IAS Mudra Gairola Success Story: अक्सर अपने सुना होगी कि बेटी पापा की परी होती है। लाड़ प्यार से पलती है। पिता बेटी की हर ख्वाहिश पूरी करता है। लेकिन एक बेटी ऐसी भी है कि उसने पापा का सामना पूरा करने के लिए अपनी हर ख्वाहिश को भुला दिया। उत्तराखंड के चमोली स्थित कर्णप्रयाग की रहने वाली IAS ऑफिसर मुद्रा गैरोला की कहानी हर किसी को प्रेरणा देने वाली है।
वैसे तो यूपीएससी में उत्तराखंड की कई बेटियों ने सफलता हासिल की है, लेकिन मुद्रा गैरोल की कहानी कुछ जुदा है। चमोली की रहने वाली मुद्रा गैरोला ऐसी होनहार बेटी हैं, जिन्होंने 153वीं रैंक हासिल कर उत्तराखंड और अपने जिले का नाम रोशन किया है। जानें इस मुकाम को हासिल करने के लिए उन्होंने कितनी मेहनत की।
तीसरी बार में निकाला UPSC
मुद्रा ने साल 2022 में भी सफलता हासिल की थी, तब उन्हें 163 रैंक हासिल हुई थी। उनका सिलेक्शन आईपीएस में हुआ था। लेकिन माना जाता है कि UPSC की तैयारी करने वाले हर शख्स का सपना आईएएस बनना होता है। लिहाजा मुद्रा भी यही चाहती थीं। आईपीएस की ट्रेनिंग के दौरान मुद्रा ने एक बार फिर कोशिश की। इस बार उन्हें 53वीं रैंक हासिल हुई है। इसी के साथ उनका आईएएस बनने का सपना भी पूरा कर लिया है।
पहले की डेंटल की पढ़ाई
मुद्रा गैरोला कर्णप्रयाग तहसील के सिमली क्षेत्र में स्थित बांगडी गांव की रहने वाली हैं। वर्तमान में उनका परिवार दिल्ली में रहता है। मुद्रा बचपन से ही अपनी क्लासेस में टॉपर रही हैं। उन्होंने 10वीं में 96 प्रतिशत और 12वीं क्लास में 97 प्रतिशत नंबर स्कोर किए। स्कूल खत्म करने के बाद मुद्रा ने मुंबई से डेंटल की पढ़ाई की। BDS में भी मुद्रा गोल्ड मेडलिस्ट रहीं। डिग्री पूरी करने के बाद वो दिल्ली लौटीं और MDS में दाखिला लिया। इसी बीच उन्होंने अपना ध्यान UPSC की ओर लगाया और डॉक्टरी छोड़कर तैयारी शुरू कर दी थी।
साल 2018 में UPSC की परीक्षा में मुद्रा इंटरव्यू तक पहुंचीं, लेकिन सफलता नहीं मिली। उन्होंने साल 2019 के प्रयास में फिर से इंटरव्यू दिया। इस बार भी सफल करीब से गुजर गई। 2020 की UPSC में मेंस की स्टेज तक पहुंची। फाइनली साल 2021 की परीक्षा में मुद्रा ने 165वीं रैंक हासिल की।
पिता का सपना किया पूरा
मुद्रा के पिता अरुण गैरोला का सपना था कि उनकी बेटी IAS बने। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मुद्रा के पिता सिविल सर्विसेस में जाना चाहते थे। पिता अरुण ने साल 1973 में UPSC की परीक्षा दी थी। उस वक्त वो इंटरव्यू में सफल नहीं हो पाएं थे। उनका सपना था कि बेटी इस मुकाम को हासिल करे।