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‘लड़ाकू विमान नहीं तो दुश्मन से मुकाबला कैसे?’, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से पहले वायुसेना प्रमुख ने क्यों कही थी ये बात

न्यूज 24 को मिली जानकारी के अनुसार, भारतीय वायुसेना और एचएएल के बीच 1.1 लाख करोड़ रुपए का बड़ा समझौता हुआ था. इस करार के तहत, एचएएल को पहली खेप 2021 में ही देनी थी, जिसमें 83 फाइटर जेट शामिल थे.

Author Written By: Pawan Mishra Updated: Dec 12, 2025 19:13

भारत की सुरक्षा और वायुसेना की क्षमता को लेकर बड़ा सवाल एक बार फिर खड़ा हो गया है. ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से ठीक पहले भारतीय वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमन प्रीत सिंह ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को सख्त लहजे में चेतावनी दी थी. सूत्रों के मुताबिक उन्होंने एचएएल प्रमुख डी.के. सुनील से स्पष्ट कहा था कि ‘अगर भारतीय वायुसेना के पास लड़ाकू विमान नहीं होंगे, तो दुश्मन से मुकाबला कैसे किया जाएगा?’

ग्राउंड रियलिटी कुछ और…


वायुसेना प्रमुख के इस बयान के बाद एचएएल प्रमुख ने जल्द ही सप्लाई शुरू करने का भरोसा दिलाया था. लेकिन ग्राउंड रियलिटी कुछ और बयां कर रही है. ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत के बाद अब भले ही सीमाओं पर युद्धविराम लागू है, पर तनाव अभी भी बरकरार है. कश्मीर के पहलगाम में हाल में हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष लोगों की मौत ने एक बार फिर वायुसेना और थलसेना दोनों को अपने हथियारों की कमी पर गंभीर चिंता में डाल दिया है.

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सालों से अधूरी वादे और अटकी डिलीवरी


दरअसल, भारतीय वायुसेना पिछले दस वर्षों से लड़ाकू और ट्रेनिंग विमानों की कमी से जूझ रही है. इस कमी को दूर करने के लिए एचएएल को करोड़ों रुपए का टेंडर दिया गया था कि वह तय समयसीमा में 180 जेट्स वायुसेना को सौंपे. समझौते के मुताबिक, दिसंबर 2025 तक एचएएल को 10 फाइटर जेट और 12 ट्रेनिंग जेट्स डिलीवर करने थे.

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लेकिन साल खत्म होने को है और अब तक एचएएल केवल 5 लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) और 3 HTT-40 बेसिक ट्रेनर देने की बात कह रही है. यानी तय टारगेट का आधा भी पूरा नहीं हुआ है.

1.1 लाख करोड़ रुपए का करार और अधूरे वादे


न्यूज 24 को मिली जानकारी के अनुसार, भारतीय वायुसेना और एचएएल के बीच 1.1 लाख करोड़ रुपए का बड़ा समझौता हुआ था. इस करार के तहत, एचएएल को पहली खेप 2021 में ही देनी थी, जिसमें 83 फाइटर जेट शामिल थे. दूसरी खेप सितंबर 2025 तक 97 जेट्स की होनी थी. लेकिन अब तक यह योजना कागजों तक ही सीमित है.

एचएएल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि देरी का मुख्य कारण इंजन सप्लाई में रुकावट है. अमेरिकी कंपनी GE एयरोस्पेस के F404-IN20 इंजन समय पर नहीं मिल पा रहे हैं, जिससे प्रोडक्शन बाधित हुआ है.

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नासिक-बेंगलुरु से बढ़ेगी रफ्तार


हालांकि, रक्षा मंत्रालय इस मामले में तेजी दिखा रहा है. अक्टूबर 2025 में नासिक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने LCA Mk-1A और HTT-40 की नई प्रोडक्शन लाइन का उद्घाटन किया था. एचएएल का कहना है कि अब उत्पादन क्षमता को बढ़ाया जा रहा है ताकि आने वाले महीनों में अधिकतम जेट्स तैयार किए जा सकें. जानकारी के मुताबिक, अब बेंगलुरु और नासिक में प्रति वर्ष 20 HTT-40 जेट्स बनाने का लक्ष्य रखा गया है.

वायुसेना की बढ़ती बेचैनी


सीमा पर हालात नाजुक हैं और आतंकियों की गतिविधियों ने हालात को और जटिल बना दिया है. ऐसे में वायुसेना और थलसेना दोनों ही स्वदेशी हथियारों पर निर्भरता बढ़ाने की दिशा में कदम उठा रही हैं. लेकिन यदि एचएएल अपनी डिलीवरी टाइमलाइन पूरी नहीं कर पाया, तो आने वाले महीनों में वायुसेना की रणनीतिक तैयारी पर बड़ा असर पड़ सकता है.

First published on: Dec 12, 2025 07:12 PM

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