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काशी-तमिल संगमम में PM मोदी बोले-काशी और तमिलनाडु दोनों शिवमय हैं

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को वाराणसी पहुंचे। उन्होंने काशी-तमिल संगमम् कार्यक्रम का उद्घाटन किया। पीएम मोदी जनसभा को संबोधित किया। पीएम ने कहा कि हमारे देश में संगमों का बड़ा महत्व रहा है। नदियों और धाराओं के संगम से लेकर विचारों व विचारधाराओं, ज्ञान व विज्ञान और समाजों व संस्कृतियों के हर संगम […]

Author Published By : Gyanendra Sharma Updated: Nov 19, 2022 16:18
PM modi

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को वाराणसी पहुंचे। उन्होंने काशी-तमिल संगमम् कार्यक्रम का उद्घाटन किया। पीएम मोदी जनसभा को संबोधित किया। पीएम ने कहा कि हमारे देश में संगमों का बड़ा महत्व रहा है। नदियों और धाराओं के संगम से लेकर विचारों व विचारधाराओं, ज्ञान व विज्ञान और समाजों व संस्कृतियों के हर संगम को हमने सेलिब्रेट किया है।

पीएम मोदी ने कहा कि एक ओर पूरे भारत को अपने आप में समेटे हमारी सांस्कृतिक राजधानी काशी है तो दूसरी ओर, भारत की प्राचीनता और गौरव का केंद्र, हमारा तमिलनाडु और तमिल संस्कृति है। ये संगम भी गंगा-यमुना के संगम जितना ही पवित्र है।काशी में बाबा विश्वनाथ हैं तो तमिलनाडु में भगवान रामेश्वरम का आशीर्वाद है। काशी और तमिलनाडु, दोनों शिवमय हैं, दोनों शक्तिमय हैं। एक स्वयं में काशी है, तो तमिलनाडु में दक्षिण काशी है। ‘काशी-कांची’ के रूप में दोनों की सप्तपुरियों में अपनी महत्ता है।

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पीएम मोदी ने कहा कि हमें आजादी के बाद हजारों वर्षों की परंपरा और इस विरासत को मजबूत करना था, इस देश का एकता सूत्र बनाना था, लेकिन दुर्भाग्य से इसके लिए बहुत प्रयास नहीं किए गए। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे देश में सुबह उठ कर सौराष्ट्रे सोमनाथम से लेकर 12 ज्योतिर्लिंग के स्मरण की परंपरा है। यानी देश की सभी नदियों का स्मरण करते हुए मंत्र पढ़ते हैं।

तमिल की विरासत को बचाना है

पीएम मोदी ने कहा कि हमारे पास दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा तमिल है। आज तक ये भाषा उतनी ही लोकप्रिय है। ये हम 130 करोड़ देशवासियों की ज़िम्मेदारी है कि हमें तमिल की इस विरासत को बचाना भी है, उसे समृद्ध भी करना है। हमें अपनी संस्कृति, अध्यात्म का भी विकास करना है। दुनिया में लोगों को जब पता चलता है कि विश्व की सबसे पुरानी भाषा भारत में है तो उन्हें आश्चर्य होता है। मेरा अनुभव है, रामानुजाचार्य और शंकराचार्य से लेकर राजाजी और सर्वेपल्लि राधाकृष्णन तक, दक्षिण के विद्वानों के भारतीय दर्शन को समझे बिना हम भारत को नहीं जान सकते।

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First published on: Nov 19, 2022 04:09 PM

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