---विज्ञापन---

अजीत डोभाल को तीसरी बार बनाया गया NSA, पीके मिश्रा बने रहेंगे PM के प्रधान सचिव

Ajit Doval Will Remain NSA: अजीत डोभाल को पहली बार 20 मई 2014 को देश का राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया गया था। तब से वही यह पद संभाल रहे हैं। उनसे पहले शिवशंकर मेनन देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार थे।

Edited By : Gaurav Pandey | Updated: Jun 13, 2024 20:10
Share :
Ajit Doval
Ajit Doval

पवन मिश्रा, नई दिल्ली

देश में नई सरकार बन चुकी है और मंत्रियों को मंत्रालयों का आवंटन भी हो चुका है। गुरुवाल को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) को लेकर बड़ी खबर सामने आई। अजीत डोभाल को तीसरी बार यह जिम्मेदारी देने का फैसला किया गया है। प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव में भी कोई बदलाव नहीं किया गया है। पीके मिश्रा ही यह जिम्मेदारी निभाते रहेंगे। केंद्रीय कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने दोनों की पुनर्नियुक्ति पर मुहर लगा दी है।

केंद्र सरकार के इस फैसले के साथ ही दोनों प्रधानमंत्री के लिए सबसे लंबे समय तक प्रिंसिपल एडवाइजर पद पर सेवा देने वाले सेवानिवृत्त ब्यूरोक्रेट बन गए हैं। पीके मिश्रा जहां प्रशासनिक मामले और प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में नियुक्तियों का काम देखेंगे। वहीं, अजीत डोभाल राष्ट्रीय सुरक्षा, सैन्य मामले और इंटेलिजेंस की जिम्मेदारी संभालेंगे। इसके अलावा अमित खरे और तरुण कपूर को पीएमओ में सलाहकार नियुक्त किया गया है।

काउंटर टेरेरिज्म एक्सपर्ट हैं डोभाल

1968 बैच के आईपीएस अधिकारी अजीत डोभाल प्रधानमंत्री के सामने कूटनीतिक सोच और ऑपरेशनल प्लानिंग का शानदार कॉम्बिनेशन लेकर आते हैं। वह एक प्रख्यात काउंटर टेरेरिज्म एक्सपर्ट हैं। इसके साथ ही उन्हें परमाणु मुद्दों का भी विशेषज्ञ माना जाता है।

वहीं, पीके मिश्रा 1972 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। वह पिछले 1 दशक से प्रधानमंत्री मोदी के साथ प्रधान सचिव के तौर पर काम कर रहे हैं। इससे पहले वह भारत सरकार के कृषि सचिव के पद पर थे। इसी पद से वह सेवानिवृत्त हुए थे, जिसके बाद उन्हें पीएम मोदी ने अपना प्रधान सचिव नियुक्त किया था।

मोदी ने फिर जताया डोभाल पर भरोसा

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार का पद ऐसा होता है जिस पर काबिज शख्स को देश की सुरक्षा के लिए किसी भी रणनीति पर काम करने की पूरी आजादी होती है। केंद्र में तीसरी बार नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के साथ ही साउथ ब्लॉक में ये सवाल उठने शुरू हो गए थे कि क्या अजीत डोभाल को फिर से एनएसए बनाया जाएगा या फिर इस बेहद अहम पद के लिए कोई और नाम सामने आएगा। लेकिन, प्रधानमंत्री मोदी ने जिस तरह रक्षा के मामले में राजनाथ सिंह पर भरोसा जताया, ठीक उसी तरह से डोभाल पर भी विश्वास बरकरार रखा है।

डोभाल ने भी मोदी के भरोसे को टूटने नहीं दिया है। बता दें कि साल 2014 में जब डोभाल पहली बार सुरक्षा सलाहकार बनाए गए थे, तो उन्हें पहले ही एक टास्क मिल गया था। यह टास्क था, ईराक के तिरकित में 46 भारतीय नर्सों की सुरक्षित रिहाई करवाने का। उनका यह मिशन पूरी तरह से कामयाब रहा था। यही नहीं, सर्जिकल स्ट्राइक हो या फिर बालाकोट में एयर फायरिंग, इसके बाद तो पूरी दुनिया मे अजित डोभाल का नाम सुर्खियों में आने लगा। यह भी कहा जाने लगा कि भारतीय सेना की ताकत के पीछे डोभाल का हाथ है।

नॉर्थ-ईस्ट में उग्रवाद को नियंत्रित किया

इसके अलावा नॉर्थ ईस्ट के राज्यों में फैले उग्रवाद को भी वह बहुत हद तक कंट्रोल करने में सफल रहे। उत्तराखंड के रहने वाले अजीत डोभाल मात्र 23 साल की उम्र में पुलिस अधिकारी बन गए थे। इन्हें कीर्ति चक्र से भी नवाजा जा चुका है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सभी गोपनीय रिपोर्ट्स की जानकारी हासिल करता है और उसे सीधा प्रधानमंत्री के साथ साझा करके सलाह मशविरा करता है। यानी रक्षा मंत्री, रक्षा राज्य मंत्री, तीनों सेनाओं के प्रमुख हों, सुरक्षा के मुद्दे पर इनसे कोई बात करे या न करे, इन पर कोई बाध्यता नहीं होती है।

बता दें कि अजीत डोभाल को सुरक्षा सलाहकार के साथ ही कैबिनेट मंत्री का दर्जा भी प्रधानमंत्री ने दिया है। इसके अलावा पाकिस्तान और इजराइल के बीच अगर ऐसी स्थिति बन जाती है कि प्रधानमंत्री को उनके सुप्रीमो से बातचीत करनी पड़े, लेकिन प्रधानमंत्री किसी काम में व्यस्त रहे तो ऐसे समय में डोभाल को यह शक्ति दी गई है कि वे प्रधानमंत्री का विशेष दूत बनकर इजराइल से बातचीत कर सकते हैं।

First published on: Jun 13, 2024 05:06 PM

Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 on Facebook, Twitter.

संबंधित खबरें