IIT Students Not Getting Jobs: भारत में कुछ संसथान ऐसे हैं जहां पढ़ना कई बच्चों का सपना होता है। इनमें से एक है आईआईटी। कहा जाता है कि यहां से पढ़े बच्चों को अच्छे-से-अच्छा सैलरी पैकेज मिलता है और लाइफ सेटल हो जाती है। इस बीच आप जानकर हैरान हो जाएंगे कि यहां पढ़ने वाले बच्चों को नौकरी पाने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
आईआईटी में प्लेसमेंट सीजन को लेकर वार्षिक उत्साह के बावजूद, 2024 के ग्रेजुएटिंग बैच को नौकरी पाने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। वैश्विक आर्थिक मंदी ने कंपनियों को हायरिंग कम करने और कम सैलरी पैकेज देने के लिए मजबूर कर दिया है। इससे कई जाने-माने आईआईटी कैंपस में स्टूडेंट्स पर काफी असर पड़ा है।
आर्थिक मंदी का असर
इस समय वैश्विक आर्थिक मंदी (Global Economic Slowdown) की वजह से कैंपस प्लेसमेंट में भारी गिरावट आई है। हायरिंग करने वालों में पिछले कई साल के मुकाबले हायरिंग से जुड़ा उत्साह कम दिख रहा है। आईआईटी इंदौर में, निदेशक सुहास जोशी ने कम जॉब हायरिंग होने की वजह से बन रहे तनाव पर जोर डाला जिससे प्लेसमेंट सीजन में ऐसे हालातों से निपटने के लिए नई स्ट्रेटेजी की जरूरत पड़ी।
सभी आईआईटी कैंपस में झेलनी पड़ रही परेशानी
बॉम्बे, खड़गपुर और दिल्ली समेत अलग-अलग आईआईटी में स्टूडेंट्स एक जैसी परेशानी से जूझ रहे हैं। हायरिंग कम होने की वजह से ग्रेजुएट स्टूडेंट्स के लिए नौकरी के अवसरों में भारी गिरावट आई है। जो कंपनियां कभी प्रमुख रिक्रूटर्स थीं, वे अब जॉब ऑफर करने में काफी कमी कर रही हैं।
प्लेसमेंट में हुए बदलाव
इस संकट ने स्टूडेंट्स को जॉब के बाकी ऑप्शन तलाशने के लिए मजबूर कर दिया है जैसे जॉब पोर्टल और ऑफ-कैंपस अवसर। इसके अलावा, कैंपस प्लेसमेंट के दूसरे फेज में सैलरी पैकेज में गिरावट देखी गई है।
संकट से निपटने की स्ट्रेटेजी
प्लेसमेंट परिणामों पर आर्थिक मंदी के प्रभाव को कम करने के लिए आईआईटी जवाबी उपाय लागू कर रहे हैं। उदाहरण से समझें तो पहले स्टूडेंट रहे बच्चों नेटवर्क का फायदा उठाना, रिक्रूटर्स के बड़े स्पेक्ट्रम के साथ जुड़ना और कुछ सेक्टर्स के लिए प्लेसमेंट ड्राइव चलाना।
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