देशभर के छात्रों को जिस जेईई मेन सेशन 2 परीक्षा के नतीजों का बेसब्री से इंतजार था, वह अब खत्म हो चुका है। एनटीए ने परीक्षा के परिणाम घोषित कर दिए हैं और इस बार कुल 24 छात्रों ने 100 पर्सेंटाइल हासिल किए हैं। इन टॉपर्स में सबसे ज्यादा 7 छात्र राजस्थान से हैं, जबकि तेलंगाना, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश से 3-3 उम्मीदवार शामिल हैं। इसके अलावा पश्चिम बंगाल के 2, आंध्र प्रदेश का 1, दिल्ली के 2, कर्नाटक का 1 और गुजरात के 2 छात्रों ने भी टॉप किया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि पिछले साल यानी 2024 में दो ऐसे भाइयों ने भी जेईई में सफलता हासिल की थी, जो जुड़वां थे? जी हां, गुरुग्राम के आरव और आरुष भट्ट नामक इन जुड़वां भाइयों की कहानी न केवल प्रेरणादायी है, बल्कि यह भी बताती है कि एकजुट होकर की गई मेहनत किस हद तक रंग ला सकती है।
मां की मदद से बनें टॉपर
अप्रैल 2024 में जब जेईई मेन परीक्षा के नतीजे घोषित हुए थे, तो पूरे देश का ध्यान इन दोनों भाइयों की ओर गया था। दिलचस्प बात यह रही कि उन्होंने न सिर्फ एक साथ परीक्षा दी, बल्कि साथ ही पास भी की। आरव भट्ट ने जहां 100 पर्सेंटाइल हासिल किए थे, वहीं उनके भाई आरुष भट्ट के 99.65 पर्सेंटाइल आए थे। इन दोनों का जन्म एक साधारण मिडिल क्लास परिवार में हुआ था, लेकिन उनके घर में पढ़ाई-लिखाई का माहौल शुरू से ही था। उनके पिता एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हैं और मां मैथ्स में पोस्ट ग्रेजुएट हैं। बच्चों की पढ़ाई में खास भूमिका उनकी मां की रही, जो खुद उनके लिए मैथ्स की टीचर बन गईं और घर पर ही उन्हें पढ़ाना शुरू किया, जिससे दोनों भाइयों की इस विषय पर गहरी पकड़ बन गई।
9वीं कक्षा से ही शुरू की JEE की तैयारी
आरव और आरुष ने जेईई की तैयारी 9वीं कक्षा से ही शुरू कर दी थी, जब देशभर में कोविड-19 के कारण लॉकडाउन लगा हुआ था। जहां एक ओर उस समय कई छात्र ऑनलाइन क्लास और मानसिक तनाव से परेशान थे, वहीं इन दोनों ने तय कर लिया था कि वे जेईई की परीक्षा में सफल होंगे और उसी दिशा में मेहनत शुरू कर दी। उन्होंने सोशल मीडिया और बाहर की दुनिया से दूरी बना ली और खुद को पूरी तरह पढ़ाई में झोंक दिया। उन्होंने NCERT की किताबें बार-बार पढ़ीं और जेईई के पिछले वर्षों के प्रश्न पत्र हल किए। उनकी ये रणनीति धीरे-धीरे उनकी सफलता की बुनियाद बनती चली गई।
रोजाना घंटों की मेहनत के बाद मिली सफलता
पढ़ाई का यह सफर आसान नहीं था। दोनों भाई हर रोज स्कूल जाते, फिर कोचिंग क्लास अटेंड करते और रात को 8 बजे घर लौटते थे। इसके बाद खाना खाकर वे दोबारा पढ़ाई में लग जाते थे और कई बार रात 1 बजे तक पढ़ते रहते थे। इस पूरे संघर्ष में उनकी मां की भूमिका बेहद अहम रही। वह हर रोज सुबह 4 बजे उठ जाती थीं, उनके लिए खाना बनाती थीं, उन्हें स्कूल भेजती थीं और उनके समय का पूरा ध्यान रखती थीं। इन सबका नतीजा यह रहा कि आरव ने जेईई मेन में ऑल इंडिया तीसरी रैंक प्राप्त की और आरुष देश के टॉप 25 स्कोरर्स में शामिल हुए। उनकी यह सफलता इस बात का प्रमाण है कि समर्पण, परिवार का सहयोग और निरंतर मेहनत से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।