Vande Bharat train fare: भारतीय रेलवे ऐसी वंदे भारत ट्रेनों की समीक्षा कर रहा है, जहां यात्रियों की संख्या कम है। साथ ही वह कम दूरी की वंदे भारत ट्रेनों के किराए की समीक्षा कर रहा है ताकि कीमतें कम की जा सकें। पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि कई रूट पर यात्रिकों की प्रतिक्रिया कुछ अच्छी नहीं है, जिसके कारण लोगों को वंदे भारत ट्रेनों का सफर कराने के मकसद से किराए तो कम किया जा सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इंदौर-भोपाल, भोपाल-जबलपुर और नागपुर-बिलासपुर एक्सप्रेस जैसी वंदे भारत ट्रेनों के साथ-साथ कुछ अन्य ट्रेनों के भी किराय की समीक्षा होने संभावना है।
भोपाल-जबलपुर वंदे भारत
जहां भोपाल-जबलपुर वंदे भारत में 29 प्रतिशत ऑक्यूपेंसी दर्ज की गई, वहीं इंदौर-भोपाल वंदे भारत एक्सप्रेस में केवल 21 प्रतिशत ऑक्यूपेंसी रही। यात्रा की लागत एसी चेयर कार टिकट के लिए 950 रुपये और एक्जीक्यूटिव चेयर कार टिकट के लिए 1,525 रुपये है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि रेलवे की समीक्षा के बाद इस वंदे भारत सेवा का किराया काफी कम किया जा सकता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अधिक लोग ट्रेन सेवा का उपयोग करें।
नागपुर-बिलासपुर वंदे भारत एक्सप्रेस
एक अन्य ट्रेन जिसके किराये की समीक्षा की जा रही है वह है नागपुर-बिलासपुर वंदे भारत एक्सप्रेस, जिसकी औसत ऑक्यूपेंसी लगभग 55 प्रतिशत है। यात्रा लगभग 5 घंटे 30 मिनट की है और लोगों का कहना है कि यदि कीमतें कम कर दी गईं तो यह बहुत बेहतर होगा।
नागपुर-बिलासपुर वंदे भारत एक्सप्रेस से एक्जीक्यूटिव क्लास का किराया 2,045 रुपये है जबकि चेयर कार का किराया 1,075 रुपये है। कम व्यस्तता के कारण मई में इस ट्रेन के बदले तेजस एक्सप्रेस में लोगों को सफर करना पड़ा था।
इन ट्रेनों का भी हो सकता है किराया कम
भोपाल-जबलपुर वंदे भारत एक्सप्रेस, जिसने 32 प्रतिशत ऑक्यूपेंसी देखी है, जबकि जबलपुर-भोपाल वंदे भारत सेवा की वापसी यात्रा में 36 प्रतिशत ऑक्यूपेंसी देखी गई है, उसमें भी किराए में कमी देखने को मिल सकती है।
बता दें कि अब तक 46 वंदे भारत एक्सप्रेस सेवाएं देश के सभी रेल-विद्युतीकृत राज्यों तक पहुंच चुकी हैं। टॉप ऑक्यूपेंसी वाली वंदे भारत ट्रेनों में कासरगोड से त्रिवेन्द्रम ट्रेन (183 प्रतिशत), त्रिवेन्द्रम से कासरगोड वंदे भारत ट्रेन (176 प्रतिशत), गांधीनगर-मुंबई सेंट्रल वंदे भारत एक्सप्रेस (134 प्रतिशत) शामिल हैं। गौरतलब है कि कुछ को छोड़कर ज्यादातर सेमी-हाई स्पीड ट्रेनें पूरी क्षमता के साथ चल रही हैं।