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दुनिया के लिए खतरा बन सकते हैं 4 घातक वायरल, वैज्ञानिकों की उड़ी नींद

Four Deadly Viruses Next Pandemic: ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित एक स्टडी के अनुसार इन वायरस से होने वाली मौतें, जिनमें से आधी मनुष्यों में फैलती हैं, वो साल 2050 तक 12 गुना बढ़ने वाली हैं।

Image Credit: Freepik
Four Deadly Viruses Next Pandemic: दुनियाभर से अभी तक कोरोना वायरस का प्रकोप खत्म नहीं हुआ है। कई देशों में कोरोना के अलग-अलग वैरिएंट भी सामने आ रहे हैं, ऐसे में वैज्ञानिकों की एक चेतावनी ने दुनियाभर के लोगों की नींद उड़ा दी है। वैज्ञानिकों का मानना है कि जल्द ही चार घातक वायरस दुनिया में फिर से तबाही का मंजर ला सकते हैं। भले ही इन नई महामारियों का समय और सीमा साफ नही हैं। लेकिन इबोला,मारबर्ग,सार्स और निपाह जैसे संक्रामक रोग दुनिया में बड़े लेवल पर फैल सकते हैं। ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित एक स्टडी के अनुसार इन वायरस से होने वाली मौतें,जिनमें से आधी मनुष्यों में फैलती हैं। वो साल 2050 तक 12 गुना बढ़ने वाली हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इन वायरस को अगली महामारी के स्रोत के रूप में प्राथमिकता दी है। स्टडी में साफ तौर पर कहा गया है कि इबोला मानव जाति के लिए बड़े खतरों में से एक है। वैज्ञानिकों ने इस बात पर भी चिंता जताई है कि कैसे इन चार बड़े वायरस ने 60 के दशक के बाद तेजी से अपनी मौजूदगी बढ़ाई है।

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इबोला और मारबर्ग (Ebola and Marburg)

इबोला और मारबर्ग दोनों सबसे संक्रामक वायरस हैं, जो चमगादड़ों में पाए जाते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि ये वायरल पूरे अफ्रीका में पिछले कुछ सालों में बड़े पैमाने पर फैला हुआ है। इससे हजारों की संख्या में लोग मरे हैं। इबोला या मारबर्ग रोग का प्रकोप- इंफेक्शन पर रोकथाम और नियंत्रण, देखें ये Video स्टडी के अनुसार संपर्क से फैलने वाले दोनों वायरस जल्द ही विश्व स्तर पर फैल सकते हैं। इबोला एक दुर्लभ रक्तस्रावी/हेमोरेजिक (Hemorrhagic) बुखार है, लेकिन गंभीर और अक्सर मनुष्यों में घातक बीमारी है। यह जंगली जानवरों से फैलता है। इसके बाद इंसान से इंसान में फैलता है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि ईवीडी मामले में औसत मृत्यु दर करीब 50 % है। इबोला और मारबर्ग दोनों में अचानक तेज बुखार, गंभीर सिरदर्द, अस्वस्थता और आंखों या आंतरिक अंगों से ब्लीडिंग शुरू होती है।

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गंभीर तीव्र श्वसन सिंड्रोम या सार्स (Severe Acute Respiratory Syndrome or SARS)

गंभीर तीव्र श्वसन सिंड्रोम या SARS एक वायरल सांस से जुड़ा संक्रमण है, जो कोरोनोवायरस के कारण होता है। सार्स फेफड़ों में वायुमार्ग को गंभीर रूप से प्रभावित करता है और इसमें फ्लू और सामान्य सर्दी जैसे लक्षण होते हैं, जिनमें सिरदर्द, बुखार, शरीर में दर्द, खांसी और निमोनिया शामिल हैं। सार्स ज्यादा संक्रामक है और यह वायरस पीड़ित इंसान के खांसने या छींकने से फैल सकता है। SARS ने फरवरी 2003 में एशिया में अपने पहले प्रकोप में काफी घातक रूप दिखाया था। क्या है Severe Acute Respiratory Syndrome, Dr. Arpana Samanta की इस Video से समझें- 

निपाह (Nipah)  

स्टडी रिपोर्ट में बताया गया है कि निपाह चमगादड़ों से फैलता है। ये भी अगली महामारी का बड़ा कारण बन सकता है। इंसान के दिमाग पर हमला करने वाला ये वायरस सूजन पैदा करता है। इस वायरल की सबसे खराब बात ये है कि इसमें मृत्यु दर 75 % तक होती है। बताया गया है कि इस साल भारत के केरल में निपाह का प्रकोप हुआ था, जिसमें कई लोगों की मौत हो गई थी।

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माचुपो (Machupo) 

ये ब्लैक टाइफस और बोलिवियाई ब्लीडिंग बुखार के रूप में भी जाना जाता है। माचुपो को पहली बार 50 के दशक में दक्षिण अमेरिका के बोलीविया में खोजा गया था। माचुपो चूहों से फैलता है। संक्रमण की धीमी शुरुआत बुखार,अस्वस्थता,सिरदर्द और मायलगिया के साथ होती है,जो मलेरिया जैसा होता है। बताया जाता है कि इससे संक्रमित होने के बाद आमतौर पर शुरुआत के 7 दिनों में ऊपरी शरीर पर खून के धब्बे,नाक और मसूड़ों से ब्लीडिंग देखा जाता है। इस वायरल से ग्रसित मरीजों में मृत्यु दर करीब 25 % होती है। Disclaimer: इस लेख में बताई गई जानकारी और सुझाव को पाठक अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। News24 की ओर से किसी जानकारी और सूचना को लेकर कोई दावा नहीं किया जा रहा है।


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