शक्ति होगी। रक्षा मंत्रालय के सैन्य मामलों के विभाग ने 6 मई को एक अधिसूचना जारी की थी, जिसमें कहा गया है कि यह आदेश 10 फरवरी 2025 से 9 फरवरी 2028 तक 3 वर्षों के लिए लागू रहेगा।
क्या होती है टेरिटोरियल आर्मी?
टेरिटोरियल आर्मी रेगुलर आर्मी के द्वितीयक बल के रूप में अपनी भूमिका के लिए जानी जाती है। यह एक स्वैच्छिक संगठन है, जिसमें नागरिक जीवन में भी अपनी नौकरी या व्यवसाय करते हुए सैनिक सेवा का अनुभव प्राप्त कर सकते हैं। इसमें स्वयंसेवक शामिल होते हैं, जिन्हें राष्ट्रीय आपात स्थितियों और आंतरिक सुरक्षा कर्तव्यों के लिए सैन्य प्रशिक्षण प्राप्त होता है। टेरिटोरियल आर्मी की स्थापना 9 अक्टूबर 1949 को हुई थी और पिछले वर्ष इसकी स्थापना के 75 वर्ष पूरे हुए हैं। इस बल ने दशकों की अपनी यात्रा के दौरान युद्ध के समय एवं मानवीय और पर्यावरण संरक्षण कार्यों में राष्ट्र की सेवा की है। यह पूरी तरह से रेगुलर आर्मी के साथ समन्वित है। राष्ट्र निर्माण के प्रयासों और युद्ध या संघर्ष के दौरान किए गए योगदान के सम्मान में टेरिटोरियल आर्मी के कई व्यक्तियों को वीरता के साथ-साथ विशिष्ट सेवा पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।
टेरिटोरियल आर्मी को मिलती हैं ये सुविधाएं
टेरिटोरियल आर्मी की सुविधाओं की बात करें तो इसमें चयनित उम्मीदवारों को सैलरी के साथ-साथ कई सारे भत्ते और लाभ मिलते हैं। जैसे- उम्मीदवारों को सीएसडी, चिकित्सा और मुफ्त राशन, आर्मी कैंटीन की सुविधाएं मिलती है। सैलरी अलग-अलग रैंक के हिसाब होती है, जो 56,100 रुपये से लेकर 2,25,000 रुपये के बीच होता है। टेरिटोरियल आर्मी में अधिकारी, जूनियर कमीशंड अधिकारी और अन्य जवान होते हैं, जिन्हें मुख्य सेना की तरह रैंक और ट्रेनिंग भी दी जाती है।
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इन क्षेत्रों में किया जाएगा तैनात
रक्षा मंत्रालय ने घोषणा की है कि इसका क्रियान्वयन मौजूदा 32 टेरिटोरियल आर्मी इन्फैंट्री बटालियनों से किया जाएगा और चयनित इकाइयों को दक्षिणी, पूर्वी, पश्चिमी, मध्य, उत्तरी और दक्षिण पश्चिमी कमानों के साथ-साथ अंडमान और निकोबार कमान और सेना प्रशिक्षण कमान (एआरटीआरएसी) सहित विभिन्न प्रमुख सैन्य क्षेत्रों में तैनात किया जाएगा। यह तैनाती तभी होगी जब बजट में पैसा होगा या बजट के अंदर ही पैसे का इंतजाम हो जाएगा। मंत्रालय ने यह भी साफ किया है कि अगर रक्षा मंत्रालय के अलावा किसी और मंत्रालय के कहने पर इन यूनिट्स को तैनात किया जाता है तो उसका खर्च उस मंत्रालय को ही देना होगा। यह पैसा रक्षा मंत्रालय के बजट में शामिल नहीं होगा।
भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच लिया गया फैसला
यह फैसला ऐसे समय में आया है, जब हाल ही में भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाया है। इस ऑपरेशन में 100 से ज्यादा आतंकवादी मारे गए हैं। भारत की इस कार्रवाई के बाद पाकिस्तान ने LoC (लाइन ऑफ कंट्रोल) और इंटरनेशनल बॉर्डर पर मिसाइलें और ड्रोन भेजे, लेकिन सेना के एयर डिफेंस सिस्टम ने उन्हें मार गिराया।