हर साल लाखों श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन के लिए हिमालय की ऊंचाई पर स्थित अमरनाथ गुफा की कठिन यात्रा करते हैं। बर्फ से खुद बना शिवलिंग इस यात्रा का मुख्य आकर्षण होता है, जिसे देखने के लिए देश-विदेश से लोग उमड़ते हैं। 2025 की अमरनाथ यात्रा को लेकर भक्तों में जबरदस्त उत्साह है। हालांकि हाल ही में पहलगाम में हुई घटनाओं के कारण माहौल थोड़ा चिंताजनक जरूर है, लेकिन सरकार ने यात्रा को सुरक्षित और व्यवस्थित तरीके से कराने की पूरी तैयारी कर ली है। इस बार यात्रा सिर्फ 38 दिनों की होगी, जिसमें पहले 15 दिन सबसे महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं।
कब से होगी यात्रा शुरू
जम्मू-कश्मीर में इस साल अमरनाथ की पवित्र यात्रा 3 जुलाई 2025 से शुरू होकर 9 अगस्त 2025 तक चलेगी। इस बार यात्रा की अवधि 38 दिन रखी गई है। अब तक करीब 3 लाख श्रद्धालु रजिस्ट्रेशन कर चुके हैं। अमरनाथ यात्रा हर साल लाखों श्रद्धालुओं को अपनी ओर खींचती है, जो भगवान शिव के पवित्र गुफा में बने नेचुरल बर्फ के शिवलिंग के दर्शन करने पहुंचते हैं।
हाल की घटनाओं के बावजूद सरकार यात्रा कराने के लिए तैयार
हाल ही में पहलगाम में हुई हिंसक घटनाओं के कारण चिंता का माहौल जरूर बना है, लेकिन जम्मू-कश्मीर सरकार ने स्पष्ट किया है कि यात्रा अपने तय कार्यक्रम के अनुसार ही होगी। सरकार ने कहा है कि सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाएंगे ताकि श्रद्धालुओं को किसी भी तरह की असुविधा या खतरा न हो। विशेषकर पहले 15 दिनों के दौरान सुरक्षा बेहद कड़ी रहेगी क्योंकि इसी समय सबसे अधिक श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं।
पहले 15 दिन सबसे खास
सरकारी अधिकारियों के अनुसार, अमरनाथ गुफा में बना बर्फ का शिवलिंग अक्सर पहले 15 दिनों में पूरी तरह बनता है, लेकिन गर्मी बढ़ने के कारण बाद में पिघलने लगता है। यही वजह है कि यात्रा के पहले चरण में श्रद्धालुओं की संख्या सबसे अधिक होती है और बाद के दिनों में कम। इस बार सरकार ने योजना बनाई है कि पहले 15 दिनों के लिए विशेष सुरक्षा बलों की तैनाती, कैंपों की कड़ी निगरानी और यात्रा मार्गों की सघन जांच की जाएगी।
बाद के दिनों में हो सकते हैं यात्रा मार्गों में बदलाव
सूत्रों के अनुसार, पहले 15 दिन बीत जाने के बाद यात्रा मार्गों में कुछ बदलाव या प्रतिबंध भी किए जा सकते हैं। इसके अलावा, बर्फ शिवलिंग की स्थिति की जानकारी भी श्रद्धालुओं को दी जाएगी ताकि वे सोच-समझकर यात्रा की योजना बना सकें। सरकार ने संकेत दिया है कि अगर आवश्यक हुआ तो यात्रा के अंतिम दिनों में केवल एक मुख्य मार्ग को ही खुला रखा जा सकता है। सुरक्षा और श्रद्धालुओं की सुविधा को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया जाएगा।