Gold Price Rise: सोने की कीमतों में पिछले कुछ समय से लगातार मजबूती दिखाई दे रही है। 2025 में अब तक इसके दाम 10% से ज्यादा उछल चुके हैं। दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियों के चलते पूरी दुनिया में टेंशन है। सोने को सुरक्षित निवेश माना जाता है, इस वजह से अंतर्राष्ट्रीय अस्थिरता के बीच उसकी डिमांड बढ़ रही है और दाम चढ़ रहे हैं। डोनाल्ड ट्रंप ने सभी स्टील और एल्युमीनियम आयातों पर भी अतिरिक्त 25% टैरिफ लगाने की घोषणा की है।
क्या डॉलर से दूर जाने का संकेत?
इस बीच, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) बड़ी मात्रा में सोना खरीद रहा है। ANI की रिपोर्ट के अनुसार, लोकसभा में कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने इस संबंध में सवाल पूछा। उन्होंने पूछा कि क्या सोने को लेकर RBI रुख अमेरिकी डॉलर से दूर जाने का संकेत है? हालांकि, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्पष्ट किया कि भारत के बढ़ते सोने के भंडार का उद्देश्य किसी भी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा को रिप्लेस करना नहीं है।
डी-डॉलराइजेशन है मकसद?
आरबीआई द्वारा सोना खरीदे जाने की पुष्टि करते हुए सीतारमण ने बताया कि केंद्रीय बैंक संतुलित रिजर्व पोर्टफोलियो बनाए रखने के लिए सोना जमा कर रहा है। अमेरिकी डॉलर भारत के विदेशी मुद्रा भंडार का एक प्रमुख घटक रहा है, आरबीआई अन्य मुद्राओं और सोने में भी भंडार रखता है। उन्होंने आगे कहा कि यह कदम भारत के डॉलर से दूर जाने या वैकल्पिक अंतरराष्ट्रीय सेटलमेंट मैकेनिज्म पर जोर देने के बजाए भंडार में विविधता लाने की रणनीति का हिस्सा है। यह बयान ऐसे समय में आया है जब डी-डॉलराइजेशन को लेकर वैश्विक चर्चाओं ने गति पकड़ी है। कुछ देश व्यापार के लिए डॉलर का विकल्प तलाश रहे हैं। हालांकि, सीतारमण ने यह स्पष्ट किया कि भारत का बढ़ता गोल्ड रिजर्व किसी बदलाव का संकेत नहीं है।
विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ा
31 जनवरी तक भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 630.6 अरब डॉलर था, जो 24 जनवरी को समाप्त सप्ताह से 1.05 अरब डॉलर अधिक रहा। यह हमारे विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार दूसरी वृद्धि थी। इस वृद्धि की मुख्य वजह गोल्ड रिजर्व है, जो 1.2 अरब डॉलर बढ़कर 70.89 अरब डॉलर पर आ गया है। आरबीआई ने 2024 में अपने सोने के स्टॉक में 72.6 टन अतिरिक्त गोल्ड शामिल किया, जो एक साल पहले की तुलना में करीब चार गुना अधिक है। हालांकि, इस मामले में RBI पोलिश और तुर्की केंद्रीय बैंकों से पीछे है। डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में जीत के बाद इन दो केंदीय बैंकों ने बड़े पैमाने पर सोना खरीदा है।
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सबसे अधिक हुई खरीद
दिसंबर 2024 के अंत तक RBI के पास सोने का लेटेस्ट स्टॉक 876.18 टन रहा, जो एक साल पहले इसी अवधि में 803.58 टन था। इसका मतलब यह हुआ कि इस कैलेंडर वर्ष में सोने की 72.6 टन की खरीद हुई है। 2024 में सोने की खरीद 2021 के बाद से सबसे अधिक रही है और 2017 में सोना खरीदना शुरू करने के बाद से किसी भी कैलेंडर वर्ष में यह दूसरी सबसे अधिक खरीद है। महत्वपूर्ण बात यह है कि आरबीआई, तुर्की, स्विस या यहां तक कि चीनी जैसे कई अन्य देशों के विपरीत, शायद ही कभी सोना बेचता है, क्योंकि यह राजनीतिक रूप से एक कठिन निर्णय है।
इस तरह मिला फायदा
RBI आक्रामक तरीके से सोना खरीद रहा है, क्योंकि सोने की खरीद से केंद्रीय बैंक को मुद्रा की अस्थिरता और उसके परिणामस्वरूप भंडार के पुनर्मूल्यांकन से खुद को बचाने में मदद मिलती है। उदाहरण के लिए, अप्रैल-सितंबर 2024 के दौरान मूल्यांकन लाभ के कारण विदेशी मुद्रा भंडार में 56 अरब डॉलर जोड़े गए, लेकिन एक साल पहले इसी अवधि में 17.7 अरब डॉलर का नुकसान हुआ था। दूसरी ओर, पिछले साल सोने की कीमतों में 25 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई, जिससे केंद्रीय बैंक को सोने पर कोई ट्रेडिंग प्रॉफिट दर्ज न करने पर वैल्यूएशन प्रॉफिट के बराबर राशि प्राप्त करने में मदद मिली।
इस साल भी बना रहेगा ट्रेंड
आरबीआई ने अपने विदेशी मुद्रा भंडार में पुनर्मूल्यांकन जोखिम और मुद्रा अस्थिरता को कम करने के लिए अक्टूबर से सोने की खरीद में तेजी लाई है। जबकि सितंबर के अंत से भंडार का एक बड़ा हिस्सा संभवतः अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये की गिरावट को कम करने के लिए भी इस्तेमाल किया जा रहा है। फरवरी 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद वैश्विक स्तर पर केंद्रीय बैंकों ने बड़े पैमाने पर सोना खरीदना शुरू कर दिया है। RBI ने भी वैश्विक स्तर पर केंद्रीय बैंकों के इस रुझान का पालन करते हुए अपना गोल्ड रिजर्व काफी बढ़ाया है। विभिन्न बाजार विश्लेषकों के अनुसार, केंद्रीय बैंकों द्वारा सक्रिय रूप से सोने की खरीद जारी रहने की उम्मीद है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की सीनियर मार्केट एनालिस्ट लुईस स्ट्रीट का भी मानना है कि केंद्रीय बैंक इस साल भी खरीदी करते रहेंगे।