Travel agent seeks to intervene in Go First case: वाडिया समूह की कम्पनी गो फर्स्ट कब की दिवालिया हो गई है। गो फर्स्ट केस में ट्रैवल और टूरिज्म कंपनी फ्लाईक्रिएटिव प्राइवेट लिमिटेड(Flycreative Private Ltd) ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) में एयरलाइन गो फर्स्ट से जुड़ी चल रही दिवालिया कार्यवाही में हस्तक्षेप करने की मांग की है। बता दें कि फ्लाईक्रिएटिव ने वकील नमन जोशी के द्वारा दायर याचिका में गो फर्स्ट से 5.7 करोड़ रुपये का दावा किया है, जिसमें कहा गया है कि उसने ग्रुप बुकिंग और 1.2 करोड़ रुपये के क्रेडिट शेल को जारी करने के लिए 4.5 करोड़ रुपये का भुगतान किया है।
यह भी पढ़ें- अंबानी देंगे ग्राहकों को सौगात, 6G भी मिलेगा सस्ता!
ट्रैवल एजेंट का आरोप
फ्लाईक्रिएटिव ने तर्क दिया है कि गो फर्स्ट के पास फंसी रकम एक सरकारी लोन था, जो उसने कंपनी को कोविड-19 महामारी के बाद रिकवर करने के लिए आपातकालीन क्रेडिट सुविधा योजना के माध्यम से प्राप्त किया था।
Due to operational reasons, Go First flights until 30th November 2023 are cancelled. We apologise for the inconvenience caused and request customers to visit https://t.co/FdMt1cRjeD for more information. For any queries or concerns, please feel free to contact us. pic.twitter.com/7eW21SJr1l
---विज्ञापन---— GO FIRST (@GoFirstairways) October 19, 2023
फ्लाईक्रिएटिव द्वारा दायर याचिका के अनुसार, एयरलाइन ने मई में यात्रा के लिए ग्रुप बुकिंग के लिए उनसे पैसे लिए थे, इस तथ्य से अवगत होने के बावजूद कि वे स्वैच्छिक दिवाला समाधान प्रक्रिया(voluntary insolvency resolution process) के लिए आवेदन करने जा रहे थे। जानकारी के अनुसार, NCLT 1 दिसंबर को गो फर्स्ट बैच के मामलों की सुनवाई कर सकता है।
NCLT में गो फर्स्ट मामला
2 मई, 2023 को, गो फर्स्ट ने धारा 10 के तहत एनसीएलटी में एक याचिका दायर की, जिसमें स्वेच्छा से कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) में शामिल होने का अनुरोध किया गया। 10 मई को, एनसीएलटी ने गो फर्स्ट की दिवालिया याचिका स्वीकार कर ली और कंपनी के मामलों को चलाने के लिए एक रिजोल्यूशन प्रोफेशनल (आरपी) नियुक्त किया।
हालांकि, गो फर्स्ट के विमान पट्टेदारों(lessors) ने एनसीएलटी के आदेश के खिलाफ राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) में अपील दायर की, जिसमें कहा गया कि उनकी संपत्ति गलत तरीके से ली गई थी क्योंकि उन्होंने लोन को स्थगित करने से पहले पट्टे समाप्त कर दिए थे।