आज की दौड़-भाग भरी जिंदगी में हेल्थ को लेकर जागरूकता जरूरी हो गई है। खासकर डायबिटीज जैसी बीमारियां तेजी से लोगों को अपनी चपेट में ले रही हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सिर्फ तेज चलने की आदत से भी इस बीमारी से बचा जा सकता है? न्यूट्रिशन एक्सपर्ट्स और डॉक्टर्स का कहना है कि जो लोग रोजाना तेज गति से चलते हैं, उनमें डायबिटीज होने का खतरा बहुत कम होता है। ये आदत न सिर्फ ब्लड शुगर को कंट्रोल करती है, बल्कि शरीर की फैट परसेंटेज भी घटाती है।
डायबिटीज का असली कारण क्या है?
न्यूट्रिशनिस्ट शिखा सिंह के मुताबिक, टाइप-2 डायबिटीज तब होती है जब शरीर या तो इंसुलिन के लिए रेसिस्टेंट हो जाता है या फिर इंसुलिन की पर्याप्त मात्रा नहीं बना पाता। इससे ब्लड शुगर लेवल अनियंत्रित हो जाता है। इस स्थिति को बिगाड़ने में सबसे बड़ा हाथ है हमारी बैठे रहने की आदत यानी ‘सिडेंटरी लाइफस्टाइल’।
पेट की चर्बी बनती है रुकावट
जब हम ज़्यादा मूवमेंट नहीं करते तो शरीर में आंतों के पास चर्बी जमा होने लगती है जिसे विसरल फैट कहते हैं। ये फैट इंसुलिन के काम में रुकावट डालता है और डायबिटीज का खतरा बढ़ा देता है।
तेज चलना है असरदार इलाज
शिखा सिंह के अनुसार, रोजाना 4 किमी प्रति घंटा या उससे तेज गति से चलने से डायबिटीज का खतरा काफी हद तक कम हो सकता है। ब्रिस्क वॉक ब्लड शुगर को कंट्रोल करने के साथ-साथ फैट घटाने और मेटाबॉलिज़्म को तेज करने में मदद करती है।
डॉक्टर्स की सलाह क्या कहती है?
CK बिड़ला हॉस्पिटल, दिल्ली की डॉ. मनीषा अरोड़ा कहती हैं कि वॉकिंग से ब्लड शुगर 15-20 mg/dL तक कम किया जा सकता है। ये इंसुलिन की कार्यक्षमता को सुधारता है और शरीर की मसल्स में ग्लूकोज को अच्छी तरह से पहुंचाता है।
हर दिन 30 मिनट तेज चलना जरूरी
फिजियोथेरेपी एक्सपर्ट डॉ. सुरेन्द्र पाल सिंह का कहना है कि रोजाना 30 मिनट तेज चलने से ना सिर्फ डायबिटीज पर नियंत्रण पाया जा सकता है, बल्कि हार्ट और लंग्स की सेहत भी सुधरती है। धीमे चलने से फायदा नहीं होता, समय के साथ अपनी गति बढ़ाते रहना जरूरी है।