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Chandrayaan-4 मिशन 2027 में होगा लॉन्च, इस बार क्या कमाल करेगा ISRO?

ISRO Chandrayaan 4: इसरो के चंद्रयान-4 मिशन से जुड़ा ताजा अपडेट सामने आया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के नवनियुक्त अध्यक्ष वी. नारायणन ने भारत के भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों के रोडमैप की जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि भारत का चौथा मून मिशन कब लॉन्च होगा और उसका मिशन क्या होगा? 

Author Edited By : News24 हिंदी Updated: Feb 18, 2025 23:12
ISRO Chairman V Narayanan
इसरो अध्यक्ष वी नारायणन।

ISRO Chandrayaan 4 Launch Date: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने चंद्रयान-3 मिशन की चांद पर सफल लैंडिग के साथ इतिहास रच दिया था। इस सफलता के बाद से ही इसरो अपने अगले मिशन मून में लगा हुआ है। चंद्रयान-3 के बाद चंद्रयान-4 मिशन पर इसरो के वैज्ञानिक लगातार काम कर रहे हैं। इसकी लॉन्चिंग की तारीख को लेकर पूरी देश की नजरें टिकी हुई है। लेकिन, अब यह साफ हो चुका है कि चंद्रयान-4 मिशन 2027 में लॉन्च किया जाएगा।

चंद्रयान-4 मिशन से बड़ी उम्मीद

चंद्रयान-4 मिशन  को लेकर उम्मीद जताई जा रही है कि यह मिशन चंद्रयान-3 की उपलब्धियों से आगे बढ़कर न केवल चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव (Moon’s South Pole ) पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा बल्कि चंद्रमा की सतह के नमूने एकत्र करके पृथ्वी पर भी लाएगा। इस मिशन में पांच मॉड्यूलों का एक जटिल संयोजन (Complex Assembly) शामिल होगा जिसे 2 दो रॉकेटों का उपयोग करके लॉन्च किया जाएगा। यह इसरो द्वारा किए गए पिछले चंद्र मिशनों से एक महत्वपूर्ण बदलाव है।

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चंद्रयान-4 मिशन में क्या होगा खास?

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के नवनियुक्त अध्यक्ष वी. नारायणन ने बताया कि चंद्रयान-4 मिशन चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर शोध करने के लिए भेजा जाएगा। यह मिशन चंद्रयान-3 से कहीं अधिक एडवांस होगा और इसमें चंद्रमा की सतह से नमूने एकत्र करने की क्षमता होगी। मिशन के तहत 9,200 किग्रा का उपग्रह दो मार्क-III रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा। दो मॉड्यूल चंद्रमा की ऑर्बिट में मिलेंगे और दो मॉड्यूल चंद्रमा की सतह पर प्रयोग करेंगे। चंद्रमा की ऑर्बिट में मिलने वाले मॉड्यूल चंद्रमा की सतह से नमूने इकट्ठा करेगा और उन्हें पृथ्वी पर वापस लाएगा।

Chandrayaan-4 मिशन दो हिस्सों में होगा लॉन्च

Chandrayaan-4 मिशन एक बार में लॉन्च नहीं होगा। इसे दो हिस्सों लॉन्च किया जाएगा। इसके बाद अंतरिक्ष में इसके मॉड्यूल्स को जोड़े जाएंगे यानी डॉकिंग करेंगे। यही तकनीक भविष्य में भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन बनाने में मदद करेगी। इसरो ने इससे पहले ऐसा कुछ नहीं किया है। चंद्रमा पर मिशन पूरा करके धरती पर आते समय डॉकिंग मैन्यूवर करना एक रूटीन प्रक्रिया है। इसरो चीफ ने कहा कि हम यह काम पहले भी कर चुके हैं। हमने एक स्पेसक्राफ्ट के कुछ हिस्सों का चंद्रमा पर उतारा जबकि एक हिस्सा चांद के चारों तरफ चक्कर लगाता रहा। इस बार उन्हें जोड़ने का काम करेंगे। इस बार धरती की ऑर्बिट में चंद्रयान-4 के दो मॉड्यूल्स जोड़े जाएंगे।

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चंद्रयान-4 मिशन की लागत

बता दें कि पिछले साल पीएम नरेंद्र मोदी की कैबिनेट ने चंद्रयान-4 (Chandrayaan-4) मिशन को मंजूरी दी थी। उम्मीद है कि ये मिशन 36 महीनों में पूरा हो जाएगा। इस मिशन के लिए सरकार ने 2104.06 करोड़ रुपये का फंड दिया है। इसमें चंद्रयान-4 स्पेसक्राफ्ट, LVM-3 के दो रॉकेट और चंद्रयान-4 से लगातार संपर्क बनाए रखने के लिए स्पेस नेटवर्क और डिजाइन वेरिफिकेशन शामिल है।

नासा रोवर ने मंगल ग्रह पर लिक्विड पानी के सबूत खोजे

वहीं, नासा ने मंगल ग्रह को लेकर एक बड़ा दावा किया है। नासा के वैज्ञानिकों ने ऐसे साक्ष्यों की पहचान की है जो यह दर्शाते हैं कि मंगल ग्रह पर कभी तरल जल (liquid water) बहता था। इससे यह संकेत मिलता है कि लाल ग्रह पर पहले लगाए गए अनुमानों से अधिक समय तक रहने योग्य स्थितियां रही होंगी। रिपोर्टों के अनुसार, नासा के क्यूरियोसिटी रोवर ने गेल क्रेटर में लहरदार पैटर्न की तस्वीरें खींची हैं जो इस बात का संकेत है कि प्राचीन समय में मंगल ग्रह के वायुमंडल जल मौजूद था। यह खोज उन पूर्व मॉडलों को चुनौती देती है जिनमें कहा गया था कि मंगल ग्रह पर सतही जल हमेशा बर्फ के नीचे धंसा हुआ था। विशेषज्ञ मंगल ग्रह पर जल के नेचर के बारे में लंबे समय से बहस करते रहे हैं। लेकिन, नए निष्कर्षों से पता चलता है कि मंगल ग्रह की झीलें हवा के संपर्क में थीं, जिससे तरल पानी अस्तित्व में आया। इसकी पुष्टि पहले शोधकर्ताओं द्वारा नहीं की गई थी।

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News24 हिंदी

First published on: Feb 18, 2025 11:09 PM

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