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Motivational Story: सास-ससुर और पति को नियती ने छीना, फिर अनुकंपा नौकरी ठुकराकर बनी जज, हौंसला बना मिसाल

Success Story: आज हम आपको ऐसी महिला से आपको रूबरू कराने जा रहे हैं, जिनकी कहानी संघर्ष से लबालब तो है, लेकिन जिम्मेदारियों के साथ उनकी सहनशीलता को हम सलाम करते हैं। ये कहानी थैलसर (चूरू) की रहने वाली रिचा शेखावत राठौड़ है, जिन्होंने अपनी कमजोरी को ताकत बना जिम्मेदारियों को करते हुए सफलता का […]

Edited By : Niharika Gupta | Updated: Sep 9, 2022 17:31
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Success Story: आज हम आपको ऐसी महिला से आपको रूबरू कराने जा रहे हैं, जिनकी कहानी संघर्ष से लबालब तो है, लेकिन जिम्मेदारियों के साथ उनकी सहनशीलता को हम सलाम करते हैं। ये कहानी थैलसर (चूरू) की रहने वाली रिचा शेखावत राठौड़ है, जिन्होंने अपनी कमजोरी को ताकत बना जिम्मेदारियों को करते हुए सफलता का परचम लहराया है। रिचा ने राजस्थान ज्यूडिशियल सर्विस (RJS) सिविल जज कैडर-2021 की भर्ती परीक्षा में 88वीं रैंक लाकर यह दिखा दिया है कि संघर्ष का रास्ता सिर्फ और सिर्फ सफलता की ओर जाता है।

10 साल में सास पति और ससुर की मौत ने तोड़ा

बीकानेर की निवासी रिचा शेखावत की शादी साल 2006 में जयपुर के निवासी रिटायर्ड आरपीएस पृथ्वी सिंह के बेटे नवीन सिंह राठौड़ से हुई। रिचा के पिता रतन सिंह भी पुलिस में है। लेकिन, शादी के तीन महीने बाद ही रिचा की सास का देहांत हो गया। जिसके बाद घर की सारी जिम्मेदारी रिचा के कंधों पर आ गई। परिवार की जिम्मेदारियों को संभालते हुए रिचा ने साल 2009 में अपनी LLB भी समाप्त कर ली। लेकिन अब रिचा की जिंदगी का एक मुश्किल वक्त आने वाला था। 8 साल बाद साल 2017 में रिचा के पति ने उनका साथ छोड़ दिया और साल 2020 में उनके ससुर भी दुनिया से रुखसत हो गए। इसके बाद परिवार में पीछे रह गईं खुद रिचा और उनके दो बेटे।

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जिम्मेदारियों के साथ इस तरह की पढ़ाई

ऐसे मुश्किल वक्त में टूटना लाजिमी था, पति की मौत के बाद रिचा पूरी तरह बिखर गई थी, ससुर के जाने के बाद रिचा का परिवार जैसे रहा ही नहीं था। हालांकि, रिचा को अनुकंपा के तहत नौकरी भी मिली, मगर उन्होंने वह नौकरी ठुकरा दी, और खुद के बूते वक्त से लड़ने तथा खुद को सफलता के शिखर पर ले जाने के लिए तथा बच्चों को संभालते हुए पहले लीगल और फोरेंसिक साइस (2019) में डिप्लोमा किया, तथा 2021 की आरपीएससी (RPSC) परीक्षा में चयनित हो कर दिखाया कि वह मुश्किल वक्त से लड़ना बखूबी जानती है।

ऐसे बनीं औरों के लिए मिसाल

लेकिन रिचा (Jaipur Richa Shekhawat Rathore) के कदम यहीं नहीं रुकने वाले थे। वह लगातार पढ़ती गई और अब आरजेएस (RJS) की परीक्षा में 88वीं रैंक लाकर साबित कर दिया कि बुरा वक्त भले ही कितना भी हो, लेकिन उससे लड़ते हुए जिंदगी में आगे बढ़ा जाए तो वह वक्त भी मुठ्ठी में रखी किसी रेत की तरह फिसल जाता है। आज उनके संघर्ष और मेहनत को पूरा राजस्थान सराह रहा है।

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Edited By

Niharika Gupta

First published on: Sep 09, 2022 05:31 PM
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