Stock Market News: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियों से पूरी दुनिया के बाजार दबाव में हैं। भारत का शेयर मार्केट इस स्थिति में पहुंच गया है कि उसके बारे में कुछ भी कहना मुश्किल हो गया है। अमेरिकी बाजार में भी गिरावट देखी जा रही है। ऐसे में निवेशक भविष्य को लेकर आशंकित हैं। उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि बाजार यहां से कहां जाएगा और उनका पोर्टफोलियो कितना कितना हल्का होगा?
पहले भी की है सटीक भविष्यवाणी
बाजार के इस हाल के बीच, एलेथिया कैपिटल के मुख्य अर्थशास्त्री जिम वॉकर ने एक बड़ा बयान दिया है। वॉकर को 2008 के वित्तीय संकट की भविष्यवाणी के लिए जाना जाता है। 2008 में अमेरिका से शुरू हुई आर्थिक मंदी ने पूरी दुनिया को जकड़ लिया था और शेयर बाजारों में बड़ी गिरावट देखने को मिली थी। ऐसे में जिम वॉकर की बातों को गंभीरता से लिया जाता है। उन्होंने 2025 के लिए अपना पूर्वानुमान साझा किया है।
2025 के लिए जताया यह अनुमान
जिम वॉकर का अनुमान है कि अमेरिकी डॉलर की वैल्यू 10% नीचे आ सकती है, अमेरिका आर्थिक मंदी का सामना करेगा, लेकिन उसे मैनेज किया जा सकेगा। इसके साथ ही उनका कहना है कि भारतीय इक्विटी मार्केट लॉन्ग टर्म में अच्छा करेगा। उन्होंने भारत में निवेश बढ़ाने की भी सलाह दी है। ईटी नाउ को दिए इंटरव्यू में वॉकर ने 2008 जैसी संभावित मंदी की आशंका पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि निश्चित ही यह मुश्किल समय है, लेकिन हम 2008 के विपरीत सरकार और केंद्रीय बैंक की कार्रवाई के बिना इससे बाहर निकल सकते हैं।
एशिया के बाजारों को मिलेगा फायदा
वॉकर के अनुसार, अमेरिका आर्थिक मंदी के साथ-साथ डॉलर में भी कम से कम 10% की भारी गिरावट का सामना कर सकता है। उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक रूप से, अमेरिकी अर्थव्यवस्था में नरमी से डॉलर कमजोर होता है और यह उभरते बाजारों, खासकर एशिया के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। अपनी बात को समझाते हुए उन्होंने कहा कि डॉलर में गिरावट अमेरिकी बाजार के लिए अच्छा नहीं है, लेकिन एशिया के बाजार इसका लाभ उठा सकते हैं। पिछला पैटर्न यही दर्शाता है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था में कमजोरी से डॉलर भी कमजोर होता है।
भारत पर कायम है भरोसा
भारत के बारे में अपना दृष्टिकोण स्पष्ट करते हुए एलेथिया कैपिटल के मुख्य अर्थशास्त्री जिम वॉकर ने कहा कि इंडियन स्टॉक मार्केट मजबूत है। उन्होंने निवेशकों को वैल्यूएशन संबंधी चिंताओं के बावजूद भारतीय बाजार में अपना निवेश बढ़ाने की सलाह दी। वॉकर ने कहा कि नीतिगत स्थिरता और निश्चितता के संदर्भ में भारत पिछले 30 वर्षों की तुलना में अब बेहतर स्थिति में है।
कॉपर पर बुलिश हैं वॉकर
उन्होंने कॉपर पर अपने रुख को बरकरार रखते हुए कहा कि लॉन्ग टर्म के आधार पर इसमें निवेश अच्छा रह सकता है। क्योंकि रिन्यूएबल एनर्जी, इलेक्ट्रिक वाहन और कार्बन कटौती लक्ष्य सहित ग्रीन एनर्जी इनिशिएटिव से प्रेरित कॉपर डिमांड उसकी मौजूदा आपूर्ति से अधिक होगी। बता दें कि कॉपर का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है। ठंडी हवा देने वाले AC में कॉपर ट्यूब्स लगाई जाती हैं, जिसमें कमी के चलते इस साल AC की कीमतों में इजाफा हो सकता है। बिजनेस स्टैण्डर्ड की एक रिपोर्ट के अनुसार, कंप्रेसर, कॉपर ट्यूब्स और क्वालिटी कंट्रोल गाइडलाइंस की कमी के कारण AC की कीमतों में 1500 रुपए से 2000 रुपए तक की बढ़ोतरी हो सकती है।
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