Bomb Squad Explainer: स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी, अस्पताल, पुलिस स्टेशन, हाई कोर्ट, स्टेडियम, एयरपोर्ट आदि को बम से उड़ाने की धमकियां आए दिन मिल रही हैं. इस तरह की धमकियां मिलने के बाद पुलिस के साथ-साथ डॉग और बम स्क्वायड को बुलाया जाता है. बम स्क्वायड की टीम उस कैंपस की बम निरोधक उपकरण से तलाशी लेती है, जिसे उड़ाने की धमकी मिलती है. टीम विशेष उपकरणों की मदद से छिपाए गए बम को डिटेक्ट करने की कोशिश करती है. अगर बम डिटेक्ट हो जाए तो उसे डिफ्यूज भी करती है.
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क्या होता है बम निरोधक दस्ते का काम?
बता दें कि कोई भी नेशनल, इंटरनेशनल इवेंट हो या VVIP विजिट हो, बम निरोधक दस्ते की टीम सिक्योरिटी का हिस्सा जरूर बनती है. इस टीम का काम बम आदि विस्फोटक पदार्थों को डिटेक्ट करके सुरक्षा प्रदान करना है. सार्वजनिक स्थानों पर संदिग्ध वस्तुओं, पैकेटों और वाहनों आदि में छिपाए गए बमों और विस्फोटक उपकरणों को डिटेक्ट करके उपकरणों की मदद से उन्हें डिफ्यूज करना है. बम को डिटेक्ट करने के लिए खोजी कुत्तों का इस्तेमाल तक किया जाता है, जो सूंघकर IED समेत किसी भी तरह के विस्फोटक को डिटेक्ट कर लेते हैं.
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किन उपकरणों का किया जाता इस्तेमाल?
बता दें कि बम निरोधक दस्ता किसी बम या विस्फोटक को डिटेक्ट करने के लिए विशेष प्रकार का सूट पहनते हैं. दूर से बम या विस्फोटक को डिटेक्ट करने के लिए स्टेथोस्कोप, माइन स्वीपर और अन्य डिटेक्टर इस्तेमाल किए जाते हैं. दस्ते के पास बम या विस्फोटक पदार्थों को सूंघने, उनकी आवाज सुनने और उनके प्रकार को समझने में सक्षम उपकरण होते हैं. इतना ही नहीं, बम निरोधक दस्ते की टीम को बम या विस्फोटक पदार्थ को डिटेक्ट करने के साथ-साथ उसे डिफ्यूज करने की ट्रेनिंग भी दी जाती है, जो काफी सख्त और हमेशा चलने वाली प्रक्रिया होती है.
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बम निरोधक दस्ते के पास होती ये चीजें?
निश्चित दूरी से चीजों को छूने वाली लंबी-लंबी छड़ें, निश्चित दूरी से तार काटने वाले उपकरण, माइन्स को तलाशने वाले उपकरण, इलेक्ट्रॉनिक स्टेथोस्कोप, बम सूट और कंबल, सूंघने वाले कुत्ते, टेलीस्कोपिक प्रोडर, जंक्शन डिटेक्टर, मेटल डिटेक्टर, अंडर-व्हीकल सर्च मिरर, इनवर्टेड या एक्सटेंशन मिरर, ड्रैगन लाइट, फाइबर ऑप्टिक स्कोप, हेडलैंप युक्त हेलमेट आदि।










