Public Provident Fund News: सार्वजनिक भविष्य निधि (PPF) को एक सुरक्षित निवेश विकल्प माना जाता है। सबसे खास बात यह है कि इसमें आपको टैक्स फ्री रिटर्न मिलता है। वर्तमान में PPF पर सरकार 7.1% सालाना के हिसाब से ब्याज दे रही है, लेकिन एक समय ऐसा भी था जब सार्वजनिक भविष्य निधि में निवेश पर 12 प्रतिशत की दर से ब्याज मिलता था।
शुरू में 4.8% की ब्याज दर
पब्लिक प्रोविडेंट फंड या सार्वजनिक भविष्य निधि की शुरुआत 1968 में 4.8 प्रतिशत की मामूली ब्याज दर के साथ हुई । इसका उद्देश्य दीर्घकालिक बचत को प्रोत्साहित करना है। शुरुआती सालों में इसकी ब्याज दर छह प्रतिशत से नीचे रही, फिर धीरे-धीरे वृद्धि होती गई। 1980 में पीपीएफ की ब्याज दर 8 प्रतिशत तक पहुंच गई। इसके साथ ही निवेश की सीमा भी बढ़ा दी गई, जिससे निवेशकों को अधिक पैसा जमा करने और ज्यादा रिटर्न पाने की सुविधा मिली।
यह था स्वर्णिम काल
1986-2000 का दौर PPF निवेशकों के लिए स्वर्णिम काल रहा। 1986 में सरकार ने ब्याज दर को बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दिया और यह उच्च दर एक दशक से अधिक समय तक जारी रही। इस वजह से यह सबसे आकर्षक निवेश विकल्पों में से एक बना गया। हालांकि, जैसे-जैसे अर्थव्यवस्था विकसित हुई और वित्तीय साधनों पर ब्याज दरें घटने लगीं, पीपीएफ पर मिलने वाला ब्याज भी कम होता चला गया।
मार्केट-लिंक्ड इंटरेस्ट रेट
साल 2001 तक ब्याज दर घटाकर 9.5 प्रतिशत कर दी गई और 2003 तक इसे 8 प्रतिशत कर दिया गया। पिछले कुछ वर्षों में पीपीएफ की ब्याज दरों को आर्थिक परिस्थितियों के अनुरूप समय-समय पर संशोधित किया गया है। 2016 में मार्केट-लिंक्ड इंटरेस्ट रेट सिस्टम की शुरूआत ने रिटर्न को और बदल दिया। फिलहाल PPF पर ब्याज दर 7.1 प्रतिशत है।
इस गलतफहमी में न रहें
सार्वजनिक भविष्य निधि (PPF) की ब्याज दरों में आए इस बदलाव से यह समझ आता है कि ब्याज दरें हमेशा एक जैसी नहीं रहतीं। सरकारी नीतियां और आर्थिक स्थितियां ब्याज दरों को प्रभावित करती हैं। भले ही पीपीएफ एक सुरक्षित और विश्वसनीय निवेश है, लेकिन यह मान लेना कि इसमें हमेशा उच्च रिटर्न मिलेगा, सही नहीं है। लिहाजा निवेशकों को ब्याज दरों में होने वाले बदलावों के बारे में जानकारी रखनी चाहिए तथा अपनी निवेश रणनीतियों को उसके अनुसार एडजस्ट करना चाहिए।
अभी कायम है आकर्षण
PPF निवेशकों के लिए 12% ब्याज दर का स्वर्णिम युग भले ही समाप्त हो चुका है, फिर भी पीपीएफ अभी भी कई अन्य निवेश विकल्पों की तुलना में आकर्षक है। चूंकि यह सरकार द्वारा समर्थित है, इसलिए इसमें निवेश अपेक्षाकृत ज्यादा सुरक्षित है। फिक्स्ड डिपॉजिट या कुछ डेट फंडों के विपरीत, पीपीएफ ब्याज आयकर अधिनियम की धारा 80C के तहत पूरी तरह से कर-मुक्त है। यहां तक कि मैच्योरिटी अमाउंट भी टैक्स फ्री है, जो एक बड़ा लाभ है। PPF का लॉक इन पीरियड 15 साल है। ऐसे में यह सुनिश्चित करता है कि निवेशक अनुशासित रहे।
क्या अकेले PPF ही काफी है?
पब्लिक प्रोविडेंट फंड निश्चित रूप से एक अच्छा निवेश विकल्प है, लेकिन महंगाई से मुकाबले के लिए केवल इस पर निर्भरता से काम नहीं चलेगा। आज भारत में मुद्रास्फीति प्रति वर्ष 5-6 प्रतिशत के आसपास रहती है। 7.1 प्रतिशत पीपीएफ रिटर्न में यदि महंगाई को एडजस्ट किया जाए, तो वास्तविक रिटर्न केवल 1-2 प्रतिशत ही रहेगा। इसका मतलब यह है कि लंबी अवधि में बड़ा फंड तैयार करने के लिए अकेले पीपीएफ पर्याप्त नहीं है। यदि आप चाहते हैं कि आपका निवेश मुद्रास्फीति को मात देते हुए तेजी से बढ़े, तो आपको अपने पोर्टफोलियो में विविधता लानी होगी।
ऐसा होना चाहिए पोर्टफोलियो
महंगाई से मुकाबले वाले बेहतर रिटर्न के लिए निवेशक का पोर्टफोलियो डायवर्सिफाई होना चाहिए। इक्विटी म्यूचुअल फंड, इंडेक्स फंड और स्टॉक लंबी अवधि में पीपीएफ से बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं। इसके अलावा, रियल एस्टेट और सोना जैसी एसेट में भी निवेश अच्छा रहेगा। कहने का मतलब है कि अकेले PPF पर निर्भर रहने के बजाए आपको अलग-अलग जगह निवेश करना चाहिए। इससे आप एक बड़ा फंड तैयार कर पाएंगे और जोखिम को भी सीमित करने में सक्षम होंगे।
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