Param Sundari Movie Review: (By Ravi Dubey) अभी हाल ही में जब दर्शकों ने ‘सैयारा’ जैसी इमोशन से भरी, दिल को चीर देने वाली लव स्टोरी देखी, तब जरुरत थी एक ऐसी फिल्म की जो मुस्कान भी दे, सुकून भी दे और प्यार का नर्म अहसास फिर से जगा दे। ‘परम सुंदरी’ उसी कमी को पूरा करती है- एक बेहद खूबसूरत लेकिन असरदार प्रेम कहानी, जो दिल को छू जाती है। फिल्म की कहानी है परम (सिद्धार्थ मल्होत्रा) की, जो दिल्ली का एक स्मार्ट, बहुत अमीर लड़का है, जो अपने पापा के पैसों से कई स्टार्टअप बिजनेस में इन्वेस्ट कर चुका है और बहुत पैसे डूबा चुका है।
क्या है ‘परम सुंदरी’ की कहानी?
इस बार वो एक ऐसे स्टार्टअप में इन्वेस्ट करने को तैयार होता है, जो एक ऐप के माध्यम से आपको आपका सोल मेट ढूंढ कर देता है- डेटा डालो, मैचिंग देखो और बस पार्टनर मिल गया। लेकिन जब उसके पिता (संजय कपूर) उससे शर्त लगाते हैं कि वो अपने ही ऐप से 30 दिन में अपना सच्चा प्यार ढूंढे, तो शुरू होता है एक ऐसा सफर, जो उसे ऐप के बाहर असल दुनिया में किसी से जुड़ने की ताकत सिखाता है। इस खोज में उसकी मुलाकात होती है सुंदरी (जान्हवी कपूर) से जो केरल की रहने वाली, जमीन से जुड़ी, आत्मविश्वासी और दिल की साफ लड़की है। उसकी दुनिया ऐप्स और एल्गोरिदम से नहीं, भावनाओं और रिश्तों से चलती है।
जान्हवी कपूर ने दी करियर की बेस्ट परफॉरमेंस
दोनों की पहली मुलाकात थोड़ी उलझी हुई होती है, लेकिन जैसे-जैसे वक्त गुजरता है, उनके बीच एक रिश्ता बनता है जो न तो फॉर्मूला है और न ही फिल्मी- बस सच्चा और महसूस करने लायक है। सिद्धार्थ और जान्हवी की केमिस्ट्री धीरे-धीरे बनती है और यही इसे खास बनाती है। सिद्धार्थ मल्होत्रा का कॉन्फिडेंस, ह्यूमर और इमोशन को बैलेंस करना काबिल-ए-तारीफ है। लेकिन असली चौंकाने वाली परफॉर्मेंस है जान्हवी कपूर की। सुंदरी के किरदार में उन्होंने ऐसा संतुलन दिखाया है, जो न ही ज्यादा भावुक है, न ही बनावटी। उनकी बॉडी लैंग्वेज, एक्सेंट, आंखों की सच्चाई- सब कुछ इतना रियल है कि आप भूल जाते हैं कि वो अभिनय कर रही हैं। ये उनका अब तक का सबसे असरदार अभिनय है।
कैसी है स्टारकास्ट की एक्टिंग?
संजय कपूर, पिता के किरदार में फिल्म में जान डालते हैं। उनका हास्य सटीक है और उनके पंचलाइन सीन्स में हल्का-फुल्का ह्यूमर कहानी में अच्छा ब्रेक देता है। मनजोत सिंह अपनी कॉमिक टाइमिंग से हंसाते हैं और इनायत वर्मा कुछ छोटे सीन में ही दिल जीत लेती हैं। सुंदरी के माता-पिता (रेंजी पणिक्कर और सिद्धार्थ शंकर) का प्रदर्शन भी पूरी तरह से स्वाभाविक और सधा हुआ है। तुषार जलोटा का निर्देशन फिल्म को जमीन से जुड़ा और भावनात्मक बनाए रखता है। वो कहानी को इधर-उधर भटकने नहीं देते। फिल्म का कैमरा वर्क शानदार है- दिल्ली की तेज रफ्तार और केरल की हरियाली के बीच एक खूबसूरत प्रतिवाद दिखता है। दृश्य इतने प्रभावशाली हैं कि कई बार आप डायलॉग्स भूलकर बस लोकेशन को निहारते रहना चाहेंगे।
कॉस्ट्यूम से लेकर म्यूजिक तक सब शानदार
फिल्म के कॉस्ट्यूम पर भी काफी ध्यान दिया गया है। परम का स्टाइलिश, लेकिन रिफाइंड लुक और सुंदरी के सादगी भरे, पारंपरिक कपड़े- सब कुछ बहुत सोच-समझ कर चुना गया है। मैडॉक फिल्म्स के प्रोडक्शन स्टैंडर्ड हमेशा की तरह उच्च गुणवत्ता के हैं, लेकिन बिना शोर-शराबे के।फिल्म का संगीत फिल्म के स्तर को और ऊपर लेकर जाता है। ‘पर्देसिया’ मस्ती से भरा है, ‘भीगी साड़ी’ में हल्की सी शोखी है, ‘डेंजर’ एक अलग बीट लाता है और फिर ‘सुन मेरे यार वे’ व ‘चांद कागज का’ आपको भावनाओं की गहराई में ले जाते हैं। टाइटल ट्रैक ‘सुंदरी के प्यार में’ पहले से ही हिट है और थिएटर में सुनते ही लोगों के चेहरे खिल उठते हैं।
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फिर से प्यार पर यकीन दिला देगी ये कहानी
‘परम सुंदरी’ आज की दुनिया में रिश्तों की सच्चाई दिखाती है, जहां हर चीज स्क्रीन से शुरू होती है, लेकिन असली कनेक्शन वहीं होता है जहां दिल धड़कता है। ये फिल्म ये जताने की कोशिश नहीं करती कि आज की टेक्नोलॉजी गलत है, लेकिन ये जरूर याद दिलाती है कि प्यार एक अनुभव है- कोई डाउनलोड करने वाली चीज नहीं। दिनेश विजान द्वारा निर्मित और मैडॉक फिल्म्स के बैनर तले बनी ‘परम सुंदरी’ एक ऐसी फिल्म है, जो ना तो आपको ज्ञान देती है, ना ही आपको बदलने की कोशिश करती है- ये बस आपको वो पुराना, प्यारा, सच्चा प्यार फिर से महसूस कराती है। एक साफ-सुथरी, दिल को सुकून देने वाली फिल्म, जो आपको मुस्कुराने, थोड़ा सोचने और शायद थोड़ी देर के लिए फिर से प्यार पर भरोसा करने पर मजबूर कर देती है।
अगर आपने हाल ही में कोई लाइट, इमोशनल और सच्चे अहसासों से भरी लव स्टोरी मिस की है, तो ये फिल्म आपके लिए ही बनी है। आप थिएटर से निकलते हुए मुस्कुराएंगे… और शायद फिर से किसी को दिल से महसूस करने की हिम्मत भी जुटा पाएंगे।
‘परम सुंदरी’ को 4 स्टार्स।