India Pakistan War Situation: पाकिस्तान इस समय आर्थिक संकट और भारत के साथ सैन्य तनाव से जूझ रहा है। मई 2025 में दोनों देशों के बीच बढ़े तनाव ने हवाई क्षेत्र बंद कर दिए और व्यापार को ठप कर दिया है। ऐसे में, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की ओर से 9 मई 2025 को पाकिस्तान के लिए 7 अरब डॉलर के लोन प्रोग्राम की पहली रिव्यू को मंजूरी दे दी गई है, इसमें 1 बिलियन डॉलर तत्काल Extended Fund Facility (EFF) के तहत और 1.3 बिलियन डॉलर Resilience and Sustainability Facility (RSF) के तहत शामिल हैं। यह मदद पाकिस्तान की कमजोर अर्थव्यवस्था को कुछ राहत दे सकती है।
इस दौरान पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था गहरे संकट में है। 2025 में उसका विदेशी कर्ज 125 बिलियन डॉलर (लगभग 10.4 लाख करोड़ रुपये) तक पहुंच गया है, जो जीडीपी का 42% है। विदेशी मुद्रा भंडार केवल 9.5 बिलियन डॉलर हैं, जो दो महीने के आयात को भी मुश्किल से कवर कर सकता है। 2023 में 38% तक रही मुद्रास्फीति अब 1-1.5% तक कम हुई है, लेकिन बेरोजगारी और गरीबी बढ़ रही है। मई 2025 में भारत-पाकिस्तान तनाव के चलते उड़ानें रद्द कर दी गई थीं और व्यापार को प्रभावित किया गया था, जिससे पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति और बिगड़ गई है।
आईएमएफ ने की 2.3 बिलियन डॉलर की मदद
IMF ने 9 मई 2025 को पाकिस्तान के लिए दो बड़ी धन राशि के पैकेज मंजूर किए हैं। इसमें 1 बिलियन डॉलर तत्काल मदद हुई है। यह Extended Fund Facility (EFF) के तहत दी गई, जो 7 बिलियन डॉलर के मौजूदा प्रोग्राम का हिस्सा है। इससे कुल EFF मदद अब 2.1 बिलियन डॉलर हो गई है। इसके साथ ही 1.3 बिलियन डॉलर RSF मतलब यह धनराशि Resilience and Sustainability Facility के तहत 28 महीनों में किश्तों में मिलेगी, जिसका मकसद जलवायु परिवर्तन और आर्थिक स्थिरता को बढ़ावा देना है।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इस मदद को ‘भारत की दबाव की रणनीति की हार’ और अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक कदम बताया। IMF का कहना है कि यह मदद आर्थिक सुधारों और स्थिरता को बढ़ावा देगी।
कितनी राहत देगी यह मदद
यह 2.3 बिलियन डॉलर की सहायता युद्ध के बीच पाकिस्तान को कुछ मदद कर सकती है। इस 1 बिलियन डॉलर की तत्काल मदद से पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार 9.5 बिलियन से बढ़कर 10.5 बिलियन डॉलर हो सकता है, जिससे आयात और कर्ज की किश्तें चुकाने में राहत मिलेगी। IMF की मंजूरी से सऊदी अरब, यूएई, और चीन जैसे देशों से अतिरिक्त मदद मिलने की संभावना बढ़ेगी।
साल 2023 में सऊदी अरब ने 2 बिलियन डॉलर का डिपॉजिट दिया था। यह राशि स्वास्थ्य, शिक्षा, और बुनियादी ढांचे जैसे क्षेत्रों में खर्च को बनाए रखने में मदद करेगी, जिससे जनता को कुछ राहत मिल सकती है। RSF फंड जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाओं से निपटने में मदद करेगा, जो पाकिस्तान जैसे जोखिम वाले देश के लिए जरूरी है।
क्या होगा दोनों देशों के बीच तनाव का आर्थिक प्रभाव?
भारत ने अप्रैल 2025 के पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया। इसके जवाब में, पाकिस्तान ने सैन्य कार्रवाइयां शुरू कीं। इससे दोनों देशों में बीच तनाव बढ़ गया। इस तनाव के चलते दोनों देशों के हवाई क्षेत्र बंद हो गए, उड़ानें रद्द हुईं, और व्यापार ठप हो गया। 2024 में पाकिस्तान ने रक्षा बजट को 15.4% बढ़ाकर 18000 करोड़ रुपये (2.2 बिलियन डॉलर) किया था, और अब इस तनाव ने सैन्य खर्च को और बढ़ा दिया है।
एक सीमा तक ही उपयोग हो सकती है धनराशि
दोनों देशों के बीच तनाव के चलते सैन्य संसाधनों पर भारी खर्च हो रहा है। 2.3 बिलियन डॉलर इस खर्च को लंबे समय तक कवर नहीं कर सकता है। अगले तीन साल में पाकिस्तान को 90 बिलियन डॉलर का कर्ज चुकाना है। यह मदद इस बोझ को कम करने में छोटी है। IMF ने कर बढ़ाने, सब्सिडी हटाने, और निजीकरण की शर्तें लगाई हैं। ये शर्तें जनता में असंतोष बढ़ा सकती हैं, खासकर इस समय को ऐसा होना संभव है। युद्ध के कारण व्यापार और निवेश में कमी आई है, जिससे इस मदद का प्रभाव सीमित हो सकता है।
भारत ने किया था विरोध
भारत ने इस मदद का कड़ा विरोध किया था। इसके पीछे भारत ने तर्क दिया था किए कि पाकिस्तान इन फंड्स का दुरुपयोग आतंकवाद के लिए कर सकता है। भारत ने IMF की वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया और कहा कि पाकिस्तान का सुधारों में खराब रिकॉर्ड और सेना का अर्थव्यवस्था में दखल इस मदद की सफलता पर सवाल उठाता है। भारत ने पहलगाम हमले का हवाला देते हुए कहा कि यह फंड आतंकवाद को बढ़ावा दे सकता है।










