खसरा और रूबेला की शुरुआत
खसरा और रूबेला दोनों ही वायरल बीमारियां हैं। खसरा की बात करें, तो इसमें मरीज के शरीर पर छोटे-छोटे दाने दिखाई देते हैं। ये बच्चों के लिए काफी खतरनाक बीमारी है। वहीं, रूबेला का खतरा गर्भवती महिलाओं में ज्यादा देखने को मिलता है। इससे कई बार उनको गर्भपात का सामना भी करना पड़ता है। ये भी पढ़ें: दुनिया की सबसे ज्यादा फैलने वाली बीमारी, जिसका इलाज नहीं, यूरोप में 3000% तक बढ़ गए मामलेभारत में खसरा और रूबेला
WHO की एक रिपोर्ट के अनुसार, हर साल भारत में खसरा और रूबेला की चपेट में आकर करीब 49,000 बच्चों की मौत हो जाती है। हालांकि, काफी हद तक इन बीमारियों को टीकाकरण के जरिए जानलेवा होने से बचाया जा सकता है। रिपोर्ट में कहा गया कि 'अगर 9 महीने से 15 साल के बच्चों को इसका टीका लगाया जाए, तो वह इस रोग से मुक्ति पा सकते हैं। [caption id="attachment_1255572" align="alignnone" ]कितने बच्चों को लग चुका है टीका
दुनियाभर में करीब 150 देशों में इन बीमारियों को कंट्रोल करने के लिए टीकाकरण (Measles Mumps Rubella- MMR) का अभियान चलाया जा रहा है। भारत में अब तक करीब 22 करोड़ से ज्यादा बच्चों को इसका टीका दिया जा चुका है। इसमें करीब 30 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में इसका काम पूरा किया जा चुका है। हालांकि, यह आंकड़ें 2019 तक के हैं। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के आंकड़ों के मुताबिक, खसरा के रोग में टीकाकरण से अभी तक (2000 से 2023) करीब 60 मिलियन मौतों को टाला जा चुका है। वहीं, साल 2023 को लेकर दुनियाभर में इससे करीब 107,500 मौतों की संभावना जताई गई थी। ये भी पढ़ें: भारत पर मंडरा रहा इस खतरनाक बीमारी का खतरा, WHO ने जारी की चेतावनीखसरा का रोग कैसे फैलता है?
खसरा का रोग सांस के जरिए, छींकने या खांसने से फैलता है। यह कई मामलों में इतना खतरनाक हो जाता है कि इससे मरीज की मौत हो जाती है। यूं तो यह हर उम्र के शख्स को प्रभावित कर सकता है, लेकिन आमतौर पर बच्चों में इसका ज्यादा प्रभाव देखा जाता है। [caption id="attachment_1255573" align="alignnone" ]रूबेला से किसे ज्यादा खतरा?
खसरा की तरह ही रूबेला भी एक वायरल बीमारी है। लेकिन इसमें फर्क इतना है कि यह गर्भवती महिलाओं को ज्यादा प्रभावित करती है। यह इस पीरियड में इतनी खतरनाक साबित होती है कि कई बार भ्रूण तक पहुंच जाती है। इसके कई गंभीर परिणाम सामने आते हैं। इसके लिए तुरंत डॉक्टर के पास जाने की सलाह दी जाती है।क्या होते हैं इंफेक्शन के लक्षण?
1- खसरा के लक्षण- नाक बहना 2- तेज बुखार, दस्त 3- खांसी, कान में दिक्कत 4- पूरे शरीर पर लाल चकत्ते 5- कई बार गंभीर घाव का रूप भी ले लेते हैं। ये भी पढ़ें: Nipah Virus Explained: 1998-99 में आया वायरस फिर से बना सिरदर्द, जानवरों से इंसानों में पहुंचकर कैसे बन रहा जानलेवा?रूबेला को कैसे पहचानें?
1- सिरदर्द 2- भरी हुई या बहती नाक 3- लाल, खुजली वाली आंखें 4- गर्दन के पीछे और कानों के पीछे गांठ बनना 5- गुलाबी दाने, जो चेहरे पर शुरूहोकर पूरे शरीर में फैलते हैं 6- जोड़ों में दर्द [caption id="attachment_1255576" align="alignnone" ]रूबेला का गर्भवती महिलाओं को ज्यादा खतरा
भारत में गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को इस रोग के होने का सबसे ज्यादा खतरा रहता है। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के मुताबिक, 40 से 45 फीसदी महिलाएं रूबेला के मामले में काफी सेंसिटिव होती हैं। वहीं, कई ऐसी जगह हैं जहां पर गर्भवती महिलाएं इस बीमारी के कारण विकृतियों के साथ बच्चे पैदा करती हैं।क्या हो सकते हैं इसके प्रभाव?
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में बताया गया कि रूबेला से ग्रस्त गर्भवती महिलाएं बच्चों को जन्म तो देती हैं, लेकिन वह बच्चे कुछ न कुछ कमियों के साथ पैदा होते हैं। ऐसे बच्चों की संख्या 2 लाख से ज्यादा है। गर्भावस्था के तीसरे महीने में वायरस से इंफेक्टिड होने के फौरन बाद डॉक्टर से मिलना जरूरी है।बच्चों में किस तरह की कमियां होने का खतरा?
गर्भावस्था के दौरान अगर यह वायरस भ्रूण तक पहुंच गया है, तो ऐसे बच्चे पैदा तो होते हैं लेकिन वे पूरी तरह से नॉर्मल नहीं होते हैं। बच्चों में बहरापन, सांस से जुड़ी समस्याएं और अंधापन जैसी कमियां देखने को मिल सकती हैं। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने बताया कि बच्चों में कितने फीसदी तक इस तरह की परेशानियां हो सकती हैं-
1- बच्चों में बहरापन- 92 फीसदी
2- अंधापन- 56 फीसदी
3- जन्मजात दिल की बीमारी- 65 फीसदी
4- डायबिटीज- 01 फीसदी
5- सुनने की परेशानी- 19 फीसदी
6- बिहेवियर डिसऑर्डर- 32 फीसदी
[caption id="attachment_1255578" align="alignnone" ] Photo Credit- Freepik[/caption]