---विज्ञापन---

देश

‘पाकिस्तान के खिलाफ अभियान जारी रखना चाहिए’, ओवैसी ने PAK के साथ सीजफायर पर सरकार से पूछे ये 4 सवाल

India Pakistan Ceasefire: असदुद्दीन ओवैसी ने भारतीय सेना और सरकार का समर्थन करते हुए कहा कि मैं हमेशा बाहरी आक्रमण के खिलाफ सरकार और सशस्त्र बलों के साथ खड़ा रहा हूं, और यह आगे भी जारी रहेगा। मैं हमारी सेना की बहादुरी और अद्वितीय कौशल की सराहना करता हूं। उन्होंने कहा कि जब तक पाकिस्तान भारत के खिलाफ आतंकवाद के लिए अपनी जमीन का इस्तेमाल करता रहेगा, तब तक स्थायी शांति संभव नहीं है।

Author Edited By : Satyadev Kumar
Updated: May 10, 2025 23:22
Asaduddin Owaisi
Asaduddin Owaisi

भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम पर शनिवार को सहमति बन गई है। सरकार ने भी युद्धविराम की पुष्टि कर दी है, लेकिन AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सीजफायर के ऐलान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जब तक पाकिस्तान अपनी धरती का इस्तेमाल भारत के खिलाफ आतंकवाद फैलाने के लिए करता रहेगा, तब तक स्थायी शांति संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि चाहे सीजफायर हो या न हो, पहलगाम हमले के जिम्मेदार आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई जारी रहनी चाहिए।

असदुद्दीन ओवैसी ने क्या कहा?

ओवैसी ने भारतीय सेना और सरकार का समर्थन करते हुए कहा कि मैं हमेशा बाहरी आक्रमण के खिलाफ सरकार और सशस्त्र बलों के साथ खड़ा रहा हूं और यह आगे भी जारी रहेगा। मैं हमारी सेना की बहादुरी और अद्वितीय कौशल की सराहना करता हूं। मैं शहीद हुए जवान एम मुरली नाइक, एडीसीसी राज कुमार थापा को श्रद्धांजलि देता हूं और इस संघर्ष में मारे गए या घायल हुए नागरिकों के लिए प्रार्थना करता हूं। ओवैसी ने युद्धविराम से सीमावर्ती क्षेत्रों के लोगों को राहत मिलने की उम्मीद जताई। उन्होंने कहा कि ‘आशा करता हूं कि यह सीजफायर सीमा क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को कुछ राहत देगा। मैं यह भी आशा करता हूं कि भारतीय और भारतीय राजनीतिक दल पिछले दो हफ्तों से कुछ सबक लेंगे। भारत तब मजबूत होता है जब भारतीय एकजुट होते हैं; हमारे दुश्मन तब फायदा उठाते हैं जब भारतीय आपस में लड़ते हैं।’

---विज्ञापन---

ओवैसी ने सरकार से पूछे 4 सवाल

ओवैसी ने कहा कि मेरे कुछ सवाल हैं और मुझे उम्मीद है कि सरकार इनका स्पष्टीकरण देगी।

1. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बजाय एक विदेशी देश के राष्ट्रपति ने संघर्षविराम की घोषणा क्यों की? शिमला समझौते (1972) के बाद से ही भात हमेशा तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप के खिलाफ रहा है, तो अब हमने इसे स्वीकार क्यों किया? मुझे उम्मीद है कि कश्मीर मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण नहीं होगा, क्योंकि यह हमारा आंतरिक मामला है।

---विज्ञापन---

2. हम किसी तीसरे स्थान पर बातचीत के लिए क्यों तैयार हुए हैं? इन वार्ताओं का एजेंडा क्या होगा? क्या अमेरिका यह गारंटी देगा कि पाकिस्तान भविष्य में अपनी धरती का आतंकवाद के लिए इस्तेमाल नहीं करेगा?

3. क्या हम पाकिस्तान को भविष्य के आतंकी हमलों से रोकने के अपने लक्ष्य में सफल हुए हैं या केवल एक संघर्षविराम ही हमारा उद्देश्य था? क्या हमारा लक्ष्य ट्रंप-द्वारा मध्यस्थता से सीजफायर कराना था या पाकिस्तान को इस स्थिति में लाना था कि वह किसी और हमले का सपना भी न देख सके?

4. पाकिस्तान को FATF की ग्रे लिस्ट में डालने के लिए हमारी अंतरराष्ट्रीय मुहिम जारी रहनी चाहिए।

First published on: May 10, 2025 11:22 PM

संबंधित खबरें