जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस हमले में निर्दोष नागरिकों की बेरहमी से हत्या कर दी गई। इसके जवाब में भारत ने “ऑपरेशन सिंदूर” नाम से एक सख्त कार्रवाई की। इसके बाद पाकिस्तान ने जम्मू और पंजाब में कुछ जगहों पर ड्रोन और मिसाइल से हमला करने की कोशिश की। लेकिन भारतीय वायुसेना ने अपनी मजबूत सुरक्षा व्यवस्था और जबरदस्त एयर डिफेंस सिस्टम की मदद से इसे रोक दिया। भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान का एक F-16 लड़ाकू विमान मार गिराया। सरकारी जानकारी के अनुसार, पाकिस्तान का एक और लड़ाकू विमान JF-17 भी गिराया गया है। इस पूरे ऑपरेशन में भारतीय वायुसेना ने लगभग 1,800 किलोमीटर के इलाके में हवाई सुरक्षा बढ़ा दी। उन्होंने जम्मू, श्रीनगर, पठानकोट और भुज जैसे 15 से ज्यादा सैन्य ठिकानों को पूरी तरह से सुरक्षित रखा।
आकाश मिसाइल प्रणाली ने दिखाई अपनी ताकत
इस हमले से बचाव के लिए भारत ने तीन खास हथियारों का इस्तेमाल किया आकाश मिसाइल, MRSAM मिसाइल और Zu-23 तोप। आकाश मिसाइल भारत में ही बनाई गई है, जिसे DRDO ने तैयार किया है। यह मिसाइल 45 से 70 किलोमीटर दूर तक दुश्मन के विमानों या ड्रोन को मार सकती है। यह एक साथ कई दुश्मनों को भी निशाना बना सकती है। इस मिसाइल का नया वर्जन आकाश-NG और भी ज्यादा ताकतवर है। इसने दुश्मन के ड्रोन और ‘लोइटरिंग म्युनिशन’ (जो हवा में घूमते रहते हैं और सही मौका देखकर हमला करते हैं) को भी सफलतापूर्वक गिराया है। इस मिसाइल को जल्दी-जल्दी एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है। इसमें खास तकनीक लगी है जिससे दुश्मन की इलेक्ट्रॉनिक कोशिशों से इसे रोका नहीं जा सकता। इसलिए यह युद्ध के मैदान में बहुत काम की साबित हुई।
MRSAM ने बढ़ाई वायु रक्षा की क्षमता
MRSAM सिस्टम भारत और इजराइल ने मिलकर बनाया है। यह मिसाइल सिस्टम 70 से 100 किलोमीटर दूर तक दुश्मन के टारगेट को मार सकता है। इसका इस्तेमाल खासतौर पर तेज रफ्तार से आने वाली क्रूज मिसाइलों को रोकने के लिए किया गया। यह बहुत खतरनाक मिसाइलें होती हैं, लेकिन MRSAM उन्हें भी रोक सकता है। इस सिस्टम में खास रडार टेक्नोलॉजी लगी है जो दुश्मन के टारगेट को पहचान कर उसे सही समय पर निशाना बनाती है। इसकी वर्टिकल लॉन्च टेक्नोलॉजी की वजह से यह मिसाइल किसी भी दिशा में फौरन दागी जा सकती है। यह सिस्टम भारतीय वायुसेना के IACCS नेटवर्क से जुड़ा है, जो एक तरह का बड़ा कंप्यूटर सिस्टम है। यह सिस्टम तुरंत खतरे की जानकारी देता है और MRSAM उसी समय हमला कर दुश्मन को नष्ट कर देता है।
Zu-23 तोप और जैमिंग सिस्टम से अंतिम सुरक्षा
आखिरी और सबसे नजदीकी सुरक्षा के लिए Zu-23-2 तोपों का इस्तेमाल किया गया। ये तोपें 2 से 3 किलोमीटर की दूरी पर उड़ रहे दुश्मन के ड्रोन को आसानी से गिरा सकती हैं।हालांकि ये पुरानी टेक्नोलॉजी की हैं, लेकिन ये अब भी कम खर्च में बहुत अच्छी सुरक्षा देती हैं। इसके साथ-साथ, भारत ने इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग और स्पूफिंग सिस्टम का भी इस्तेमाल किया। इन तकनीकों ने पाकिस्तानी ड्रोन के नेविगेशन सिस्टम (जिससे ड्रोन रास्ता पहचानते हैं) को खराब कर दिया। इस वजह से कई ड्रोन अपने रास्ते से भटक गए और गिर गए। इनके टुकड़े जम्मू, पंजाब और गुजरात में मिले। इससे पहले भारत ने रूस से मिली S-400 ‘सुदर्शन चक्र’ प्रणाली का इस्तेमाल कर पाकिस्तान के बड़े हमले को रोक दिया था। यह सिस्टम बहुत दूर से ही दुश्मन की मिसाइलों और विमानों को पहचान कर उन्हें गिरा सकता है। यह पूरा ऑपरेशन दिखाता है कि अब भारत की रक्षा ताकत और तकनीक बहुत मजबूत हो चुकी है। भारत में बनी आकाश मिसाइल और इजराइल के साथ मिलकर बनी MRSAM मिसाइल ने यह साबित कर दिया कि भारत अब हवाई हमलों से निपटने में आत्मनिर्भर और पूरी तरह तैयार है।