Gautam Gambhir Fraud Case: भारतीय क्रिकेट टीम के कोच गौतम गंभीर को तगड़ा झटका लग गया है। दिल्ली की एक कोर्ट ने फ्लैट खरीदारों के साथ हुई धोखाधड़ी केस में नए सिरे से जांच का निर्देश दिया है। साथ ही गौतम गंभीर और अन्य आरोपियों को बरी किए जाने का आदेश खारिज कर दिया है। विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने मजिस्ट्रेट अदालत के आदेश को फैसले को खारिज कर गौतम गंभीर और अन्य को आरोपमुक्त करने के फैसले को रद्द कर दिया। उन्होंने कहा कि ये आरोप गौतम गंभीर की भूमिका की आगे की जांच करने के लिए काफी हैं।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, फ्लैट खरीदारों ने रियल एस्टेट कंपनियों रुद्र बिल्डवेल रियल्टी प्राइवेट लिमिटेड, एचआर इंफ्रासिटी प्राइवेट लिमिटेड, यूएम आर्किटेक्चर एंड कॉन्ट्रैक्टर्स लिमिटेड और गौतम गंभीर के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया था। गौतम गंभीर जॉइंट वेंचर के डायरेक्टर और ब्रांड एंबेसडर थे।
ये था विवादित प्रोजेक्ट
बता दें कि 2011 में इंदिरापुरम, गाजियाबाद में ‘सेरा बेला’ नाम के प्रोजेक्ट का प्रचार और विज्ञापन किया गया था, जिसका नाम 2013 में बदलकर ‘पावो रियल’ कर दिया गया। हालांकि शिकायतकर्ताओं का कहना है कि उन्होंने विज्ञापनों और ब्रोशरों को देख फ्लैट बुक किए और 6 लाख रुपये से लेकर 16 लाख रुपये तक की राशि का भुगतान किया। इसके बावजूद भूखंड पर कोई बुनियादी ढांचा या फिर विकास कार्य नहीं हुआ है। जब ये शिकायत दर्ज की गई, तब 2016 तक भी किसी भी तरह का डवलपमेंट नहीं हुआ।
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कोर्ट ने कही ये बात
जज ने कहा कि गौतम गंभीर एकमात्र आरोपी थे, जिनका ब्रांड एंबेसडर के रूप में डायरेक्टर्स के साथ सीधा संपर्क था। हालांकि बाद में उन्हें आरोपमुक्त कर दिया गया, लेकिन मजिस्ट्रेट अदालत के आदेश में रुद्र बिल्डवेल रियल्टी प्रा. लि. को 6 करोड़ रुपये का भुगतान करने और कंपनी से 4.85 करोड़ रुपये प्राप्त करने का कोई संदर्भ ही नहीं था। कोर्ट ने कहा कि यह स्पष्ट किया जाना जरूरी था कि क्या ठगी गई रकम का कोई हिस्सा गंभीर के हाथ में आया था? अदालत के अनुसार, गंभीर ब्रांड एंबेसडर की भूमिका के साथ-साथ कंपनी के साथ वित्तीय लेन-देन में भी शामिल थे।
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