नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयुक्त की नियक्ति पर सवाल उठाए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि संविधान ने मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) के “नाजुक कंधों” पर भारी शक्तियां निहित की हैं और यह महत्वपूर्ण है कि “मजबूत चरित्र वाले व्यक्ति” को इस पद पर नियुक्त किया जाए। जस्टिस केएम जोसेफ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संवैधानिक बेंच ने चुनाव आयोग के सदस्यों की नियुक्ति की प्रक्रिया में सुधार की सिफारिश करने वाली याचिकाओं पर मंगलवार को सुनवाई की।
”जमीनी स्थिति खतरनाक है”
सुप्रीम कोर्ट ने कल कहा था कि ”जमीनी स्थिति खतरनाक है” और वह दिवंगत टी एन शेषन जैसा सीईसी चाहती है, जिन्हें 1990 से 1996 तक चुनाव आयोग के प्रमुख के रूप में महत्वपूर्ण चुनावी सुधार लाने के लिए जाना जाता है। जस्टिस जोसेफ ने आज कहा- हम सरकार यह भी जानती है कि जिनको वह आयुक्त और मुख्य आयुक्त नियुक्त कर रही है वो प्रावधान के मुताबिक अपना 6 साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाएंगे। ऐसे में CEC स्वतंत्र रूप से काम नहीं कर पाते।
जस्टिस जोसेफ ने कहा कि”योग्यता के अलावा, जो महत्वपूर्ण है वह यह है कि आपको चरित्र वाले किसी व्यक्ति की आवश्यकता है, कोई ऐसा व्यक्ति जो खुद को बुलडोजर से चलने न दे। ऐसे में सवाल यह है कि इस व्यक्ति की नियुक्ति कौन करेगा?
“लोकतंत्र संविधान का एक बुनियादी ढांचा है”
अदालत ने कहा, “लोकतंत्र संविधान का एक बुनियादी ढांचा है। इस पर कोई बहस नहीं है। हम संसद को भी कुछ करने के लिए नहीं कह सकते हैं और हम ऐसा नहीं करेंगे। हम सिर्फ उस मुद्दे के लिए कुछ करना चाहते हैं, जो 1990 से उठाया जा रहा है।” अदालत ने कहा कि अब तक कई सीईसी रहे हैं, मगर टीएन शेषन जैसा कोई कभी-कभार ही होता है। हम नहीं चाहते कि कोई उन्हें ध्वस्त करे। तीन लोगों (सीईसी और दो चुनाव आयुक्तों) के नाजुक कंधों पर बड़ी शक्ति निहित है। हमें सीईसी के पद के लिए सबसे अच्छा व्यक्ति खोजना होगा।