Explainer: उद्धव ठाकरे ने खोला अडानी के खिलाफ मोर्चा, धारावी प्रोजेक्ट को लेकर विवाद, जानिए क्या है पूरा मामला
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे
शिवसेना (यूबीटी) के नेता उद्धव ठाकरे ने अरबपति कारोबारी गौतम अडानी के अडानी ग्रुप के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। पार्टी विधायकों की बगावत के चलते पिछले साल मुख्यमंत्री की कुर्सी खोने वाले ठाकरे ने कहा कि मैं 16 दिसंबर को अडानी ग्रुप के मुंबई ऑफिस तक एक मार्च का नेतृत्व करूंगा। ठाकरे ने यह एलान स्टॉक मार्केट में अडानी ग्रुप के शेयरों में भारी तेजी आने के बीच किया है।
ठाकरे ने मंगलवार को दावा किया था कि महाराष्ट्र सरकार ने अडानी ग्रुप के पक्ष में काम किया है जिसके तहत इसे धारावी पुनर्विकास प्रोजेक्ट (DRP) मिला है। उन्होंने कहा था कि देश की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती के पुनर्विकास प्रोजेक्ट अडानी ग्रुप को देने के लिए सरकार ने कई संदिग्ध फैसले लिए हैं।
उनका कहना है कि सरकार के इन संदिग्ध फैसलों से अडानी ग्रुप को उल्लेखनीय फायदा पहुंचेगा। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि धारावी के नागरिकों के हितों की रक्षा के लिए शिवसेना 16 दिसंबर को अडानी ग्रुप कार्यालय तक मार्च करेगी। मैं इस मार्च का नेतृत्व करूंगा।
क्या है धारावी पुनर्विकास प्रोजेक्ट और इससे जुड़ा विवाद
जुलाई में अडानी ग्रुप को धारावी पुनर्विकास परियोजना के तहत 259 हेक्टेयर भूमि को पुनर्विकसित करने के लिए महाराष्ट्र सरकार का कॉन्ट्रैक्ट मिला था। ठाकरे का कहना है कि इस प्रोजेक्ट को लेकर पर्याप्त जानकारी मौजूद है जो सवाल उठाती है कि क्या सरकार धारावी के नागरिकों की कीमत पर अडानी को फायदा पहुंचाने की कोशिश कर रही है।
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ठाकरे ने कहा कि सरकार ने सभी बिल्डर्स के लिए यह अनिवार्य कर दिया है कि मुंबई में किसी भी प्रोजेक्ट के लिए उन्हें अडानी ग्रुप से 40 प्रतिशत हस्तांतरणी विकास अधिकार खरीदने होंगे। उन्होंने कहा कि सरकारी टीडीआर की बिक्री हो सकती थी लेकिन सरकार ने एक निजी कंपनी को इससे फायदा उठाने की अनुमति दे दी।
कंपनी को भारी लाभ तो धारावी के लोगों को छोटे घर क्यों?
उन्होंने कहा कि अगर कंपनी भारी लाभ कमाने जा रही है तो धारावी के लोगों को छोटे घर क्यों मिलें। ठाकरे ने मांग की है कि इस प्रोजेक्ट का काम राज्य सरकार को करना चाहिए। उन्होंने दावा किया कि सरकार 90,000 झुग्गी बस्ती निवासियों को बाहर कर देगी जो प्रोजेक्ट के तहत पुनर्वास के पात्र नहीं हैं। उन्होंने कहा कि अडानी ग्रुप को बांद्रा, अभ्युदय नगर और आदर्श नगर में सरकारी कॉलोनी के प्रोजेक्ट भी मिलेंगे।
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बता दें कि यह विवाद राज्य सरकार के उस हालिया फैसले के बाद उठा है जिसमें उसने विकास नियंत्रण नियम (DCR) में बदलाव किया है। इससे टीडीआर का इस्तेमाल बिना किसी सूचीकरण के करने की अनुमति मिली है। यह बदलाव कथित तौर पर शहर के सभी बिल्डर्स के लिए उनके जरूरी टीडीआर का 40 प्रतिशत पहले धारावी प्रोजेक्ट से खरीदना अनिवार्य बनाता है।
'महाराष्ट्र सरकार ने दिया अडानी को दीवाली का तोहफा'
कांग्रेस पार्टी ने भी राज्य सरकार के इस फैसले की आलोचना करते हुए कहा था कि यह महाराष्ट्र सरकार का अडानी ग्रुप को दीवाली का तोहफा है। बता दें कि अडानी ग्रुप ने 5069 करोड़ रुपये की बोली लगाकर धारावी पुनर्विकास प्रोजेक्ट हासिल किया था।
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