ASHA Workers: गांव-गांव और गली-गली घूमकर लोगों की सेहत का ख्याल रखने वाली आशा वर्कर्स हमेशा दूसरों की सेवा में लगी रहती हैं। चाहे कोई नवजात हो या गर्भवती महिला, टीकाकरण हो या किसी मरीज की देखभाल, ये निःस्वार्थ भाव से अपनी जिम्मेदारी निभाती हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि खुद इनकी जिंदगी कैसी होती है? कम सैलरी, अनिश्चित भविष्य और बिना किसी वित्तीय सुरक्षा के ये दिन-रात मेहनत करती हैं। अब आंध्र प्रदेश सरकार ने इनकी मेहनत को पहचान दी है। पहली बार किसी राज्य ने आशा वर्कर्स को ग्रेच्युटी और अन्य सुविधाएं देने का ऐतिहासिक फैसला किया है।
आंध्र प्रदेश में आशा वर्कर्स के लिए ग्रेच्युटी योजना लागू
आंध्र प्रदेश देश का पहला राज्य बन गया है जिसने आशा वर्कर्स के लिए ग्रेच्युटी भुगतान की घोषणा की है। मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू की सरकार ने यह कदम उठाकर चुनावी वादे को पूरा किया है। इस फैसले का मकसद आशा वर्कर्स की आर्थिक सुरक्षा को मजबूत करना और उनके कामकाज की स्थिति में सुधार लाना है। आशा वर्कर्स गांवों और शहरों में स्वास्थ्य सेवाओं का अहम हिस्सा होती हैं, इसलिए सरकार ने उनके लिए बेहतर सुविधाएं देने की पहल की है।
Andhra Pradesh ASHA workers to get gratuity, paid maternity leave#AndhraPradesh https://t.co/AltlHYDHEw
— TheNewsMinute (@thenewsminute) March 2, 2025
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देश में सबसे ज्यादा सैलरी देने वाला राज्य बना आंध्र प्रदेश
आंध्र प्रदेश में अब देश के किसी भी राज्य की तुलना में आशा वर्कर्स को सबसे अधिक वेतन दिया जा रहा है। सरकार ने उनकी मासिक सैलरी को बढ़ाकर ₹10,000 कर दिया है, जो अन्य राज्यों के मुकाबले काफी ज्यादा है। उदाहरण के लिए उत्तर प्रदेश में आशा वर्कर्स को केवल ₹750 प्रति माह मिलते हैं, जबकि पश्चिम बंगाल और दिल्ली में यह ₹3,000 है। इसी तरह केरल में उन्हें ₹5,000 और तेलंगाना में ₹7,500 सैलरी दी जाती है। आंध्र प्रदेश सरकार के इस फैसले से हजारों आशा वर्कर्स को सीधा फायदा मिलेगा।
ग्रेच्युटी और मैटरनिटी लीव की भी घोषणा
राज्य सरकार ने आशा वर्कर्स के लिए ग्रेच्युटी लाभ भी लागू किया है। जो आशा वर्कर्स 30 साल की सेवा पूरी करेंगी, उन्हें ₹1.5 लाख तक का ग्रेच्युटी भुगतान मिलेगा। इसके अलावा सरकार ने मैटरनिटी लीव को भी स्वीकृति दी है। आशा वर्कर्स को अब 180 दिनों का मैटरनिटी लीव मिलेगा, जिसे कार्य दिवस के रूप में गिना जाएगा। इस दौरान उन्हें ₹60,000 वेतन के रूप में दिया जाएगा। इससे महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान आर्थिक परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा।
रिटायरमेंट के बाद भी मिलेगा लाभ
राज्य सरकार ने यह भी आश्वासन दिया है कि सेवानिवृत्ति के बाद भी आशा वर्कर्स को कई सुविधाएं दी जाएंगी। उन्हें सहायक नर्स मिडवाइफ (ANM) भर्ती में प्राथमिकता दी जाएगी और कई सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ मिलेगा। मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा बैठक में इन फैसलों को मंजूरी दी। स्वास्थ्य मंत्री सत्यकुमार यादव ने कहा कि सरकार के इन फैसलों से आशा वर्कर्स को वित्तीय स्थिरता मिलेगी और उनके समर्पण को पहचान मिलेगी। आंध्र प्रदेश सरकार के इस कदम को देशभर में सराहा जा रहा है।