भारत की उदार प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) नीति ग्लोबल इन्वेस्टर्स के लिए निवेश का अवसर प्रदान करती है। यह मौका विशाल और विस्तारित अर्थव्यवस्था में निवेश करने वालों के लिए है। कंपनी डेलॉयट ने रविवार को यह बात कही है। डेलॉयट ने कहा कि ‘फार्मास्यूटिकल्स, गाड़ियां और पर्यटन जैसे क्षेत्र न केवल FDI के लिए आकर्षण का केंद्र हैं, बल्कि रोजगार, निर्यात और इनोवेशन के इंजन भी हैं, जो भारत की अगली विकास लहर को गति प्रदान करेंगे।
हो रही महत्वपूर्ण प्रगति
भारत ने बीमा, बीमा मध्यस्थ, पर्यटन निर्माण, अस्पताल और चिकित्सा उपकरण जैसे प्रमुख क्षेत्रों समेत कई क्षेत्रों में 100 फीसदी फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट की इजाजत देकर महत्वपूर्ण प्रगति की है। डेलॉयट इंडिया की अर्थशास्त्री रुमकी मजूमदार का इस पर कहना है कि ‘यह कदम न केवल खुलेपन बल्कि स्थिरता का भी संकेत देता है, जो ग्लोबल इंवेस्टर्स को भारत की विशाल और बढ़ती अर्थव्यवस्था में उतरने के लिए एक बेहतर अवसर प्रदान करता है।’
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मजूमदार ने आगे कहा कि ’70 अरब अमेरिकी डॉलर की राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (National Monetisation Pipeline) और 100 से अधिक शहरों में औद्योगिक गलियारे के विकास के जरिए भारत ग्लोबल इंवेस्टर्स को निवेश के लिए तैयार क्षेत्रों की पेशकश कर रहा है। उन्होंने कहा कि ‘पर्यटन (जीडीपी में 199.6 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक का योगदान) और हॉस्पिटैलिटी जैसे क्षेत्रों में अब होटलों और मनोरंजन सुविधाओं के निर्माण में 100 प्रतिशत FDI की अनुमति है, जिससे पारदर्शी और स्टेबल इन्वेस्टमेंट के तौर पर भारत की छवि और ज्यादा निखरेगी।
मेक इन इंडिया को बढ़ावा
रुमकी मजूमदार ने कहा कि बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने और एफडीआई से लॉजिस्टिक्स, रियल एस्टेट और शहरी विकास में अवसर पैदा हो रहे हैं। कुल मिलाकर अप्रैल-दिसंबर 2024-25 के दौरान देश में एफडीआई प्रवाह 27 फीसदी बढ़कर 40.67 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया, जबकि 2023-24 की इसी अवधि में यह 32 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।
इसके अलावा, मजूमदार ने कहा कि ‘भारत कई देशों के साथ व्यापार समझौतों के जरिए ग्लोबल कॉमर्स में अपनी भूमिका को मजबूत कर रहा है। मजूमदार ने कहा, ‘ये समझौते टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाओं को दूर कर रहे हैं, जो मेक इन इंडिया को बढ़ावा दे रहे हैं।’
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