First woman in Independent India to be hanged: कहते हैं कि प्यार और इश्क की जंग में सब जायज है। जब इश्क बेहद और बेपनाह किया जाता है तो उसका अंजाम हर वक्त अच्छा नहीं रहता। बस कुछ ऐसा ही देखने को मिला था साल 2008 में भी। जब उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले में साल 2008 में एक दिल दहला देने वाले सामूहिक हत्याकांड ने हर किसी को हैरान कर दिया था। इसी पर आधारित डॉक्यू सीरीज ‘लव किल्स: शबाना और सलीम-अमरोहा हत्याकांड’ पिछले साल ओटीटी प्लेटफॉर्म डिस्कवरी+ पर रिलीज हुई थी। ये सीरीज दर्शकों को उस जघन्य हत्याकांड की चौंकाने वाली कहानी दिखाती है जिसने न सिर्फ अमरोहा, बल्कि पूरे देश को हिला कर रख दिया था।
आजाद भारत की पहली महिला जिसे हुई फांसी की सजा
इस सीरीज का फोकस उस समय की खौफनाक घटना पर था जिसमें एक मुस्लिम परिवार के सात लोगों की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। हत्यारे ने आठ महीने के एक बच्चे को भी नहीं बख्शा और परिवार के सभी सदस्यों का भी गला रेत दिया। कहने को तो ये देखकर ऐसा लगता है जैसे परिवार के किसी दुश्मन ने ये काम किया हो लेकिन असल में ऐसा नहीं था। पूरे परिवार में सिर्फ एक लड़की शबाना थी जिसकी जान बच जाती है। वो हत्याकांड के बाद डरी हुई, सहमी हुई सी नजर आती है, वो आस-पास के लोगों को बुला कर भी लाती है। लेकिन कहानी इतनी सीधी नहीं थीं। ये डॉक्यू सीरीज इसी रहस्यमय कहानी की तहकीकात करती है कि आखिरकार शबाना कैसे बच गई और क्या वो खुद इस हत्याकांड में शामिल थी या नहीं।
डॉक्यू सीरीज के रिलीज होने के साथ ही दर्शकों को इस बात का अंदाजा हो जाता है कि ये सीरीज सिर्फ एक हत्याकांड की कहानी नहीं है, बल्कि ये इश्क और दीवानगी के उन खतरनाक पहलुओं को भी दिखाती है जो किसी को भी हैवान बना सकते हैं।
मामले की जांच में सामने आई सच्चाई
सीरीज में पुलिस अधिकारियों, वकील, शबाना और सलीम के रिश्तेदारों और पड़ोसियों के इंटरव्यू शामिल किए गए हैं, जो इस हत्या की गुत्थी को सुलझाने में मदद करते हैं। पुलिस की जांच के दौरान, ये पता चला कि हत्याकांड से पहले सभी मृतकों को नशीला पदार्थ दिया गया था, जिससे वो बेहोश हो गए थे। इसके बाद शबाना पर शक की सुई घूमने लगती है क्योंकि उसने रात में सभी के लिए चाय बनाई थी।
इस दस्तावेज़ी सीरीज में तीन 25 मिनट के एपिसोड्स हैं जो आखिर तक दर्शकों की दिलचस्पी को बनाए रखते हैं। सीरीज में पूर्व डीआईजी बद्री प्रसाद, जांच अधिकारी आरपी गुप्ता, एसओजी मनोज राणा और शबाना के वकील सैफुल इस्लाम सिद्दीकी के इंटरव्यूज शामिल हैं, जो इस हत्याकांड के अलग-अलग पहलुओं को सामने लाते हैं।
शबनम ने ही परिवार की ली जान
सीरीज में आखिर में पता चलता है कि शबनम सलीम नाम के एक शख्स से प्यार करती थी, जिसे परिवार की मंजूरी नहीं मिल रही थी। बस सलीम के प्यार में शबनम इतनी पागल हो गई कि उसने सलीम के साथ रहने के लिए अपने ही परिवार को मौत के घाट उतार दिया। जांच में जब शबनम और सलीम की खौफनाक कहानी का सच सामने आया तो हर कोई दंग रह गया। शबनम को इस जघन्य अपराध के लिए फांसी की सजा सुनाई गई थी। अगर ऐसा हो जाता है तो वो आजाद भारत की पहली महिला होगी जिसे फांसी दी जाएगी।
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