Fauja Singh Life Secret: लेजेंडरी मैराथन रनर 114 साल के फौजा सिंह का निधन हो गया है। एक सड़क हादसे में उनकी जान चली गई है। बीते दिन फौजा सिंह को उनके गांव ब्यास पिंड में ही सड़क पार करते समय अज्ञात वाहन ने टक्कर मार दी। हादसे में वे बुरी तरह घायल हो गए। उन्हें जालंधर के एक प्राइवेट हॉस्पिटल में ले जाया गया, जहां उपचार के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया। पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया और पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने उनके निधन पर शोक जताया है। आइए मैराथन रनर की जिंदगी से जुड़े एक सच और उनके एथलीट बनने की कहानी जानते हैं…
Former Punjab CM and BJP leader Captain Amarinder Singh expresses condolences on the demise of legendary marathon runner Fauja Singh.
He tweets, “Deeply saddened to hear about the passing of Fauja Singh Ji, the legendary marathon runner, at the age of 114 in a tragic road… pic.twitter.com/LekScJ0SDZ
---विज्ञापन---— ANI (@ANI) July 14, 2025
5 साल की उम्र तक ऐसे थे फौजा सिंह
89 साल की उम्र में रनिंग शुरू करने वाले फौजा सिंह ने कई रिकॉर्ड तोड़कर दुनिया को चौंकाया। फौजा सिंह ने 6 मैराथन जीती थीं, लेकिन यही फौजा सिंह कभी चल तक नहीं पाते थे। उनकी टांगें इतनी कमजोर थीं, बिल्कुल सूखी डंडी की तरह। वे दिव्यांग और कुपोषित जैसे दिखते थे। उनकी टांगें देखकर लोग उन्हें डंडा कहकर चिढ़ाते थे। पंजाब में छड़ी को डंडा कहा जाता है। सारी जिंदगी इसी कुंठा में रहे, लेकिन पत्नी की मौत के गम से उबरने के लिए बेटे के साथ विदेश गए। वहां मॉर्निंग वॉक करते-करते दौड़ना शुरू किया। बेटे ने हौसला बढ़ाया तो मैराथन रनर बने। फिर मैराथन में दौड़ने का शौक लग गया।
My Turbaned Tornado is no more. It is with great sadness that I share the passing of my most revered S. Fauja Singh. He was struck by an unidentified vehicle around 3:30 PM today in his village, Bias, while crossing the road. Rest in peace, my dear Fauja . pic.twitter.com/LMFh7TNE8B
— Khushwant Singh (@Singhkhushwant) July 14, 2025
4 भाई-बहनों में सबसे छोटे थे फौजा
भारतीय मूल के ब्रिटिश सिख मैराथन रनर को सिख सुपरमैन और टरबन्ड टॉरनेडो कहा जाता था। 1 अप्रैल 1911 को पंजाब के जालंधर जिले के ब्यास पिंड गांव में जन्मे फौजा सिंह 4 भाई-बहनों में सबसे छोटे थे। फौजा सिंह की हाइट 5 फुट 8 इंच थी और उनका वजन सिर्फ 52 किलो था। 1992 में पत्नी की मौत हो गई थी तो वे बेटे के साथ इंगलैंड चले गए। वहां मॉर्निंग वॉक करते-करते रनिंग शुरू की। 1994 में बेटे कुलदीप की हादसे में जान चली गई तो गम से उबरने के लिए मैराथन में हिस्सा लिया। इसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा। दोस्त और रिश्तेदार हौसला बढ़ाते गए और वे मैराथन रनर बन गए।
I Run While Talking To God ~ S Fauja Singh https://t.co/BJoALaOvci via @YouTube pic.twitter.com/1oRopYneyO
— HarshVivek Singh (@HVSBanwait) July 15, 2025
अदरक वाली चाय फिटनेस सीक्रेट
फौजा सिंह पूरी तरह से शाकाहारी थे। अपनी फिटनेस का सीक्रेट सादा भोजन को बताते थे। कहते थे कि फुल्का, दाल, हरी सब्जियां, दही, दूध खाओ। स्मोकिंग और शराब से परहेज करो। अदरक वाली चाय पिओ, लंबा जिओगे। जल्दी सोना चाहिए और हमेशा यह सोचना चाहिए कि कर सकते हैं और यह करना ही चाहिए।चंडीगढ़ में जब फौजा सिंह सुखना लेक पर दौड़े थे, तब उन्होंने बताया था कि पहले 20 मील दौड़ना आसान है, लेकिन आखिरी 6 मील भगवान से बात करते हुए दौड़ता हूं।
बायोग्राफी और बायोपिक बन चुकी
फौजा सिंह के जीवन पर मशहूर लेखक खुशवंत सिंह ने बायोग्राफी टरबन्ड टॉरनेडो लिखी थी, जिसे 7 जुलाई 2011 को ब्रिटेन के हाउस ऑफ लॉर्ड्स में रिलीज किया गया था। साल 2021 में उनकी बायोपिक फौजा का ऐलान निर्देशक ओमंग कुमार ने किया था। फौजा सिंह सिख्स इन द सिटी ग्रुप के सबसे उम्रदराज सदस्य थे, जो चैरिटी के लिए मैराथन दौड़ते थे। उनकी मृत्यु के बाद पंजाब के गवर्नर गुलाब चंद कटारिया ने उन्हें प्रेरणा और दृढ़ता का प्रतीक बताया। उनके कोच हरमंदर सिंह ने उनके सम्मान में इलफोर्ड में एक क्लब हाउस की स्थापना के लिए पैसा जुटाना शुरू किया है।
Today we say goodbye to Fauja Singh, a man whose life showed us that impossible is nothing. From a child who couldn’t walk to becoming the oldest marathon runner at 114, his journey inspired generations across the world.
He embodied the spirit of resilience, grace, and quiet… pic.twitter.com/BRqqvXdOOo
— Barinder S. Bhullar (@B_Bhullar) July 14, 2025
फौजा सिंह का करियर
- फौजा सिंह ने साल 2000 में लंदन मैराथन में पहली बार हिस्सा लिया। 6 घंटे 54 मिनट में दौड़ पूरी की, जो 90 की उम्र में बने विश्व रिकॉर्ड से 58 मिनट ज्यादा था।
- साल 2003 में टोरंटो वाटरफ्रंट मैराथन 5 घंटे 40 मिनट में पूरी की, जो 90 की उम्र में उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था।
- साल 2011 में 100 साल की उम्र में टोरंटो वाटरफ्रंट मैराथन 8 घंटे 11 मिनट में पूरी की। 100 की उम्र में मैराथन जीतने वाले दुनिया के पहले शख्स बने, लेकिन गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स ने जन्म प्रमाणपत्र की कमी के कारण मान्यता नहीं दी।
- साल 2011 में ही टोरंटो में एक दिन में 8 वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाए: 100 मीटर (23.14 सेकंड), 200 मीटर (52.23 सेकंड), 400 मीटर (2:13.48), 800 मीटर (5:32.18), 1500 मीटर (11:27.81), मील (11:53.45), 3000 मीटर (24:52.47), और 5000 मीटर (49:57.39)।
- साल 2000 से 2013 तक कुल 18 मैराथन दौड़ीं, जिनमें लंदन (6 बार), टोरंटो (2 बार), न्यूयॉर्क (1 बार) और हांगकांग (2013 में 10 किलोमीटर) की मैराथन शामिल है।
- साल 2013 में 101 वर्ष की उम्र में हांगकांग मैराथन (10 किलोमीटर) दौड़ी। इस दौड़ को उन्होंने 1 घंटा 32 मिनट 28 सेकंड में पूरा किया और इस दौड़ के बाद उन्होंने संन्यास ले लिया।