Bangladesh Political Crisis: शेख हसीना के बांग्लादेश छोड़ने के बाद पड़ोसी देश में स्थिति काबू से बाहर हो गई है। ढाका में मिलिट्री ने कमान संभाल ली है, लेकिन स्थिति ऐसी है कि इसे अराजकता कहना ही सही होगा। इस बीच बांग्लादेश में नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद युनूस अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार बनने को तैयार हो गए हैं, लेकिन जिस तरह की स्थिति बांग्लादेश में है, उसका भारतीय कंपनियों पर असर पड़ सकता है।
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बता दें कि देश की बड़ी कंपनियों ने बांग्लादेश में निवेश कर रखा है। बांग्लादेश में मैरिको, इमामी, डाबर, एशियन पेंट्स, पिडिलाइट, गोदरेज, सन फार्मा, टाटा मोटर्स और हीरो मोटरकॉर्प ने बड़े पैमाने पर निवेश किया है। ढाका में हालात जल्दी ठीक नहीं हुए तो भारतीय कंपनियों का बिजनेस सीधे तौर पर प्रभावित हो सकता है।
ये कंपनियां सीधे होंगी प्रभावित
लगेज निर्माता कंपनी वीआईपी के बांग्लादेश में 8 मैन्युफैक्चरिंग यूनिट हैं। इसके उत्पादन का 30 से 35 प्रतिशत बांग्लादेश से आता है। ऐसे में वीआईपी की क्षमता में गिरावट आ सकती है। इसका असर कंपनी के मुनाफे पर पड़ सकता है।
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मैरिको इंटरनेशनल मार्केट की दिग्गज कंपनी है। मैरिको के अंतरराष्ट्रीय रेवेन्यू का लगभग 44 प्रतिशत बांग्लादेश से आता है।
डाबर, ब्रिटानिया और जीसीपीएल देश की बड़ी एफएमसीजी कंपनियां हैं। यहां से कंपनी का 5 प्रतिशत से ज्यादा का रेवेन्यू आता है। ऐसे में इन कंपनियों के रेवेन्यू पर भी असर पड़ सकता है।
जुबिलेंट फूडवर्क्स के बांग्लादेश में 28 स्टोर हैं, जो इसकी संयुक्त बिक्री का 1 प्रतिशत है। ऐसे में यह बिजनेस भी प्रभावित हो सकता है।
टाटा ग्रुप को बांग्लादेश से बड़ा बिजनेस मिलता है। समूह की कंपनी ट्रेंट के लिए बांग्लादेश, हांगकांग और थाईलैंड की तरह एक महत्वपूर्ण देश है। कपड़े से लेकर कार और अन्य बिजनेस के लिए समूह बांग्लादेश से अच्छा बिजनेस जनरेट करता है। इसका असर कंपनियों के मुनाफे पर दिखाई दे सकता है।
बांग्लादेश में राजनीतिक संकट के बीच एशिया की सबसे बड़ी बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम ने बांग्लादेश में अपने दफ्तर 7 अगस्त तक बंद कर दिए हैं। एलआईसी ने रेगुलेटरी फाइलिंग में कहा है कि बांग्लादेश में मौजूदा सामाजिक-राजनीतिक स्थिति के कारण एलआईसी ऑफ बांग्लादेश लिमिटेड का ऑफिस 5 अगस्त 2024 से 7 अगस्त 2024 तक बंद रहेगा।
बता दें कि पिछले दो महीने से बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे थे। छात्रों के समूह ने पहले आरक्षण के मुद्दे पर प्रदर्शन किया और धीरे-धीरे ये प्रदर्शन शेख हसीना की सरकार के खिलाफ होता गया। भीड़ की हिंसा के खिलाफ शेख हसीना सरकार की जवाबी कार्रवाई से लोगों का आक्रोश और बढ़ता गया। नतीजा ये हुआ कि मिलिट्री ने हसीना का सहयोग करने से इनकार दिया। अंततः शेख हसीना को ढाका छोड़ भारत में शरण लेना पड़ा।