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विज्ञापन एजेंसियों की नींद उड़ाने वाला CCI कौन, कैसे करता है काम? जानें हर सवाल का जवाब

कॉम्पिटिशन कमीशन ऑफ इंडिया (CCI) अपनी कार्रवाई को लेकर अक्सर सुर्खियों में रहता है। पिछले साल संस्था ने मार्क जुकरबर्ग की कंपनी मेटा पर जुर्माने की बड़ी कार्रवाई की थी। अब उसने विज्ञापन एजेंसियों की नींद उड़ाई हुई है।

Author Edited By : Neeraj Updated: Mar 19, 2025 13:06

विज्ञापन जगत में इस समय हड़कंप मच हुआ है। वजह है कॉम्पिटिशन कमीशन ऑफ इंडिया (CCI) की एक कार्रवाई। विज्ञापन दरों में साजिश के मामले में CCI ने यह कार्रवाई की है। इस एक्शन के बाद यह सवाल अहम हो गया है कि भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग क्या है और कैसे काम करता है? इससे पहले CCI की कार्रवाई के आधार को भी समझ लेते हैं।

कौन आए जद में?

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग या कॉम्पिटिशन कमीशन ऑफ इंडिया ने दिल्ली-NCR और मुंबई में एक साथ कई विज्ञापन कंपनियों के दफ्तरों पर छापेमारी की है। कार्रवाई की जद में आने वाली एजेंसियों में ग्रुपएम (GroupM), इंटरपब्लिक ग्रुप (Interpublic Group) और डेंट्सु (Dentsu) जैसे बड़े नाम भी शामिल हैं। इसके अलावा, भारतीय प्रसारण और डिजिटल फाउंडेशन (IBDF) भी जांच के दायरे में आ गया है, जो भारत में प्रसारकों का एक प्रमुख संगठन है।

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क्यों हुई छापेमारी?

CCI ने इस शक के आधार पर छापेमार कार्रवाई की है कि विज्ञापन एजेंसियां आपस में विज्ञापन दरों और छूट को लेकर गुप्त समझौता कर रही हैं। यहां एक सवाल यह भी खड़ा होता है कि विज्ञापन दरों में समझौते से CCI को क्या परेशानी हैं? दरअसल, जब कुछ कंपनियां आपस में गुप्त समझौता कर लेती हैं, तो इससे मार्केट में मौजूद अन्य कंपनियों के लिए समस्या खड़ी हो जाती है। उन्हें उचित प्रस्तिपर्धा का मौका नहीं मिलता है। इसलिए इस तरह की कार्रवाई आवश्यक हो जाती हैं।

कार्रवाई का आधार?

माना जा रहा है कि बड़े विज्ञापनदाता या छोटी विज्ञापन एजेंसी ने CCI में शिकायत दर्ज कराई है, जिसके बाद यह कार्रवाई शुरू की गई। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कार्रवाई की जद में आईं एजेंसियों के अधिकारी और सीईओ पूछताछ का सामना करने से बच रहे हैं। वे CCI के फोन कॉल्स का जवाब नहीं दे रहे हैं। कुछ ने तो अपने मोबाइल फोन तक बंद कर दिए हैं। इससे साजिश के आरोप पुख्ता होते हैं। छापेमारी के दौरान CCI अधिकारियों ने कुछ दस्तावेज भी खंगाले हैं, जिनके आधार पर आगे जांच होगी।

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सुर्खियों में रहता है आयोग

वैसे , कोई पहला मौका नहीं है जब CCI अपनी जांच को लेकर खबरों में है। पिछले साल CCI ने वाट्सऐप, फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म्स की पैरेंट कंपनी META पर 213.14 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था। मेटा पर आरोप था कि उसने 2021 में वाट्सऐप की प्राइवेसी पॉलिसी अपडेट के जरिए अनुचित तरीकों को अपनाया। 2024 में प्रतिस्पर्धा आयोग ने जांच में पाया था कि Apple ने अपने आईओएस ऑपरेटिंग सिस्टम पर ऐप स्टोर्स के बाजार में अपनी प्रमुख स्थिति का फायदा उठाकर ऐप डेवलपर्स, यूजर्स और अन्य पेमेंट प्रोसेसरों को नुकसान पहुंचाया है। इस साल की शुरुआत में खबर आई थी कि नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (NRAI) जोमैटो और स्विगी के 10 मिनट वाले नए फूड डिलीवरी ऐप्स के खिलाफ कॉम्पिटिशन कमीशन ऑफ इंडिया में शिकायत कर सकता है।

कब और क्यों हुई स्थापना?

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग यानी CCI की स्थापना 2003 में प्रतिस्पर्धा अधिनियम के तहत हुई थी। यह एक वैधानिक संस्था है जिसका उद्देश्य देश में निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा को सुनिश्चित करना है। CCI का काम बाजार में ऐसे किसी भी व्यवहार या गतिविधि को रोकना है जिससे प्रतिस्पर्धा प्रभावित होती हो। लिहाजा जब भी CCI को ऐसी शिकायत मिलती है कि मिलीभगत से या फिर कोई कंपनी अपने प्रभाव से प्रतिस्पर्धा को प्रभावित करके दूसरों के लिए कारोबार मुश्किल बना रही है, तो यह कार्रवाई करता है।

कैसा है CCI का ढांचा?

इस शक्तिशाली संस्था की टीम ज्यादा बड़ी नहीं है। आयोग में एक अध्यक्ष और अधिकतम 6 सदस्य होते हैं, जिनकी नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा की जाती है। आयोग का यह वैधानिक कर्तव्य है कि वह प्रतिस्पर्धा पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाली प्रथाओं को समाप्त करे, प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा दे और बनाए रखे, उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करे तथा अधिनियम की प्रस्तावना के साथ-साथ धारा 18 में दिए गए प्रावधानों के अनुसार भारत के बाजारों में अन्य प्रतिभागियों द्वारा किए जाने वाले व्यापार की स्वतंत्रता सुनिश्चित करे।

कार्रवाई को चुनौती कहां?

महानिदेशक (DG) कार्यालय भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग की जांच शाखा है। आयोग द्वारा प्रथम दृष्टया आदेश पारित कर महानिदेशक को जांच का निर्देश दिया जाता है, इसके बाद DG ऑफिस जांच शुरू करता है। CCI के आदेश को NCLAT में चुनौती दी जा सकती है। कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 410 के तहत गठित राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (NCLAT) प्रतिस्पर्धा अधिनियम 2002 के प्रयोजन के लिए अपीलीय न्यायाधिकरण है। मेटा ने 213 करोड़ रुपये के जुर्माने खिलाफ NCLAT क दरवाजा खटखटाया था।

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Edited By

Neeraj

First published on: Mar 19, 2025 01:06 PM

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