Income Tax News: इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करते समय हर साल टैक्सपेयर्स इस दुविधा में रहते हैं कि न्यू टैक्स रिजीम ज्यादा बेहतर है या फिर ओल्ड टैक्स रिजीम? सरकार ने न्यू रिजीम को डिफॉल्ट बना दिया है, यानी कि अगर आप स्पष्ट रूप से पुरानी रिजीम नहीं चुनते हैं तो अपने आप नई रिजीम के दायरे में आ जाएंगे। हालांकि, करदाताओं के पास दोनों रिजीम में से किसी को भी चुनने की आजादी है। कहने का मतलब है कि अगर आप पहले पुरानी रिजीम में थे, तो इस बार नई चुन सकते हैं और चाहें तो नई से पुरानी व्यवस्था में वापस लौट सकते हैं। आयकर कानून में इससे जुड़े प्रावधान किए गए हैं।
नॉन-बिजनेस इनकम के लिए नियम
टैक्स रिजीम को बदला जा सकता है, लेकिन सभी करदाताओं के लिए नियम एक समान नहीं हैं। नौकरीपेशा और बिजनेस इनकम वालों के लिए प्रावधान अलग-अलग हैं। अगर आपकी आय वेतन, ब्याज या किराये (नॉन-बिजनेस इनकम) से आती है, तो आपके पास हर साल नई और पुरानी कर व्यवस्था के बीच स्विच करने का विकल्प होता है। इसका मतलब है कि अगर आपने पिछले साल नई कर व्यवस्था चुनी थी, तो आप इस साल पुरानी व्यवस्था में वापस लौट सकते हैं। हालाँकि, आपको ITR दाखिल करने की समय सीमा (31 जुलाई, 2025) से पहले यह फैसला करना होगा। आयकर विभाग के अनुसार, आप पुरानी कर व्यवस्था तभी चुन सकते हैं जब आप समय पर अपना रिटर्न दाखिल करते हैं।
बिजनेस इनकम के लिए नियम
बिजनेस या प्रोफेशनल इनकम वालों के लिए टैक्स रिजीम बदलने के नियम सख्त हैं। ऐसे करदाता हर साल टैक्स रिजीम स्विच नहीं कर सकते। इनकम टैक्स विभाग की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के अनुसार, बिजनेस या प्रोफेशनल इनकम वाले टैक्सपेयर्स को केवल एक ही बार यह मौका मिलता है। कहने का मतलब है कि अगर वे नई कर व्यवस्था चुनते हैं और बाद में पुरानी कर व्यवस्था में वापस चले जाते हैं, तो फिर उन्हें न्यू रिजीम चुनने का मौका नहीं मिलेगा। ध्यान रखें कि पुरानी कर व्यवस्था को चुनने वालों को ITR दाखिल करने से पहले फॉर्म 10-IEA भरना होगा। यह फॉर्म पुष्टि करता है कि वे कौन सी कर व्यवस्था चुन रहे हैं और क्या वे इसके लिए पात्र हैं।
क्या है ITR की डेडलाइन?
आयकर विभाग के अनुसार, जिन करदाताओं को ऑडिट की आवश्यकता नहीं है, उन्हें 31 जुलाई, 2025 तक अपना ITR दाखिल करना होगा (वित्त वर्ष 2024-25, AY 2025-26 के लिए)। अगर कोई समय सीमा से चूक जाता है, तो वह 31 दिसंबर, 2025 तक देरी से रिटर्न दाखिल कर सकता है, लेकिन उसे लेट फीस का भुगतान करना होगा। अगर किसी टैक्सपेयर ने पहले ही अपना ITR समय पर दाखिल कर दिया है, लेकिन बाद में उसे लगता है कि उसे कोई दूसरी कर व्यवस्था चुननी चाहिए थी, तो वह संशोधित रिटर्न दाखिल कर सकता है। हालांकि, यह विकल्प केवल उन लोगों के लिए उपलब्ध है, जिन्होंने नियत तिथि से पहले अपना ITR दाखिल किया है।
आपको कौन सी रिजीम चुननी चाहिए?
अब सवाल आता है कि आपको कौनसी रिजीम चुननी चाहिए? इसके लिए आपको बारीकी से दोनों कर व्यवस्थाओं के लाभों को समझना होगा। उदाहरण के तौर पर पुरानी कर व्यवस्था में कई तरह की छूट और कटौतियां मिलती हैं। जैसे कि धारा 80C (PPF, EPF, जीवन बीमा), धारा 80D (चिकित्सा बीमा), HRA (हाउस रेंट अलाउंस)। वहीं, न्यू रिजीम में इस तरह के लाभ कम हैं, लेकिन 12 लाख की इनकम को टैक्स फ्री किया गया है। लिहाजा, पहले आपको यह कैलकुलेशन करनी चाहिए कि कौनसी रिजीम में आपको ज्यादा फायदा दे सकती है, उसी के आधार पर चुनाव करना चाहिए।