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भारत की शिपबिल्डिंग होगी मजबूत, 70,000 करोड़ के पैकेज का किया ऐलान

भारत ने शिपबिल्डिंग और समुद्री उद्योग को मजबूत करने के लिए 70,000 करोड़ रुपये का पैकेज घोषित किया है. जानिए कैसे यह योजना घरेलू शिपयार्ड्स, विदेशी निवेश और भारतीय जहाजों की मांग बढ़ाकर देश में मारुति मोमेंट ला सकती है.

Author Written By: Mikita Acharya Author Published By : Mikita Acharya Updated: Sep 28, 2025 12:14
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भारत में शिपबिल्डिंग में मारुति मोमेंट. (प्रतिकात्मक फोटो)

नई दिल्ली ने देश की शिपबिल्डिंग और समुद्री उद्योग को मजबूत करने के लिए 70,000 करोड़ रुपये (लगभग 8 अरब डॉलर) का पैकेज घोषित किया है. सरकार का लक्ष्य है कि यह योजना भारत में शिपबिल्डिंग को उस तरह बढ़ावा दे जैसे 1980 के दशक में मारुति सुजुकी ने ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में क्रांति ला दी थी.

विदेशी शिपिंग पर निर्भरता

भारत की लगभग 95% एक्सपोर्ट-इंपोर्ट (EXIM) ट्रेड विदेशी जहाजों पर निर्भर करती है. सालाना लगभग 75 अरब डॉलर का खर्च भारत को विदेशी जहाजों को किराए पर देने में करना पड़ता है. अगर यही स्थिति बनी रही, तो 2047 तक यह खर्च 400 अरब डॉलर तक बढ़ सकता है. ऐसे में घरेलू शिपिंग उद्योग को मजबूत करना जरूरी है.

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योजना की मुख्य बातें

इस पैकेज में मैरीटाइम डेवलपमेंट फंड और नया शिपबिल्डिंग सहायता योजना शामिल है. इसके अलावा, दक्षिण कोरिया और जापान के शिपबिल्डर्स को भारत में निवेश करने और स्थानीय शिपयार्ड्स के साथ काम करने के लिए आमंत्रित किया गया है. यह कदम भारत की समुद्री सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता के लिए रणनीतिक माना जा रहा है.

भारत का मौजूदा शिपिंग परिदृश्य

वर्तमान में भारत के पास केवल 1,500 जहाज हैं, जिनमें से लगभग 220 ही EXIM व्यापार के लिए विदेशों में काम करते हैं. देश में महज दर्जन भर शिपयार्ड्स ऐसे हैं जो महासागरीय जहाज बना सकते हैं. इसके चलते भारत का वैश्विक शिपबिल्डिंग मार्केट में हिस्सा केवल 1% है, जबकि चीन का 70%, और दक्षिण कोरिया और जापान का बड़ा हिस्सा है.

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विदेशी कंपनियों के सहयोग की संभावना

सरकार ने कई कोरियाई और जापानी कंपनियों से बातचीत की है, जो फिलहाल पूरी क्षमता से काम कर रही हैं और 2028-2029 तक ऑर्डर में व्यस्त हैं. ऐसे में भारत उन्हें जहाज बनाने के लिए आकर्षक विकल्प प्रदान कर सकता है. कोरियाई कंपनियों में Samsung Heavy Industries, Hyundai Heavy Industries, Hanwha Ocean, HD Korea Shipbuilding और जापानी कंपनियों में Mitsubishi, Hitachi, Kawasaki शामिल हैं.

घरेलू ऑर्डर की अहमियत

एक्सपर्ट्स के मुताबिक, नए सहयोग को सफल बनाने के लिए सरकारी कंपनियों जैसे ONGC, GAIL और फर्टिलाइजर एवं कोल कंपनियों से लगभग 100 नए जहाजों के ऑर्डर सुनिश्चित होना चाहिए. यह सुनिश्चित मांग विदेशी इन्वेस्टमेंट के लिए भरोसे का संकेत होगी और उद्योग में स्थिरता लाएगी.

भारत के शिपबिल्डिंग उद्योग में यह योजना देश के लिए मारुति मोमेंट साबित हो सकती है. इसके लिए सरकारी समर्थन, विदेशी निवेश और घरेलू मांग तीनों का संतुलन जरूरी है. सही रणनीति और सहयोग से भारत वैश्विक शिपिंग उद्योग में अपना महत्व बढ़ा सकता है.

First published on: Sep 28, 2025 12:14 PM

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