Pakistan Hindu Girl Kidnap Forcibly Conversion Know Pattern Of Oppression: पाकिस्तान में एक और हिंदू महिला के अपहरण और जबरन धर्म परिवर्तन का मामला सामने आया है। महिला का दो महीने पहले अपहरण किया गया था। इसके बाद मौका मिलने के बाद वो अपहरणकर्ता के चंगुल से भाग जाती है। पीड़िता की पहचान रजीता मेघवार कोल्ही उर्फ रीता के रूप में की गई है। पाकिस्तान की एक मीडिया चैनल ने रजीता का एक वीडियो ट्वीट किया। वीडियो में रजीता ने कहा कि उसकी इच्छा के खिलाफ एक शख्स से शादी करने और धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर किया गया।
रजीत ने वीडियो में कहा कि अगर उसने अपहरणकर्ता की बात नहीं मानी तो उसके माता-पिता को जान से मार दिया जाएगा। भागने के बाद लड़की पुलिस के पास पहुंची, जहां से उसे कोर्ट में पेश किया गया। पेशी के दौरान रजीता मेघवार कोल्ही रोने लगी और कोर्ट से गुहार लगाई कि वो अपने माता-पिता के साथ फिर से मिलना चाहती है, लेकिन पाकिस्तान की न्याय प्रणाली उसकी बात अनसुनी कर देती है और आंखें मूंद लेती है। सुनवाई के बाद कोर्ट ने रजीता को महिला आश्रय में भेज दिया।
बता दें कि रजीता पाकिस्तान की एक दलित हिंदू महिला है और वह अल्पसंख्यक समुदायों की उन हजारों महिलाओं में से एक है जिनका हर साल अपहरण कर लिया जाता था, उन्हें जबरन इस्लाम में परिवर्तित कर दिया जाता था और उनसे शादी कर ली जाती थी। अल्पसंख्यक अधिकार कार्यकर्ता शिवा काछी ने कहा के ये ध्यान देने योग्य है कि मीरपुर खास (सिंध प्रांत का शहर) की इसी अदालत ने पहले एक मुस्लिम लड़की को उसके माता-पिता से मिलने की इजाजत दी थी, जब उसके माता-पिता ने कहा था कि वह उनके साथ रहना चाहती है। हालांकि, रजीता के मामले में, उसे महिला आश्रय में भेज दिया गया।
पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेटर बोले- पाक अदालतें हिंदू लड़कियों को न्याय देने में विफल
पाकिस्तान के क्रिकेटर दानिश कनेरिया ने रजीता मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि पाकिस्तान की अदालतें हिंदू लड़कियों को न्याय देने में विफल रही हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान का प्रतिनिधित्व करने वाले दानिश कनेरिया ने कहा कि जबरन धर्मांतरण और अपहरण के ऐसे मामले मानवाधिकारों का हनन हैं। पाकिस्तान की कानूनी व्यवस्था अपने अल्पसंख्यकों को विफल कर रही है। ऐसा लगता है कि पाकिस्तान में पूरी कानून-व्यवस्था ने अल्पसंख्यकों को छोड़ दिया है।
Such case of forced conversions and abductions are human rights abuses. Unfortunately courts in Pakistan have failed to deliver justice to Hindu girl victims. Meanwhile, perpetrators are set free to carry on such acts. https://t.co/PrkyHB8I6l
— Danish Kaneria (@DanishKaneria61) October 18, 2023
पाकिस्तान में हिंदू अल्पसंख्यकों के साथ आते रहे हैं ऐसे मामले
13 अक्टूबर को, द राइज़ न्यूज़ ने टांडो मुहम्मद खान के एक गांव से मोहम्मद खान द्वारा एक नाबालिग राधा मेघवार के अपहरण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का एक वीडियो पोस्ट किया था। कार्यकर्ता विंदू कुमार ने कहा कि हिंदू लड़कियों के नियमित अपहरण का उद्देश्य सिंधी हिंदुओं को अपनी जमीन छोड़ने के लिए डराना था। विंदू कुमार ने कहा, पुलिस ने राधा मेघवार का पता लगाने और उसकी मदद करने के लिए कुछ नहीं किया।
- 30 सितंबर को मीरपुर खास के कोट गुलाम मुहम्मद में कोल्ही समुदाय की एक लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था। पुलिस ने मामला दर्ज करने की जहमत तक नहीं उठाई।
- 2022 की एक रिपोर्ट में, इंटरनेशनल दलित सॉलिडैरिटी नेटवर्क ने कहा कि वह जबरन इस्लाम में धर्म परिवर्तन और जबरन शादी के उद्देश्य से दलित महिलाओं और लड़कियों के अपहरण की बार-बार आ रही रिपोर्टों से चिंतित है।
- पाकिस्तान स्थित औरत फाउंडेशन और मूवमेंट फॉर सॉलिडेरिटी एंड पीस का अनुमान है कि हर साल 1,000 महिलाओं और लड़कियों का अपहरण किया जाता है, जबरन धर्म परिवर्तन किया जाता है और फिर उनकी अपहरणकर्ताओं से शादी करा दी जाती है। ये महिलाएं अल्पसंख्यक ईसाई और हिंदू समुदाय से होती हैं।
- द कॉमनवेल्थ इनिशिएटिव फॉर फ्रीडम ऑफ रिलिजन एंड बिलीफ की रिपोर्ट के अनुसार, स्वयंसेवी समूह रिस्पॉन्सिबल फॉर इक्वेलिटी एंड लिबर्टी (रियल) का भी अनुमान है कि हर महीने 20 से 25 हिंदू लड़कियों का धर्म बदलवाया जाता है।
Reeta Kohli expressed her desire to go with her parents, but the court, despite her statement, decided to send her to safe house.
She was in tears and protested in court, adamantly stating that she didn't want to go to safe house but rather wanted to live with her parents. 1/2 https://t.co/lRsMHT3RwJ pic.twitter.com/kXsbnISYMg— The Rise News (@Therisenews_) October 17, 2023
2017 की जनगणना के अनुसार, पाकिस्तान की 96 प्रतिशत आबादी मुस्लिम है, 1.6 प्रतिशत हिंदू है, 1.6 प्रतिशत ईसाई है और बाकी 0.2 प्रतिशत अहमदी मुस्लिम, बहाई, सिख और पारसी हैं। मुस्लिम बहुल पाकिस्तान की अधिकतर अल्पसंख्यक हिंदू आबादी सिंध प्रांत में रहती है।
पाकिस्तान की अदालतें धर्मांतरण को सक्षम बनाती हैं: संयुक्त राष्ट्र विशेषज्ञ
धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी विदेश विभाग की 2021 की रिपोर्ट में कहा गया है कि गैर सरकारी संगठनों के अनुसार, पुलिस धार्मिक अल्पसंख्यकों और ईशनिंदा के आरोपियों की रक्षा करने में विफल रही है। पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग (एचआरसीपी) ने बताया कि अल्पसंख्यक धर्म की युवतियों, अक्सर ग्रामीण सिंध की निचली जाति की हिंदू लड़कियों का जबरन धर्म परिवर्तन जारी है। साथ ही जबरन विवाह, बाल विवाह और जबरन धर्म परिवर्तन के कई मामले भी सामने आ रहे हैं।
इस साल जनवरी में, संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों की लड़कियों और युवा महिलाओं के अपहरण, धर्मांतरण और जबरन विवाह में वृद्धि पर चिंता व्यक्त की। मानवाधिकार परिषद को रिपोर्ट करने वाले स्पेशलिस्ट्स ने कहा कि हम यह सुनकर बहुत परेशान हैं कि 13 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों को उनके परिवारों से अपहरण कर लिया जा रहा है। उनकी तस्करी भी की जा रही है। जबरन उनकी शादी दोगुनी उम्र के शख्स से कर दी जाती है और ऐसा करने के लिए उन्हें मजबूर भी किया जाता है।
संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने कहा कि हम इस बात से बहुत चिंतित हैं कि ऐसी शादियां और धर्मांतरण इन लड़कियों और महिलाओं या उनके परिवारों पर हिंसा के खतरे के तहत होते हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की अदालत प्रणाली ने अपराधियों के फर्जी सबूतों को बिना आलोचनात्मक जांच के स्वीकार करके इन अपराधों को सक्षम बनाया है। उन्होंने कहा कि अदालतों ने कई बार पीड़ितों को दुर्व्यवहार करने वालों के साथ रहने को उचित ठहराने के लिए धार्मिक कानून की व्याख्याओं का दुरुपयोग किया है। केवल अदालतें ही नहीं, यहां तक कि पाकिस्तान में इस्लामी पादरी भी हिंदू महिलाओं के ऐसे जबरन धर्म परिवर्तन की सुविधा प्रदान करते हैं।
पिछले साल दिसंबर में यूनाइटेड किंगडम ने मौलवी मियां अब्दुल हक (मियां मिट्ठू) पर प्रतिबंध लगा दिया था, जो पाकिस्तान में कई हिंदू महिलाओं के अपहरण, बलात्कार और धर्मांतरण के पीछे था। मियां मिट्ठू सिंध के घोटकी जिले में दरगाह भरचुंडी शरीफ का कार्यवाहक है, जहां इस तरह के अधिकांश धर्मांतरण होते हैं। मियां मिट्ठू पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी का नेता भी है।
हिंदू लड़कियों पर अत्याचार का ये है पैटर्न
इस साल जुलाई में, सिंध प्रांत में हिंदू व्यापारी लीला राम की तीन बेटियों का अपहरण कर लिया गया। उनका धर्म परिवर्तन किया गया और उनकी सहमति के बिना उनका विवाह कर दिया गया। अल्पसंख्यक अधिकार कार्यकर्ता शिव काछी ने कहा कि तीन बहनों, चांदनी, रोशनी और परमेश कुमार की शादी उन्हीं पुरुषों से हुई थी, जिन्होंने उनका अपहरण किया था। कच्छी ने कहा कि अधिकारियों द्वारा अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने से ऐसे अपराध बढ़ रहे हैं।
कॉमनवेल्थ इनिशिएटिव फॉर फ्रीडम ऑफ रिलिजन एंड बिलीफ की रिपोर्ट बताती है कि एक पैटर्न है, जिसमें ऐसे मामले सामने आते हैं। 12 से 15 वर्ष की आयु की लड़कियों का अपहरण कर लिया जाता है, उन्हें इस्लाम में परिवर्तित कर दिया जाता है और फिर अपहरणकर्ता या किसी अन्य मुस्लिम व्यक्ति से उनकी शादी करा दी जाती है। जब लड़की का परिवार पुलिस में शिकायत दर्ज करता है, तो अपहरणकर्ता, पीड़िता की ओर से उसके परिवार पर स्वेच्छा से शादी करने वाले जोड़े को परेशान करने का आरोप लगाते हुए एक जवाबी एफआईआर दर्ज करता है।
लड़की के परिवार वालों को धमकियां दी जाती हैं। धमकियों, डराने-धमकाने और ब्रेनवॉश करने के कारण लड़की ज्यादातर अपहरणकर्ता के पक्ष में गवाही देती है। पाकिस्तानी पत्रकार और द राइज़ न्यूज़ के संस्थापक ने रजीता कोल्ही घटना पर एक्स पर टिप्पणी की। उन्होंने लिखा कि पाकिस्तान में हिंदू लड़कियों के आंसुओं को कम महत्व दिया जाता है। वहीं, पाकिस्तानी कार्यकर्ता, लेखक और राजनेता मानवाधिकारों पर चर्चा करते हैं, लेकिन वे इस तरह के मामलों पर चुप रहते हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि हिंदू लड़कियां मानवाधिकारों के उनके शब्दकोश में फिट नहीं बैठती हैं।