Bombay High Court Judgement In Rape Case: शादीशुदा होने के बावजूद अफेयर हो और शारीरिक संबंध बन जाएं तो वह दुष्कर्म नहीं है। रेप केस से जुड़े एक मामले में फैसला सुनाते हुए मुंबई हाईकोर्ट ने विशेष टिप्पणी की। साथ ही महिला द्वारा प्रेमी के खिलाफ दर्ज कराई गई FIR भी रद्द कर दी। पीड़िता और आरोपी दोनों शादीशुदा हैं और दोनों के बच्चे भी हैं। दोनों का एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर है।
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मामला कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग
जस्टिस अनुजा प्रभु देसाई और जस्टिस एनआर बोरकर की बेंच ने कहा कि 2 शादीशुदा लोगों का शारीरिक संबंध बनाना दुष्कर्म नहीं है। महिला के एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर का पता चलने पर पति ने घर छोड़ दिया तो महिला ने प्रेमी के खिलाफ FIR करा दी। यह कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है, जबकि हालात बता रहे हैं कि दोनों ने मर्जी से संबंध बनाए थे।
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रिश्ते का पता चला तो पति छोड़ गया
बेंच ने कहा कि पीड़िता शादीशुदा है। आरोपी भी शादीशुदा है। शादीशुदा होते हुए वह उससे शादी नहीं कर सकता है। दोनों बच्चों के मां-बाप हैं। दोनों ने मर्जी से प्रेम और शारीरिक संबंध बनाए। जब तक रिश्ता छिपा रहा, ठीक रहा। अब जब रिश्ते का राज खुल गया और पति घर छोड़कर चला गया तो थाने पहुंच गई, जबकि पति को पता लगने तक संबंध सहमति से चल रहा था।
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375 के तहत रेप केस नहीं बनता
बेंच ने कहा कि जब मर्जी से शारीरिक संबंध बनाए तो पति को रिश्ते का पता चलने पर प्रेमी पर आरोप लगाना ठीक नहीं। IPC की धारा 375 के तहत मर्जी से संबंध बनाना दुष्कर्म नहीं कहा जा सकता। इसलिए धारा 376, 376(2), 377 और 420 के तहत दर्ज केस को रद्द किया जाता है। महिला के आरोपों से व्यक्ति के खिलाफ रेप का मामला नहीं बनता है।