Union Budget 2024: वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण 23 जुलाई की दोपहर मोदी 3.0 का पहला पूर्ण बजट पेश करेंगी। नरेंद्र मोदी सरकार के 10 साल के बीते कार्यकाल में नौकरी पेशा मिडिल क्लास वर्ग को इनकम टैक्स के मोर्चे पर कोई बहुत बड़ी छूट नहीं मिली है। हालांकि लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद बदली हुई परिस्थितियों में टैक्सपेयर्स को वित्तमंत्री से बड़ी उम्मीदें हैं।
1. छूट की सीमा को बढ़ाना
टैक्सपेयर्स को उम्मीद है कि वित्तमंत्री नई टैक्स व्यवस्था के तहत छूट की सीमा को बढ़ा सकती हैं। ये सीमा 3 लाख तक है, यानी तीन लाख तक की कमाई पर कोई टैक्स नहीं लगता है। माना जा रहा है कि 3 लाख की सीमा को बढ़ाकर 5 लाख किया जा सकता है। अगर ऐसा होता है तो नई टैक्स व्यवस्था के तहत लोगों का रुझान बढ़ेगा।
2. टैक्स स्लैब में बदलाव
टैक्सपेयर्स की एक और बड़ी मांग नई टैक्स व्यवस्था के टैक्स स्लैब में बदलाव की है। 12 से 15 लाख सालाना कमाने वाले व्यक्तियों को अभी नई टैक्स व्यवस्था में 20 प्रतिशत टैक्स देना पड़ता है। साथ ही नई टैक्स व्यवस्था में टैक्स डिडक्शन का भी कोई प्रावधान नहीं है। इसके साथ ही 15 लाख से ज्यादा सालाना कमाई वाले लोगों को 30 प्रतिशत की दर से टैक्स देना पड़ता है।
टैक्सपेयर्स का कहना है कि 30 प्रतिशत टैक्स का प्रावधान तीस लाख से ज्यादा कमाई करने वाले लोगों पर लागू होना चाहिए। और 9 से 12 लाख सालाना कमाई वालों के लिए 15 प्रतिशत का टैक्स स्लैब होना चाहिए।
3. स्टैंडर्ड डिडक्शन में इजाफा
मौजूदा समय में स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा 50 हजार रुपये पर स्थिर है। कई सारे एक्सपर्ट का मानना है कि सरकार को इसे 1 लाख रुपये कर देना चाहिए। ताकि लोगों को अतिरिक्त टैक्स लाभ मिल सके। टैक्स लाभ होने से लोगों के पैसे की बचत होगी और वे खुलकर खर्च कर सकेंगे।
4. कैपिटल गेन्स टैक्स में बदलाव
बजट में वित्तमंत्री से कैपिटल गेन्स टैक्स के मुद्दे पर भी ऐलान का इंतजार है। निवेशक लंबे समय से सरकार से कैपिटल गेन्स टैक्स के मामले में व्यावहारिक रुख अपनाने की बात कर रहे हैं। अगर वित्तमंत्री बजट में कैपिटल गेन्स को लेकर कोई भी फैसला लेती हैं तो यह शेयर मार्केट पर सीधा असर डालेगा।
5. टैक्स में राहत
इन चीजों के इतर टैक्सपेयर्स को सरकार से टैक्स में राहत की उम्मीद है। साथ ही नई टैक्स व्यवस्था को ज्यादा आकर्षक बनाने की उम्मीद की जा रही है। माना जा रहा है कि सरकार का रुख इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश के साथ विकास को सपोर्ट करने वाली योजनाओं पर खर्च को बढ़ाने का रहेगा। संसद का बजट सत्र 22 जुलाई से शुरू हुआ है और यह 12 अगस्त तक चलेगा। टैक्सपेयर्स को उम्मीद है कि सरकार की घोषणाएं पर्सनल फाइनेंस के लिए गेमचेंजर साबित होंगी।