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Supreme Court ने कहा- बेंगलुरु के ईदगाह मैदान में गणेश चतुर्थी के आयोजन की इजाजत नहीं

प्रभाकर मिश्रा, सुप्रीम कोर्ट: बेंगलुरू के ईदगाह मैदान में गणेश चतुर्थी पूजा का आयोजन नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को यह आदेश दिया है। अदालत ने मामले में ‘स्टेटस को’ रखने का निर्देश दिया है। दरअसल, बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका ने 6 अगस्त को अपने फैसले में कहा थाकि 2.5 एकड़ का ईदगाह मैदान सरकार […]

Edited By : Amit Kasana | Updated: Aug 31, 2022 11:22
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प्रभाकर मिश्रा, सुप्रीम कोर्ट: बेंगलुरू के ईदगाह मैदान में गणेश चतुर्थी पूजा का आयोजन नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को यह आदेश दिया है। अदालत ने मामले में ‘स्टेटस को’ रखने का निर्देश दिया है। दरअसल, बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका ने 6 अगस्त को अपने फैसले में कहा थाकि 2.5 एकड़ का ईदगाह मैदान सरकार का है। यह वक्फ़ बोर्ड का नहीं है। इस फैसले के बाद कई हिंदू संगठनों में होड़ है कि वहां गणेश चतुर्थी का पंडाल लगाया जाए। गौरतलब है कि अगले साल बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका का चुनाव भी होना है।

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वक्फ़ बोर्ड ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी

25 अगस्त को हाईकोर्ट के सिंगल जज बेंच ने अपने आदेश में कहा था कि मैदान में मुस्लिम ईद के दिन नमाज पढ़ सकते हैं। इसके अलावा 15 अगस्त और 26 जनवरी का समारोह हो सकता है। बाकी समय खेल के मैदान के रूप में ही उपयोग होगा। इसके अगले दिन डिवीजन बेंच ने फैसले में बदलाव करते हुए वहां 31 अगस्त से सीमित समय के लिए धार्मिक और सांस्कृतिक ( गणेश चतुर्थी ) की इजाज़त दी थी। हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गयी है।

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बोर्ड का यह दावा 

अदालत में वक़्फ़ बोर्ड ने दावा किया कि 200 साल से ज़मीन पर उनका कब्जा है। आज तक ऐसा कोई आयोजन वहां नहीं हुआ। गणेश चतुर्थी की इजाजत नहीं होनी चाहिए। 1965 में सुप्रीम कोर्ट ने यहां मुसलमानों के पक्ष में फैसला दिया था। इस ऑर्डर में जस्टिस हिदायतुल्ला ने यहां सामुहिक प्रार्थना का अधिकार दिया था। वहीं, राज्य सरकार का दावा है कि यह सरकार की ज़मीन है। जमीन मुस्लिम समुदाय के कब्जे में भले है, यह वक्फ़ की प्रॉपर्टी नहीं है।

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Written By

Amit Kasana

Edited By

Manish Shukla

First published on: Aug 30, 2022 07:15 PM
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