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विजय देवरकोंडा ने आदिवासी टिप्पणी पर मांगी माफी, कहा- ठेस पहुंचाना मकसद नहीं था

विजय देवरकोंडा ने कहा कि वह अपने सोशल मीडिया का इस्तेमाल लोगों को प्रेरित करने और जोड़ने के लिए करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि जनजातियां भारत का जरूरी और अहम हिस्सा हैं।

Author Published By : News24 हिंदी Updated: May 3, 2025 19:09

अभिनेता विजय देवरकोंडा ने आदिवासी लोगों को लेकर की गई अपनी टिप्पणी पर माफी मांगी है। ये मामला तब सामने आया जब उनके खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज हुई। विजय ने शनिवार को सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिखकर सफाई दी कि उनका किसी को भी दुख पहुंचाने या निशाना बनाने का कोई इरादा नहीं था। उन्होंने बताया कि उन्होंने ‘जनजाति’ शब्द किस संदर्भ में इस्तेमाल किया था। ये बात उन्होंने हैदराबाद में हुए एक कार्यक्रम ‘रेट्रो’ के दौरान कही थी।

विजय ने क्या कहा?

विजय ने कहा कि वह जनजातियों का सम्मान करते हैं और उन्हें भारत का अहम हिस्सा मानते हैं। उन्होंने लिखा, “मुझे पता चला है कि मेरी एक बात से कुछ लोगों को बुरा लगा है। मैं साफ कर दूं कि मेरा किसी को दुख पहुंचाने का इरादा नहीं था, खासतौर पर उन जनजातीय लोगों का, जिनका मैं बहुत सम्मान करता हूं।”

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उन्होंने बताया कि वो उस कार्यक्रम में भारत की एकता की बात कर रहे थे। उन्होंने कहा, “मैं बस ये कह रहा था कि भारत एक है और हमें मिलकर आगे बढ़ना चाहिए। ऐसे में मैं किसी को क्यों नीचा दिखाऊंगा?”

‘जनजाति’ शब्द पर सफाई

विजय ने लिखा कि उन्होंने ‘जनजाति’ शब्द का इस्तेमाल पुराने समय के लिए किया था, जब दुनिया भर में लोग कबीलों में बंटे होते थे और आपस में लड़ते रहते थे। उन्होंने कहा कि उनका इरादा कभी भी आज की अनुसूचित जनजातियों की बात करने का नहीं था। उन्होंने अंग्रेजी डिक्शनरी से भी उदाहरण दिया कि ‘tribe’ का मतलब क्या होता है।

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विजय ने लिखा, “अगर मेरी बात से किसी को दुख पहुंचा है, तो मैं दिल से माफी मांगता हूं। मेरा मकसद सिर्फ एकता, शांति और तरक्की की बात करना था। मैं हमेशा अपने सोशल मीडिया का इस्तेमाल लोगों को जोड़ने के लिए करूंगा, न कि बांटने के लिए।”

विजय की असली टिप्पणी क्या थी?

कार्यक्रम में उन्होंने कहा था,“कश्मीर की समस्या का हल ये है कि वहां के आतंकवादियों को पढ़ाया जाए ताकि उन्हें बहकाया न जा सके। कश्मीर भारत का हिस्सा है और वहां के लोग हमारे अपने हैं। भारत को पाकिस्तान पर हमला करने की जरूरत नहीं, वहां के लोग खुद ही अपनी सरकार से तंग आ चुके हैं। ये लोग 500 साल पहले की जनजातियों की तरह लड़ रहे हैं, जिनमें कोई समझदारी नहीं होती थी।”

विजय की इस बात पर तेलंगाना के एक वकील लाल चौहान ने शिकायत दर्ज करवाई। उनका कहना था कि विजय ने आदिवासी लोगों की तुलना आतंकवादियों से कर दी, जो गलत है।

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First published on: May 03, 2025 07:09 PM

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