After Pregnancy Tips: मां बनने का सफर किसी भी महिला के लिए आसान नहीं होता है। जो माताएं बच्चे के जन्म के अनुभव को महसूस कर चुकी हैं और सामान्य जीवन जीने की ओर बढ़ रही हैं, उनके लिए प्रसव के बाद भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। दरअसल, बच्चे के जन्म के बाद मां के शरीर में अनेकों बदलाव होते हैं, जो उन्हें कभी अच्छा महसूस करवाते हैं तो कभी उन्हें बुरा और चिड़चिड़ा बना देते हैं। इसे पोस्टपार्टम कहते हैं। आइए जानते हैं इस बारे में विस्तार से।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
डॉ. अवीर सरकार, सहायक प्रोफेसर, प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग, एनआईआईएमएस मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल बताते हैं कि यह एक महत्वपूर्ण पहलू है, जिस पर ध्यान केंद्रित करना जरूरी है। महिलाओं के अंदर हो रहे शारीरिक और भावनात्मक बदलावों को भारतीय घरों में लोग समझ नहीं पाते हैं।
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पोस्टपार्टम पीरियड क्या है?
गर्भावस्था महिला के जीवन का एक अत्यंत महत्वपूर्ण और चुनौतीपूर्ण समय होता है, जो शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक बदलावों से भरा होता है। चाहे बच्चा स्वस्थ पैदा हुआ हो या गर्भावस्था का किसी प्रकार का नुकसान हुआ हो। डिलीवरी के बाद महिलाओं के अंदर कुछ बदलाव होते हैं, जिसे पोस्टपार्टम कहते हैं। ये बदलाव मानसिक और भावनात्मक दोनों होते हैं।
शारीरिक बदलाव शरीर की पूरी रिकवरी की प्रक्रिया
पोस्टपार्टम में शरीर बहुत सारे शारीरिक बदलावों से गुजरता है। यह बदलाव हर महिला के लिए अलग हो सकते हैं, लेकिन कुछ सामान्य बदलाव होते हैं।
- स्तनों में सूजन और दूध का उत्पादन होना।
- यूट्रस कॉन्ट्रैक्शन, इसमें गर्भाश्य में सिकुड़न हो जाती है।
- ब्लीडिंग और थकान।
- हार्मोनल इंबैलेंस जो मूड और ऊर्जा पर असर डालते हैं।
मेंटल हेल्थ पर असर
पोस्टपार्टम में मेंटल हेल्थ भी अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। इस दौरान कई महिलाएं मानसिक प्रेशर, चिंता और स्ट्रेस का सामना करती हैं। ये हो सकते हैं कुछ बदलाव
- बेबी ब्लूज (हल्की उदासी और मूड स्विंग्स)।
- उदासी और निराशा लंबे समय तक महसूस करना।
- बहुत ज्यादा चिंता और घबराहट के दौरे पड़ना।
यह सभी परिवर्तन हार्मोनल बदलावों, नींद की कमी और नई जिम्मेदारियों के कारण हो सकते हैं।
रिश्तों पर पर भी असर
पोस्टपार्टम से गुजर रही महिलाओं को अपने रिश्तों में भी बदलाव देखने पड़ते हैं। शारीरिक और मानसिक बदलावों के कारण पार्टनर के साथ संबंधों में तनाव आ सकता है। इसके साथ ही बच्चे को संभालने का और सही ख्याल रखने का प्रेशर कुछ मांओं के लिए नकारात्मक भी बन जाता है। इस वजह से कई बार नई माताएं बच्चे को प्रेशर समझ लेती हैं। हालांकि, सकारात्मक संवाद और जिम्मेदारियों को बांटने से रिश्तों को मजबूत किया जा सकता है।
कुछ जरूरी सुझावों को अपनाएं
- आराम करना और मदद स्वीकार करना इस समय सही रहेगा।
- पोषक आहार लेना और पानी पीना भी फायदेमंद है।
- हल्की शारीरिक गतिविधि जैसे चलना और योग करने की आदत डालें।
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