तनाव अब आम समस्या है, लेकिन इसका असर हर किसी के शरीर पर पड़ता है। महिलाओं के पीरियड्स, फर्टिलिटी और गर्भावस्था पर भी इसका असर होता है। हालांकि, महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य पर इसके प्रभाव को हमेशा ही कम आंका जाता है। खासतौर पर भारत जैसे देश में स्ट्रेस का महिलाओं के जीवन पर कैसा प्रभाव है, इस पर लोगों का ध्यान बिल्कुल कम होता है। महिलाओं में क्रोनिक स्ट्रेस से होने वाले हार्मोनल इंबैलेंस के कारण स्ट्रेस हार्मोन रीलिज होते हैं, जिससे विभिन्न हेल्थ प्रॉब्लम्स हो सकती हैं जैसे कि पीरियड साइकिल, प्रजनन क्षमता और गर्भावस्था में भी समस्याएं आदी। आइए जानते हैं इस पर एक्सपर्ट की सलाह।
पीरियड से जुड़ी समस्याएं
HPA एक्सिस में होने वाली समस्याओं से क्रोनिक स्ट्रेस और कोर्टिसोल हार्मोन बढ़ता है, जो GnRH के उत्पादन को रोकता है। इस प्रकार ओव्यूलेशन भी प्रभावित होती है। इस स्थिति में, एक महिला को अनियमित मासिक धर्म और कभी-कभी एमेनोरिया (Amenorrhea) का अनुभव हो सकता है। स्ट्रेस एक महिला के पीरियड साइकिल को अलग-अलग तरीकों से इंपैक्ट करता है। इनमें अनियमित पीरियड साइकिल, हैवी या लो बल्ड फ्लो, पीएमएस के अधिक लक्षण दिखाई देना आदि शामिल हैं।
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तनाव, PCOS और एंडोमेट्रियोसिस जैसी बीमारियों का रिस्क
तनाव PCOS और एंडोमेट्रियोसिस से भी संबंधित होता है, जिनमें आम तौर पर हार्मोनल डिसऑर्डर्स, जो तनाव से एक्टिवेट हो सकते हैं। इंफर्टिलिटी से परेशान लोगों की संख्या भी देश में अधिक है। इन लोगों में क्रोनिक स्ट्रेस से प्रोजेस्टेरोन कम हो सकता है, जो फर्टिलाइज्ड एग्स को गलत तरीके से प्रभावित करता है और गर्भपात की संभावनाओं को बढ़ाता है। तनाव से यूट्रस एरिया में सूजन और एग्स की क्वालिटी खराब हो सकती है। स्ट्रेस से प्रजनन क्षमता भी कम हो जाती है।
तनाव और प्रेग्नेंसी का संबंध
स्ट्रेस प्रेग्नेंसी को भी प्रभावित कर सकता है क्योंकि स्ट्रेस कई डिसऑर्डर्स के जोखिम को बढ़ाता है, जिसमें समय से पहले डिलीवरी और जन्म के समय कम वजन वाला शिशु शामिल होता है। कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि हाई मेटरनल स्ट्रेस भ्रूण के विकास और बच्चे की लॉन्ग टर्म हेल्थ को प्रभावित कर सकता है।
इंटिमेसी कैसे हो रही इंपैक्ट?
स्ट्रेस इंटिमेसी और प्राइवेट एरियाज में ड्राइनेस जैसी कई समस्याओं के बढ़ने के पीछे की वजह है। इसके कारण इंटिमेट लाइफ भी डिस्टर्ब हो जाती है। पुराने स्ट्रेस से परेशान महिलाओं में चिंता और डिप्रेशन होने से कई बार उनकी मैरीज और रोमांटिक लाइफ को भी बिगाड़ देता है।
क्या कहती हैं एक्सपर्ट?
एसोसिएट क्लिनिकल डायरेक्टर, मारेंगो एशिया अस्पताल, फरीदाबाद, प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर श्वेता मेंदिरत्ता के अनुसार, लाइफस्टाइल का प्रकोप महिलाओं के जीवन को प्रभावित करता है। महिलाओं में बढ़ रहा तनाव भविष्य में इन्हें गर्भावस्था प्लान करने में भी कई दिक्कतें दे सकता है। इन परेशानियों के बढ़ने की वजहें धूम्रपान, शराब से लेकर अनहेल्दी लाइफस्टाइल है। ऐसे में इन्हें स्ट्रेस कम करने के लिए कुछ तरीकों को अपनाने की जरूरत होती है।
तनाव कम करने के उपाय
मेंटल हेल्थ और प्रजनन स्वास्थ्य आपस में जुड़े हुए होते हैं। इसलिए, तनाव से राहत के साथ जुड़े साइकोलॉजिक्ल इंटरवेशन जैसे कि माइंडफुलनेस, शारीरिक व्यायाम और लाइफस्टाइल में बदलाव हार्मोनल इंबैलेंस और प्रजनन स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण हो जाते हैं।
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