प्रभाकर मिश्रा, नई दिल्ली: नए CJI के नियुक्त होने की औपचारिक शुरुआत हो गयी है। केंद्रीय कानून मंत्री ने मुख्य न्यायाधीश को चिठ्ठी लिखी है। देश के मुख्य न्यायाधीश अपने कार्यकाल पूरा होने से एक महीने पहले अगले मुख्य न्यायाधीश के नाम की सिफारिश भेजते हैं। CJI की नियुक्ति की स्थापित प्रक्रिया ( MoP ) के मुताबिक, केंद्रीय कानून मंत्री मौजूदा मुख्य न्यायाधीश से अगले मुख्य न्यायाधीश के नाम की सिफारिश के लिए पत्र लिखते हैं। उस पत्र के जवाब में CJI सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ जज के नाम की सिफारिश करते हैं।
CJI के बाद वरिष्ठता क्रम में जस्टिस डी वाय चंद्रचूड़ सबसे वरिष्ठ हैं। ऐसे में परंपरागत रूप से मुख्य न्यायाधीश ललित जस्टिस चंद्रचूड़ के नाम की सिफारिश करेंगे। नाम की सिफारिश मिलने के बाद कानून मंत्री उस नाम को प्रधानमंत्री के पास भेजते हैं और प्रधानमंत्री उस नाम को राष्ट्रपति के पास भेजते हैं। उसके बाद राष्ट्रपति नए मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति करते हैं। वर्तमान मुख्य न्यायाधीश जस्टिस ललित का कार्यकाल 8 नवंबर को खत्म हो रहा है।
मतलब जस्टिस डी वाय चंद्रचूड़ का देश का अगला मुख्य न्यायाधीश बनना लगभग तय है। जस्टिस चंद्रचूड़ 9 नवंबर को पद ग्रहण करते हैं तो उनका कार्यकाल 2 साल के आसपास होगा। जस्टिस डी वाय चंद्रचूड़ देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस वाइ वी चंद्रचूड़ के पुत्र हैं। जस्टिस वाइ वी चंद्रचूड़ 1978 से 1985 तक मुख्य न्यायाधीश पद पर रहे थे। मुख्य न्यायाधीश के पद पर अब तक का सबसे लंबा कार्यकाल इन्हीं का था। यह पहला मौका होगा जब देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश का बेटा देश के मुख्य न्यायाधीश का पद ग्रहण करेगा।
प्रगतिशील विचारों वाले जज
जस्टिस चंद्रचूड़ को प्रगतिशील विचारों वाले जज के रूप में जाना जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने गर्भपात कानून को लेकर हाल ही में जो फैसला दिया था वह जस्टिस चंद्रचूड़ की बेंच ने दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि विवाहित हो या अविवाहित, सभी महिलाओं को सुरक्षित गर्भपात का अधिकार है। अविवाहित महिला भी गर्भपात करा सकती है। उस फैसले में यह भी कहा गया था कि अगर पत्नी की सहमति के बिना पति ने शारीरिक सम्बंध बनाया और पत्नी गर्भवती हो गयी तो वह चाहे तो गर्भपात करा सकती है, इसके लिए पति की सहमति की जरूरत नहीं होगी।
एडल्टरी को लेकर 2018 के सुप्रीम कोर्ट फैसले को लेकर भी बहुत चर्चा हुई थी
जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय पीठ ने 2018 में एडल्टरी यानी व्यभिचार से जुड़े कानून को रद्द कर दिया था। उस बेंच में जस्टिस चंद्रचूड़ भी थे। एडल्टरी से जुड़े कानून सेक्शन 497 से जुड़े मामले में फैसला सुनाते हुए जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा था कि पति, पत्नी के सेक्सुअलिटी का मालिक नहीं हो सकता। शादी का मतलब यह नहीं कि पत्नी किससे शारीरिक सम्बंध बनाये यह पति तय करेगा! यह भी जानना महत्वपूर्ण है कि एडल्टरी कानून को चुनौती देने वाली याचिका को 1985 में जस्टिस डी वाय चंद्रचूड़ के पिता और तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश जस्टिस वाय वी चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि समाज के व्यापक हित में इस कानून का बने रहना जरूरी है।
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