Gold and Silver Price Forecast: 2025 की शुरुआत से ही सोने और चांदी की कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच रही हैं, जिससे आभूषण कई लोगों की पहुंच से बाहर हो गए हैं. 15 अक्टूबर को 22 कैरेट सोना 11,860 रुपये प्रति ग्राम और एक सॉवरेन 94,880 रुपये प्रति ग्राम बिका, जबकि चांदी 207 रुपये प्रति ग्राम (2,07,000 रुपये प्रति किलोग्राम) तक पहुंच गई.
हालांकि, विशेषज्ञों का अनुमान है कि अगले कुछ दिनों या हफ्तों में कीमतों में भारी गिरावट आ सकती है, जिससे यह संकेत मिलता है कि यह मौजूदा मूल्य वृद्धि का अंतिम चरण हो सकता है.
सोने, चांदी की कीमतों का पूर्वानुमान
पेस 360 के सह-संस्थापक और मुख्य वैश्विक रणनीतिकार अमित गोयल के अनुसार, सोने की कीमतों में 30 से 35% की गिरावट आने की उम्मीद है, जिससे इसकी कीमत लगभग 77,701 रुपये तक गिर जाएगी. चांदी की कीमतों में 50% की गिरावट आने का अनुमान है, जिससे इसकी कीमत लगभग 77,450 रुपये तक गिर जाएगी.
ऐतिहासिक रूप से, साल 2007, 2008 और 2011 में बड़े उतार-चढ़ाव के बाद सोने की कीमतों में 45% की गिरावट आई है. गोयल के अनुसार, एक बार जब सोना 2,600-2,700 डॉलर तक गिर जाएगा, तो यह फिर से एक सुरक्षित निवेश होगा और संभवतः दुनिया भर में सबसे अच्छा निवेश विकल्प बन जाएगा. हालांकि, चांदी खरीदारों को सतर्क रहना चाहिए क्योंकि वैश्विक मंदी के दीर्घकालिक प्रभाव हो सकते हैं.
गोयल ने सोने और चांदी की कीमतों में मौजूदा उतार-चढ़ाव पर भी टिप्पणी की और कहा कि यह वृद्धि लंबे समय तक जारी रहने की संभावना नहीं है. उन्होंने मूल्य निर्धारण प्रणाली में बदलाव की आशंका जताई है, जिससे कीमतों में बड़ी गिरावट आएगी और निवेशकों को इस गिरावट के लिए तैयार रहने की सलाह दी है.
चांदी की कीमत में कितनी तेजी आई?
दिल्ली सर्राफा बाजार में बुधवार (15 अक्टूबर) को सोने की कीमत 1,000 रुपये बढ़कर 131800 रुपये प्रति 10 ग्राम के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गई.
इस बीच, चांदी की कीमतें रिकॉर्ड स्तर से 3,000 रुपये गिरकर 1,82,000 रुपये प्रति किलोग्राम (सभी करों सहित) पर आ गईं. मंगलवार को चांदी 1,85,000 रुपये प्रति किलोग्राम के नए शिखर पर पहुंच गई थी. गौरतलब है कि पिछले दस महीनों में चांदी की कीमतें दोगुनी हो गई हैं, जिससे सोने की तुलना में 37% अधिक रिटर्न मिला है.
बाजार विशेषज्ञ चांदी की कीमतों में तेज वृद्धि के लिए कई कारकों को जिम्मेदार मानते हैं और इसके दीर्घकालिक भविष्य को लेकर आशावादी बने हुए हैं, हालांकि वे संभावित अल्पकालिक गिरावट के बारे में आगाह भी करते हैं.