बुधवार 3 दिसंबर को विदेशी निवेशकों के बिकवाली के दबाव और कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के बीच रुपया 90.43 के अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया. गुरुवार को करेंसी में सुधार हुआ और यह 26 पैसे बढ़कर 89.89 पर बंद हुआ. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रुपए की गिरावट पर कहा कि रुपए को बाजार ही तय करेगा और उसे अपना स्तर खुद ढूंढने देना चाहिए. उन्होंने कहा कि एक्सचेंज रेट बहुत संवेदनशील होते हैं इसलिए इन्हें ज्यादा कंट्रोल नहीं किया जा सकता.
फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण ने शनिवार को हिंदुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट (HTLS) 2025 में कहा कि जहां तक रुपया-डॉलर एक्सचेंज रेट की बात है, जब करेंसी की वैल्यू कम होती है, तो आम बात यह होती है कि एक्सपोर्टर्स को इसका फायदा उठाना चाहिए. इत्तेफाक से, कुछ लोग कहते हैं कि US टैरिफ के समय, इससे कुछ राहत मिलती है. अगर यह सच भी है, तो भी मैं इस बात से पूरी तरह खुश नहीं हूं, लेकिन यह सच है कि इसके साथ-साथ इकॉनमी की मजबूती का भी अंदाजा लगाया जाना चाहिए.
फाइनेंस मिनिस्टर ने कहा कि इसे आज की आर्थिक स्थिति के हिसाब से समझना चाहिए. उन्होंने माना कि आज की अर्थव्यवस्था पहले से कहीं बेहतर है. FM ने इस बात पर जोर दिया कि करेंसी लेवल पर बहस में पिछली स्थितियों से तुलना करने के बजाय मौजूदा आर्थिक हकीकत को शामिल किया जाना चाहिए.
वित्त मंत्री ने कहा कि जब हम विपक्ष में थे तब अर्थव्यवस्था की हालत खराब थी लेकिन आज फंडामेंटल मजबूत हैं. इसीलिए रुपए पर हो रही बहस को आज की हकीकत के दायरे में रखना जरूरी है. सीतारमण ने कहा कि कमजोर रुपया हमेशा बुरा नहीं होता, क्योंकि इससे निर्यातकों को फायदा मिलता है.










